‘झंडो झूले, झूले मुंहिजे लालण जो..

भीलवाड़ा में झूलेलाल साहिब के चालिहे का समापन, शोभायात्रा निकाली
bhilwara-julelal-9-1-15 (1)bhilwara-julelal-9-1-15 (3)bhilwara-julelal-9-1-15भीलवाड़ा। ‘जीय वणईं तीय जप तू लाल…Ó ‘कूड़ा मनजा छद तू बहाना…Ó, ‘रामजी के आगे बजा के खड़ताल, छम-छम नाचे अंजनि को लाल…Ó, ‘झंडो झूले-झूले मुंहिजो लालण जो…Ó जैसे भजनों की प्रस्तुति पर श्रद्धालु झूमने के लिए मजबूर हो गए। मौका था श्री झूलेलाल सेवा समिति की ओर से शुक्रवार को सिंधी समाज के अराध्यदेव श्रीझूलेलालजी की स्तुति में चालिहे व्रत के समापन का। इस मौके पर सिंधुनगर से बहराणा साहब की शोभायात्रा निकाली गई, जो तेजाजी चौक स्थित तालाब पर ज्योति विसर्जन के साथ संपन्न हुई।
संत कंवरराम धर्मशाला में शुक्रवार को सुबह ही भजन-कीर्तन शुरू हो गए। भरूच, पाली, भीलवाड़ा, पुष्कर, पारसोली व अजमेर से आए श्रद्धालुओं ने श्रद्धा के साथ आनंद की अनुभूति कराई। १5 साधकों द्वारा रखे गए चालिहे के व्रत पर उन्हें सांई ठकुर मनीषलाल द्वारा प्रसाद व स्मृतिचन्हि देकर सम्मानित किया गया। भरूच से आए सांई ठकुर मनीषलाल ने आशीर्वचन प्रदान किए। कार्यक्रम में झूलेलाल की विधिवत पूजन कर भक्तों ने सुख-समृद्धि की कामना की। इस दौरान भक्तों ने अखण्ड ज्योत का दर्शन किया।
इससे पूर्व सिंधी समाज के आराध्यदेव झूलेलाल भगवान का चालीहा साहिब उद्यापन रविवार को सिंधुनगर स्थित संतकंवर राम धर्मशाला में हुआ। सुबह ठकुर मनीषलाल के दीप प्रज्जवलन के साथ कार्यक्रम का आगाज किया गया। भगत रामचंद्र ने झुलेलाल महिमा व स्तुति प्रस्तुत की। बाद में ब्रत रखने वाले १५ साधकों ने मनीषलाल के निर्देशन में अराध्यदेव को सर्मपण किया। दोपहर दो बजे महाआरती के आयोजन के साथ भंडारे का आयोजन भी हुआ। ३.30 बजे बहराणा साहिब की ज्योति व बहराणा साहिब की शोभायात्रा निकाली जो तेजाजी चौक पहुंचकर संपन्न हुई, यहां पवित्र ज्योत विसर्जित की गई।
इस मौके पर भगत रामचंद्र लालवानी, उधवदास माखीजा, मनोज लालवानी, ईश्वर मंगलानी, मूलचंद पेसवानी, वीरुमल पुरसानी, इन्द्र बाबानी, चेलाराम लखूजा, कैलाश कृपलानी सहित अन्य सदस्यों ने सहयोग किया।

इसलिए मनाया जाता है
उल्लेखनीय है कि अराध्यदेव झूलेलाल महोत्सव मनाने के पीछे यह मान्यता है कि सिंधु प्रदेश के तत्कालीन शासक मिर्ख सुल्तान के अत्याचारों से मुक्ति के लिए सिंधी समाज ने सिंधु नदी के किनारे 40 दिन तक परिवार सहित व्रत रखकर लाल साईं की आराधना की थी। आराधना से प्रसन्न होकर झूलेलाल ने करसरपुर के रतनराय एवं माता देवकी के घर में अवतार लिया और सिंधी समाज को अत्याचारी बादशाह से मुक्ति दिलाई। तभी से झूलेलाल चालिहा महोत्सव सिंधी समाज द्वारा धूमधाम से मनाया जाता है।
-मूलचंद पेसवानी

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