बीकानेर। सिंधी समाज के युवाओं को अपनी परंपराओं के निर्वहन में आगे आना जरूरी है। इन दिनों चालीहा महोत्सव मनाया जा रहा है, इसके तहत 40 दिन तक का व्रत समाज कल्याण और राष्ट्र विकास की कामना से करने की समाज की परंपरा प्राचीन है। करीब एक हजार साल से इस परंपरा को समाज के बड़े बुजुर्ग निर्वहन करते आ रहे हैं, युवाओं को भी इसके लिए आगे आना चाहिए। यह आह्वान इष्टदेव झूलेलाल को समर्पित चालीहा महोत्सव के तहत विश्वास वाचनालय के संस्थापक अध्यक्ष साहित्यकार मोहन थानवी ने किया है। उनका कहना है कि अपनी जड़ांे से जुड़े रह कर ही समाज अपना वजूद कायम रखता है। इसलिए आज की आवश्यकता के अनुसार हिंदी, अंग्रेजी, राजस्थानी आदि भाषाओं में पारंगत होने के साथ साथ अपनी सिंधी बोली और भाषा को भी अपना कर संरक्षित करें।
-मोहन थानवी 09460001255