यदि किसी व्यक्ति को अपने जीवित होने का ही प्रमाण देने की जरूरत पड़े तो, जीवन में इससे बड़ी त्रासदी क्या हो सकती है..कुछ ऐसा ही हुआ टोंक जिले उनियारा उपखंड में उखलाना गांव के सीताराम के साथ…पहले उसे बचपन में बतौर बंधुआ मजदूर होटल मालिक को बेच दिया गया और फिर उसे मृत घोषित कर उसकी जमीन भी बेच दी गई। पेश है टोंक से पुरुषोत्तम जोशी की रिपोर्ट:-

जी हां सुनने अजीब बड़ा लग रहा हो लेकिन यह सच है और यह सब हुआ है टोंक जिले में उनियारा तहसील के उखलाना गांव निवासी सीताराम मीणा के साथ,,,जिसकों बड़े भाई श्रवण मीणा ने उखलाना के पटवारी रामप्रसाद मीणा,बिलोता ग्राम पंचायत सरंपच राजबाला मीणा,परिजनों सहित 10 लोगों के साथ मिल कर सीताराम मीणा का फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनवा लिया…बड़े भाई श्रवण व परिजनों ने फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र के सहारे सीताराम मीणा की करीब सवा 2 बीगा जमीन अपने नाम राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करा उसे उखलाना के चैन देवी पत्नी मस्तराम मीणा को बेचान कर दी। सीताराम मीणा ने उनियारा एसीजेएम कोर्ट में एक इस्तगासा दायर किया है जिस पर उनियारा एसीजेएम मजिस्ट्रेट ने अलीगढ़ पुलिस थाना अधिकारी को उखलाना पटवारी रामप्रसाद मीणा,भू अभिलेख अधिकारी,बिलोता सरपंच सहित 10 नामजद लोगों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कर जांच करने के आदेश जारी किए है।
उखलाना निवासी मनफूल मीणा के तीन पुत्र श्रवण, लडृडू व सीताराम मीणा है,, मनफूल मीणा ने अपने पुत्र सीताराम मीणा के नाम अलग से सवा दो बीघा जमीन कर दी तथा अपने दो पुत्रो श्रवण व लडडू मीणा के नाम से अलग जमीन कर बटवारा कर दिया था,,, बडे भाई श्रवण ने अपने छोटे भाई सीताराम व लडृडू को करीब 30 साल पहले सवाई माधोपुर में एक होटल पर मजदूरी के लिख छोड आया था तथा होटल मालिक से मजदूरी के नाम मोटी रकम ले आया था,,, करीब पांच साल सीताराम व लडडू ने सवाई माधोपुर में होटल पर काम किया फिर उसे जयपुर में एक चाय की होटल पर काम करने के लिए लगा दिया ओर श्रवण चाय होटल मालिक से एडवासं राषि लेकर आ गया,, कुछ सालो काम करने के बाद लडडू तो वहा से आ गया ओर ओर षादी कर परिवार के साथ रहने लगा,,,,, इसी बीच लडडू विदेष में मजदूरी करने चला गया ओर वहा से आने के बाद उसकी मौत हो गई,, उधर सीताराम मीणा जयपुर में मजदूरी करने के बाद दिल्ली में चला गया ओर वहा मजदूरी कर अपना पालन पोषण करने लगा,, इस दौरान वह बीच में कभी कभार अपनी मां व परिजनो सं मिलने यहा आया ओर वापस चला गया,, दिल्ली में सीताराम मीणा बीमार हो गया ओर उसे लकवे की षिकायत हो गई जिसके चलते उसका करीब दो साल तक दिल्ली में उपचार भी चला, जिसमें उसकी सारी कमान लग गई,, अस्पताल से उपचार करा बाहर निकलने के बाद सीताराम को अपनी मां की याद आई तो उसने अपने सारे सामान आदि बेचकर करीब 17 हजार रूपए लेकर इसी साल दिवाली पर अपने गांव उखलाना घर पहुंचा,,, मां व भाई लडडू के परिजनो के साथ दिवाली बडे उत्साह के साथ मनाई,, जब हाथ की अंटी खत्म हुई तो सीताराम ने अपने हिस्से की जमीन परिजनो से मांगी इस पर परिजनो का व्यवहार रूखा हो गया,, यही नहीं परिजनो ने पुलिस थाना अलीगढ में सीताराम मीणा को फर्जी बताते हुए पुलिस से उसे भगाने के लिए दबाव भी बनाया,, लेकिन ग्रामीणो के हस्तक्षेप के चलते पुलिस बेरंग लोट गई,, बाद में सीताराम मीणा ने अपने खाते की जमीन की नकले निकलवाई तो उसे उस समय होष उड गए जब उसे पता लगा कि उसके भाई, भतिजो ने उसे तो मृत बताकर फर्जी मृत्यू प्रमाण पत्र बनाकर उसकी जमीन को अन्यन्त्र बेचान कर दी,,, अब सब जगह से थक हार कर सीताराम मीणा ने उनियारा एसीजेएम न्यायालय में एक दर्जन लोगो के खिलाफ धोखाधडी सहित अन्य संगीन धाराओं में मामला दर्ज करने के लिए गुहार लगाई है,,,,

सीताराम मीणा के मृत साबित करने के मामले को लेकर तहसीलदार अलीगढ़ ने आरोपी पटवारी रामप्रसाद मीणा,भू,अभिलेक अधिकारी,बिलोता सरंपच सहित 10 अन्य के खिलाफ जांच कर सख्त कार्रवाई करने की बात कही है।
धन का लालच भाईयों में ऐसा आया कि पहले भाई नेे भाई को बेच दिया फिर मृत साबित कर हथिया ली जमीन,,अधिकारी तो अधिकारी,जनप्रतिनिधियों ने लोभी भाईयों का पूरा साथ दिया चंद कागज के टुकड़ों के लिए और भूल गए अपने पद की सारी गरिमा,,अब सीताराम मीणा खुद को जिंदा साबित करने के लिए उन सरकारी दस्तावेजों का पुलंदा लिए काट रहा है चक्कर जिनके बूते उसे मृत साबित कर दिया गया,,,जिन दस्तावेजों से किसी के वजूद का होना ना होना साबित करता है उन्ही दस्तावेजों के फर्जी दस्तावेज बना भाईयों ने छीन ली जमीन और सरकारी दस्तावेजों में लील गए जिंदगी,,,खुद सीताराम ने अपने जिंदा होने के सबूत लिए अधिकारियों के कार्यालयों के खूूब काटे चक्कर,,लेकिन ना तहसीलदार ने माना जिंदा ना किसी ओर ने,,,थक हार कोर्ट की शरण में पहुंचा सीताराम,,,,अब कोर्ट ने समझा सीताराम का दर्द और अलीगढ़ थाना अधिकारी को आरोपियों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कर जांच के दिए आदेश,,,,अब देखने वाली बात यह होगी की आखिर कब खुद को जिंदा साबित कर पाएगा सीताराम या फिर खुुद गुम हो जाएगा सरकारी फाइल में…और क्या वाकई मिल पाएगा सीताराम को उसका हक,,या लालची भाई फिर को आलाधिकारियों से मिलीभगत कर कर देंगे मुर्दा साबित,,,,यह तो पुलिस की जांच और सीताराम मीणा के भाग्य पर ही निर्भर करेगा क्योकि जिस प्रकार उनियारा उपखंड अधिकारी हिम्मत सिंह मीणा और स्थानीय अधिकारियों का जो रवैया नजर आ रहा है उससे तो ऐसा ही लगता है कि सीताराम हो ही जाएगा मुर्दा,,,या तो रसूखदार भाई कर देंगे उसे मुर्दा या फिर सरकारी कार्यालयों और पुलिस थानों के चक्कर काटते काटते ही हो जाएगी जिंदगी पूरी,,,,
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Purushottam Joshi
Tonk
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