बाड़मेर। कुछ साल पहले नेहरू नगर में किराये का मकान लेकर पूरा दिन सड़को पर ठेला लेकर सब्जी बेचने का काम करने वाले महेंद्र ऋषि नामक पाकिस्तानी जासूस की कहानी सामने आई तो लगा कि सुरक्षा के मसले पर यहाँ के लोग और पुलिस सतर्क होगी। लेकिन ना तो स्थानीय लोगो ने और ना ही पुलिस ने इसे गम्भीरता से लिया। बाहरी कम्पनियों की आड़ में ऐसे संदिग्ध लोगो की बाढ़ बाड़मेर में आ चुकी हैं जो मोटा किराया देकर शहर में कई स्थानों पर निवास कर रहे हैं। साथ ही साथ आम लोग भी किराये के लालच में ना तो पुलिस वेरिफिकेशन मांग रहे हैं ना ही सम्बंधित पुलिस स्टेशन को किरायेदार की सूचना दे रहे हैं। दूसरी तरफ बीट कांस्टेबल भी अभी तक पूर्ण रूप से डोर टू डोर सर्वे का काम पूर्ण नही कर पाये हैं। सुरक्षा एजेंसियों की शिथिलता भी यहाँ साफ़ तौर पर सामने आ रही हैं। ना तो इनके पास “सोर्स” रुपी ब्रह्मास्त्र हथियार बचा हैं और ना ही इतना भरोसा मुखबिरों में पुलिस और एजेंसियों के प्रति बाकी रहा हैं कि सूचना तंत्र मजबूत हो सके।
एक व्यक्ति बाड़मेर शहर से होकर बस रेल और अन्य माध्यमों से पाकिस्तान सीमा पर पकड़ा जाता हैं तो सवाल उठना लाज़मी हैं कि सीमा तक पहुंचने के दौरान क्या किसी भी तथाकथित गुप्तचर एजेंसी के कारिंदो को इसकी भनक नही पड़ती।
साईबर कैफ़े देश की सुरक्षा पर खतरा
वर्तमान समय में सबसे बड़ी चुनौती साइबर क्राईम को रोकना हैं। दुश्मन देश के लिए काम करने वाले अब सीमा पार करके खबरें नहीं पहुंचाते बल्कि इंटरनेट ने इनका आने जाने का काम खत्म कर एक क्लिक तक पहुंचा दिया हैं। इसके बनिस्पत साईबर मामलो की जाँच के मामले में काफी कम अधिकारी और पुलिसकर्मी पारंगत हैं।
आमजनता भी दोषी
पुलिस ने आमजनता से कई माध्यमो से कई बार आह्वान किया कि अपने मकानों के किरायेदारों की सूचना पुलिस तक पहुंचाए लेकिन ना जाने क्यों लापरवाही का दौर बदस्तूर जारी हैं और सुरक्षा का जिम्मा आमजनता ने खुद पर कभी ना लेकर पुलिस पर ही थोप दिया हैं। जिम्मेदारी की उम्मीद जनता से बराबर की जाती रही हैं लेकिन जनता से सकारात्मक सिग्नल अभी तक तो मिले नही हैं।
अस्थाई “डेरे” जाँचे जाने जरूरी
पुलिस को बाड़मेर में आकर बसे अस्थाई लोगो के ठिकाने जांचने की भी जरूरत हैं। बाड़मेर के रेलवे स्टेशन के पीछे भी ऐसे “डेरे” बहुतायत में हैं जो कहाँ के निवासी है कोई नही जानता।
चोरी नकबजनी लूटपाट मादक पदार्थों की बिक्री में बाड़मेर इन दिनों काफी आगे आ रहा हैं। युवा वर्ग नशे की गिरफ्त में पूरी तरह समा रहा हैं। स्मैक शराब अफ़ीम बाड़मेर के युवाओ में प्रचलित हो चुके हैं और इनमें कुरियर की भूमिका कई बाहरी लोगो के द्वारा निभाई जाती हैं जो एक निश्चित योजनाबद्ध तरीके से बाड़मेर आते हैं सप्लाई करते हैं और लौट जाते हैं। जानकार सूत्र बताते हैं कि बाड़मेर में स्मैक के कारोबार में कई सभ्रांत परिवारो के रईसजादे लिप्त हैं।
Anoush kumar
News nation
Ajmer