बाड़मेर मे युवक कि तालाब में डूबने से मौत

badmer thumbबाड़मेर / जिले के सदर थाना क्षेत्र के महाबार गांव मे एक युवक के तालाब मे डुबने से मौत हो गई। घटना की जानकारी मिलते ही सदर थाना पुलिस मौके पर पहुंची और तैराको के सहयोग से शव को बाहर निकाला। और पोस्टमार्टम के लिए शव को मोर्चरी लाया गया। सदर थानाधिकारी ओपी उज्जवल के अनुसार हंजारीसिंह पुत्र ईश्वरसिंह राजपुत उम्र 25 वर्ष जो की घर से मोटरसाईकिल लेकर निकला था और उसके बाद गांव मे बने ही तालाब मे डुबने से मौत हो गई। पुलिस प्रथम दृष्टया सुसाईड मान रही है फिर भी के जांच के बाद ही पता चलेगा की युवक नहाने गया था या सुसाइड कर इहलीला समाप्त की।मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

नगर परिषद् कि करोडो कि जमीं अतिक्रमण से मुक्त करने कि मांग
बाड़मेर जिला मुख्यालय पर भूमाफियाओं द्वारा नगर परिषद् की करोड़ों की जमीन पर अतिक्रमण कर निर्माण करा दिया गया जबकि इस जमीन में हुए भ्रष्टाचार की जाँच स्वायत शासन विभाग ,जिला प्रशासन और स्थानीय पुलिस के ठन्डे बस्ते में पड़ी है. इस प्रकरण में नगर पालिका के चार कार्मिक निलंबित भी हो चुके हैं. यहाँ तक कि पूर्व में मुख्यमंत्री कार्यालय से चार मर्तबा इस प्रकरण की जाँच जिला कलेक्टर और स्वायत शासन विभाग के सचिव को दी गयी थी वर्त्तमान वसुंधरा राजे सरकार से भी जांच के आदेश जिला कलेक्टर बाड़मेर को दिए गए हें इसके बावजूद कोई कार्यवाही नहीं की. जबकि जिला कलेक्टर बाड़मेर द्वारा इस प्रकरण की जाँच तहसीलदार बाड़मेर को दी थी.तहसीलदार ने पटवारी को जाँच सौंप दी मगर कोई कार्यवाही आज तक नहीं हुई.मुख्यमंत्री के आदेश की धज्जियां नगर परिषद् और जिला प्रशासन उड़ा रहे हैं. स्वायत शासन विभाग के सचिव द्वारा अप्रैल में यह जाँच आयुक्त नगर परिषद् बाड़मेर को दी थी जो कचरे की टोकरी की शोभा बढ़ा रही है.छह करोड़ कि नगर परिषद् कि इस जमीं को अतिक्रमण से मुक्त करने कि मांग को लेकर आर टी आई कार्यकर्ता चन्दन सिंह भाटी ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को पात्र लिखा था जिस पर मुख्यमंत्री कार्यालयो द्वारा इस प्रकरण कि तथ्यतमक रिपोर्ट जिला प्रशासन बाड़मेर से मांगी गयी हें ,
शहर के महावीर नगर में नगरपालिका बाड़मेर का व्यवसायिक भूखंड संख्या 66 है जिसकी कीमत करीब करोड़ों रूपए है. उक्त भूखंड पर तत्कालीन जिला कलेक्टर सुबीर कुमार ने वर्ष 2007 में निरस्तीकरण के आदेश जारी कर नगरपालिका के चार अधिकारियों तथा कर्मचारियों के खिलाफ पुलिस कोतवाली थाने में मामला दर्ज करवाया था। उक्त प्रकरण में पालिका के चार अधिकारी कर्मचारी निलंबित भी किए गए है. इस व्यवसायिक भूखंड प्रकरण की जाँच आज भी राज्य सरकार के पास विचाराधीन है. राज्य सरकार ने इस भूखंड के आवंटन को निरस्त कर भूखंड राशि जमा नही करवाई गई थी. इसके बावजूद इस भूखंड पर भूमाफियाओं जिन्होने सरकारी जमीनों पर कई अतिक्रमण कर रखे है और वहाँ पर अवैध रूप निर्माण कार्य आरम्भ करा रखा है. उक्त भूखंड पर रामचंद्र वैष्णव, सावताराम माली, भगा राम माली तथा इनके भूमाफिया सहयोगियों द्वारा अवैध रूप से कब्जा कर निर्माण कार्य निर्बाध रूप से किया जा रहा है. उक्त भूखंड राज्य सरकार का है जिसकी कीमत करोड़ों रूपए है। इस पर नगरपालिका कर्मचारियों तथा अधिकारियों की मिलीभगत से भूमाफियों द्वारा अतिक्रमण कर व्यवसायिक काम्पलेक्स का निर्माण करवाया जा चूका है. स्थानीय जिला प्रशासन की कई बार लिखित सूचना देने के बावजूद कोई कार्यवाही नही की गई.
उक्त व्य्ावसायिक भूखंड संख्या 66 के पूरे प्रकरण की जाँच प्रशासनिक अधिकारी करने से कतरा रहे हैं जबकि इस मामले के तीन मुकदमे शहर कोतवाली में भी दर्ज है. सरकारी संपति को भूमाफियाओं के चंगूल से मुक्त करवाकर अवैध निर्माण को ध्वस्त करने की बजाय भूमाफियाओं को शह दी जा रही है.
नगर परिषद् द्वारा कराई गयी जिसमे स्पष्ट लिखा हें कि उक्त जमीं नगर परिषद् कि हें जिस पर भूमाफियो द्वारा अवैध कब्ज़ा कर भवन निर्माण कराया गया ,परिषद् के तत्कालीन आर ओ द्वारा अतिकर्मियो को अतिक्रमण हटाने के निर्देश भी दिए गए मगर अतिक्रमण आज तक नहीं हटाया गया।
chandan singh bhati

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