जयपुर। जयपुर की पहली मेट्रो अॉपरेट करने वाली कुसुम कंवर बनना तो टीचर चाहती थीं, लेकिन संघर्ष ने उन्हें इस मुकाम पर ला दिया। झुंझुनूं जिले के खेतड़ी नगर की कुसुम बुधवार को राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के साथ ट्रेन लेकर रवाना हुईं। कुसुम को बाइक चलाने का शौक था लेकिन उनके पापा बहुत डरते थे और बाइक चलाने से मना करते थे. कुसुम उत्साहित हैं कि उन्हें जयपुर की पहली मेट्रो ट्रेन को चलाने का अवसर मिला.
इसे लेकर कुसुम बेहद उत्साहित हैं। उन्होंने कहा, मैंने साइकिल, बाइक और कार भी चलाई है। मेट्रो चलाऊंगी कभी नहीं सोचा था। बस डेस्टिनी यहां तक ले आई और मेट्रो वुमन बन गई। कुसुम कहती हैं- मेरी शिक्षिका बनने की इच्छा थी। मार्च 2012 में एक्सीडेंट में पति के मौत के बाद निराश हो गई थी। बेटी अनवी 5 महीने की थी। दिसंबर 2012 में उसका चयन जयपुर मेट्रो में ट्रेन ऑपरेटर के पद पर हो गया।
दिल्ली में ट्रेनिंग पर जाना था, लेकिन बेटी को साथ नहीं ले जाने के निर्देश थे। बेटी 13 महीने की थी। उसे नानी के पास छोड़कर दिल्ली गई। 6 माह की ट्रेनिंग के बीच 3 बार बेटी से मिल पाई। मुझे पता था कि बेटी के लिए मुझे संघर्ष करना होगा। मैं ही संघर्ष नहीं कर रही थी। मेरी बेटी भी मेरे इस संघर्ष में भागीदार थी।
मेरी मां भी संघर्ष कर रही थी। जब भी मैं निराश होती, मां ने हमेशा मेरा हौंसला बढ़ाया। अब बेटी स्कूल जाने लगी है। मैं आज खुश हूं कि बेटी के लिए कुछ कर सकती है। इसके साथ ही मुझे इस बात पर गर्व है कि राज्य में पहली बार चल रही मेट्रो के संचालन में मैं भागीदार बनी हूं। पापा इस बात को लेकर फूले नहीं समा रहे हैं कि जिस बेटी को बाइक चलाने के लिए मना करते थे। अब जयपुर में मेट्रो ट्रेन चलाएगी। दिल्ली मेट्रो में छह महीने मेट्रो चलाने की ट्रेनिंग ली। पहली बार मेट्रो चलाई तो बहुत डरी हुई थी, लेकिन मेट्रो का सिस्टम और उसे चलाना बहुत आसान है। इसके बाद लगभग दो साल से जयपुर आकर मेट्रो चला रही हूं। कई बार ट्रायल रन ले चुकी हूं। इसलिए अब पूरा कॉन्फिडेंस है कि कहीं कोई परेशानी नहीं होगी।
