एक ओर अन्नदाता ने डिप्रेशन में जहर खाकर जान दे दी

vlcsnap-2015-04-26-17h27m13s155दिल्ली में किसान गजेन्द्र की खुदकुशी ता मामला अभी थमा भी नहीं था कि टोंक के टोडारायसिंह क्षेत्र में दूसरे दिन भी एक ओर अन्नदाता ने फसल खराबे से हुए कर्जे के डिप्रेशन में जहर खाकर जान दे दी। टोंक में दो दिनों में यह दूसरी घटना है जब किसी किसान नें विषाक्त का सेवन कर जीवनलीला समाप्त कर ली। इस घटना के बाद पूरे जिले में हड़कंप मच गया। पेश है पुरुषोत्तम जोशी की स्पेशल रिपोर्ट ।
बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से फसलें तबाह होने के बाद कई किसानों ती सदमे से मौत हो गई।वहीं अब, कर्जे के बोझ में दबे किसान मुआवजा नहीं मिलने से दुखी होकर खुदकुशी कर रहे है। आज दूसरे दिन टोंक जिले के टोडारायसिंह क्षेत्र में एक ओर धरती पुत्र ने जहरीली फसल दवा का सेवन कर मौत को गले लगा लिया । आपकों बता दे पिछले दिन टोडारायसिंह के पास गाणोली गांव में किसान छीतरलाल ने शुक्रवार को जहरीला पदार्थ खाकर जान दे दी । छीतरलाल देर शाम अपने खेत में अचेत अवस्था में पड़ा मिला था और आज फिर टोडारायसिंह क्षेत्र के ही कालानाड़ा गांन के रतनलाल जाट ने जहरीली फसल दवा का सेवन कर लिया। गम्भीर हालत में परिजन उसे लेकर अस्पताल पहुंचे लेकिन, टोंक के सआदत अस्पताल में रतनलाल की भी इलाज के दौरान मौत हो गई। वहीं परिजनों की माने तो छीतरलाल की तरह ही रतन लाल जाट भी गरीबी में अपना गुजर बसर कर रहा था और करीब 10 बीघा खेत का मालिक था । ओलावृष्टि और बेमौसम बारिश से फसल चौपट हो जाने ये वो कर्जे में डूब गया था और मानसिक तनाव में रहने लगा था सरकार की घोषणा के बाद उसे मुआवजा मिलने ती उम्मीद थी । लेकिन काफी भागदौड़ के बाद भी उसे मुआवजा नहीं मिला तो उसकी हिम्मत टूट गई और खेत पर जाकर जहरीली फसल दवा का सेवन कर जीवन लीला समाप्त कर ली। वहीं प्रमुख चिकित्सा अधिकारी एस.एन वर्मा ने भी किसान द्वारा विषाक्त का सेवन करने की बात कही है और मौत का कारण विषाक्त को बताया है।

पुरूषोत्तम जोशी
पुरूषोत्तम जोशी

यूं तो जिले भर में करीब 1214 राजस्व गांव है जिनमें प्रशासनिक आंकड़ो की माने तो करीब 823 गांव ओलावृष्टि प्रभावित चिन्हित किए गए है। और उनियारा क्षेत्र के बाद टोडारायसिंह क्षेत्र के सर्वाधिक गांव ओलावृष्टि की चपेट में आने पर चिन्हित किए गए है लेकिन फिलहाल मुआवजा राशि नहीं मिलने से किसान मानसिक तनाव झेल रहे हैं। और जिला प्रशासन मुआवजा राशि जारी करने के ढकोसले दावे करता आ रहा है लेकिन आज भी धरती पुत्रों को चौपट हुई फसल का मुआवजा नहीं मिला है जिसके चलते किसान अवसाद ग्रस्त है और आर्थिक तंगी के चलते आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे है। अब देखने वाली बात यह होगी कि जी मीडिया के इस सामाजिक सरोकार की पहल से सूबे की सरकार को कितने सरोकार नजर आते है और कितनी गम्भीरता के साथ जिले के किसानों को मुआवजा राशि दे पाती है। या फिर किसानों की आत्महत्या का सिलसिला यूं ही चलता रहेगा।
Purushottam Kumar Joshi
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