बेटियां बन गई मां, नहीं आई मदद!

63516324-04-2014-04-17-99Nबाड़मेर । मजदूरों की बेटियां विवाह पश्चात ससुराल गई। ससुराल
जाने के बाद मां भी बन गईं। मां बनने पर उन्हें
जननी सुरक्षा योजना का लाभ भी मिल गया, लेकिन इन
बेटियों के विवाह के समय मजदूर
पिता को जो सरकारी सहायता मिलनी चाहिए थी, वह अभी तक
नहीं मिल पाई है।
भवन निर्माण एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड
राजस्थान की ओर से पंजीकृत मजदूरों की पुत्रियों के विवाह
पर मजदूर पुत्री विवाह सहायता योजना के तहत इक्यावन
हजार रूपए सहायता राशि दिए जाने का प्रावधान है। विवाह
सहायता योजना के तहत बाड़मेर जिले के 395 मजदूर पिताओं
ने पिछले एक वर्ष में आवेदन किए, जो लम्बित हैं।
तारातरा निवासी हेमाराम मेघवाल एवं आकल निवासी मोडसिंह व
सवाईसिंह की पुत्रियों का विवाह करीब एक वर्ष पहले हुआ
था। इन्होंने विवाह से एक माह पहले विवाह सहायता योजना में
आवेदन किया। विवाह पश्चात विवाह पंजीयन प्रमाण पत्र
भी जमा कर दिया। सभी आवेदकों ने
इसी प्रक्रिया को अपनाया। जिला स्तर पर इस
योजना की मॉनिटरिंग कर रहे श्रम विभाग ने पिछले एक वर्ष
में किसी भी आवेदक को इस योजना का लाभ नहीं दिया है।
योजना का लाभ मिलने में इस हद तक देरी हो गई है कि आवेदन
करने वाले मजदूर नाना बन गए हैं, लेकिन श्रम विभाग की नींद
नहीं खुल रही है।
बजट की कमी नहीं
जानकारी के अनुसार विवाह सहायता योजना में बजट की कोई
कमी नहीं है। श्रम विभाग में कोईअधिकारी नहीं होने के कारण
कामकाज लिपिक स्तर के एकमात्र कार्मिक के भरोसे हैं।
भवन निर्माण एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण व श्रम
विभाग के बीच तालमेल की कमी है। इसका खामियाजा इस
योजना से लाभान्वित होने की पात्रता रखने वाले भुगत रहे हैं।
मिल चुका है लाभ
मजदूरों की आर्थिक सहायता के उद्देश्य से संचालित विवाह
सहायता योजना से अधिकांश मजदूर अनभिज्ञ हंै। बाड़मेर में
कमठा मजदूर यूनियन बनी हुई है। यूनियन का दायित्व
संभालने वाले पदाधिकारी मजदूरों से जुड़ी इन योजनाओं
को मजदूरों तक पहुंचा रहे हैं और योजनाओं का लाभ लेने के
लिए प्रेरित कर रहे हैं। बाड़मेर निवासी लिखमाराम, बस्तीसिंह,
मुरादखां सहित कई मजदूर इस योजना से लाभान्वित हो चुके
हैं। इन्हें पिछले वर्ष सहायता राशि के चेक मिले थे।
बेवजह लाभ से वंचित
मजदूरों को बेवजह विवाह योजना के लाभ से वंचित
रखा जा रहा है। श्रम विभाग व अधिकारी वर्ग के स्तर पर
ढिलाई होने के कारण राशि उपलब्ध होने के बावजूद
मजदूरों को योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। यह एक प्रकार
से मजदूरों का शोषण है। लम्बित आवेदनों का तत्काल
निस्तारण कर मजदूरों को सहायता राशि दी जानी चाहिए।
-लक्ष्मण बडेरा,जिलाध्यक्ष कमठा मजूदर यूनियन बाड़मेर

Report-Suresh Dhaka

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