राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक अधिकरण का मामला
जयपुर, राजस्थान विद्यापीठ कुल उदयपुर के तहत संचालित प्रबन्ध समिति, हरिभाउ उपाध्याय महिला शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय हटुण्डी अजमेर में कार्यरत व्याख्याता श्रीमती उषा राठौड़ व डॉ. बीना सिंह की अपील स्वीकार करते हुये सेवा समाप्ति के आदेशों को निरस्त करते हुये सभी लाभ परिलाभ सहित सेवा में बहाली के आदेश देते हुये राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था अधिकरण ने व्यवस्था दी है कि सेवा समाप्ति से पूर्व अधिनियम 1989 की धारा 18 व नियम 1993 के नियम 39 की पालना करना आवश्यक है। उल्लेखनीय है कि उक्त दोनों व्याख्याताओं की नियुक्ति क्रमशः 09.11.1998 तथा 26.08.1997 को हुई थी तथा उक्त संस्था केन्द्र सरकार से योजनाओं के तहत अनुदान प्राप्त करती है। संस्था के द्वारा समय-2 पर नियुक्ति पत्रा जारी कर नियुक्तियॉं दी गई तथा नियुक्तियॉं संविदा पर दिखाई गई। अन्त में दिनांक 22.08.2008 को सेवामुक्त कर दिया जिससे प्रार्थीगण ने अधिवक्ता डी.पी. शर्मा के माध्यम से चुनौती दी और तर्क दिया गया कि सेवा समाप्ति से पूर्व अधिनियम 1989 की धारा 18 व नियम 1993 के नियम 39 की पालना नहीं की गई जिसके तहत यह व्यवस्था है कि सेवा समाप्ति से पूर्व 6 माह का नोटिस या उसके बदले वेतन तथा शिक्षा निदेशक की पूर्व सहमति आवश्यक है। इसी प्रकार यदि आरोप के द्वारा सेवा से हटाया जाता है तो उसे सुनवाई का अवसर देने आवश्यक है परन्तु संस्था के द्वारा सेवा समाप्ति से पूर्व नियमों की कोई पालना नहीं की गई। इसके विपरीत संस्था की तरफ से तर्क दिया गया कि नियुक्ति निश्चित अवधि के लिये थी इसलिये अनुबन्ध समाप्ति के पश्चात्् किसी प्रकार की प्रक्रिया की पालना करना आवश्यक नहीं था। प्रार्थी के अधिवक्ता का तर्क था कि प्रार्थीगण की नियुक्ति विज्ञापन के तहत चयन समिति के द्वारा चयनित होने के उपरान्त की गई थी ऐसी स्थिति में उसे संविदा पर नियुक्ति दिखाना गैर कानूनी है। अतः नियुक्ति को नियमानुसार माना जाना चाहिये। मामले की सुनवाई के पश्चात् अधिकरण ने उक्त आदेश प्रदान किये।
डी. पी. शर्मा
अधिवक्ता
मो. 9414284018