जयपुर / नरेंद्र मोदी सरकार में राज्य मंत्री निहाल चंद मेघवाल के खिलाफ रेप मामले में कोर्ट की नोटिस के बाद प्रधानमंत्री और भाजपा सरकार के खिलाफ हमले तेज हो गए हैं। कांग्रेस ने निहाल चंद के इस्तीफे की मांग की है। उधर, टि्वटर यूजर्स भी कह रहे हैं कि निहाल चंद को पद से हटा दिया जाना चाहिए। इसके अलावा वे मोदी के उस बयान पर भी निशाना साध रहे हैं, जिसमें उन्होंने सांसदों से उनके खिलाफ आपराधिक मामलों का जल्द से जल्द निपटारा करने की अपील की थी। राजस्थान के श्रीगंगानगर से सांसद निहाल चंद मोदी सरकार में रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री हैं। उनके खिलाफ रेप का यह केस 20 साल की एक महिला द्वारा कुछ समय पहले दर्ज कराया गया था। इसी केस पर जयपुर की एक निचली अदालत ने गुरुवार को उन्हें नोटिस जारी कर 20 अगस्त तक कोर्ट में पेश होने का आदेश जारी किया था। कांग्रेस ने मामला सामने आने के बाद प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधा और निहाल चंद के इस्तीफे की मांग की। कांग्रेस प्रवक्ता राशिद अल्वी ने कहा कि मोदी जी रेप के मामलों को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करने की बात कहते हैं, लेकिन उनके ही एक मंत्री को कोर्ट ने रेप के आरोप में समन भेजा है। महिला ने अपने पति और उसके दोस्तों पर यौन शोषण का आरोप लगाया है। महिला का आरोप है कि इन लोगों में निहाल चंद भी शामिल थे। महिला ने अपनी याचिका में कहा कि वह हरियाणा के सिरसा जिले की निवासी है। 20 दिसंबर, 2010 को उसकी शादी हनुमानगढ़ जिले के ओम प्रकाश के साथ हुई थी। शादी के बाद कपल जयपुर चला गया था और शहर में विभिन्न जगहों पर रहा। इनमें वैशाली नगर भी शामिल था। महिला का आरोप है कि इसी दौरान उसके पति और दोस्तों ने उसका यौन शोषण किया, जिनमें निहाल चंद भी थे।
कोर्ट के नोटिस के बाद टि्वटर पर लोगों ने निहाल चंद और मोदी सरकार पर हमला शुरू कर दिया। कुछ लोगों ने कहा कि मोदी सरकार रेप को लेकर जो बातें कह रही थी, अब उसे पूरा करके दिखाए और निष्पक्ष जांच के लिए निहाल चंद को पद से हटाए। कुछ लोगों ने इस घटना को मोदी के ‘अच्छे दिन’ वाले बयान से जोड़ दिया। उन्होंने पूछा कि क्या यह अच्छे दिन आने की निशानी है। वहीं, कई लोगों ने यह भी सवाल उठाए कि जब मोदी के मंत्री पर रेप का आरोप है तो यह कैसे माना जाए कि नरेंद्र मोदी रेप के मामलों से निपटने को लेकर सख्त हैं। गौरतलब है कि चंद दिनों पहले ही मोदी ने संसद में अपने संबोधन में कहा था कि नेता रेप मामलों का विश्लेषण करना बंद करें।