बालश्रम के उन्मूलन के लिए समाज के हर तबके का सहयोग जरूरी

DSC_0023-12-6-2015-2जयपुर, 12 जून। महिला एवं बाल विकास विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री राकेश श्रीवास्तव ने कहा कि बालश्रम समाज के लिए एक विचारणीय और गंभीर समस्या है। इसके उन्मूलन के लिए सरकारी प्रयासों के साथ स्वयंसेवी संस्थाओं और समाज के हर तबके को आगे आकर सहयोग करना चाहिए।
श्री श्रीवास्तव विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर शुक्रवार को राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग, श्रम एवं नियोजन विभाग एवं सेव द चिल्ड्रन, राजस्थान के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित एक राज्य स्तरीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा भी इस वर्ष की थीम ‘नो टू चाइल्ड लेबर, यस टू क्वालिटी एजूकेशन’ रखा गया है।
उन्होंने कहा कि सम्मेलन में गृह, प्रारंभिक शिक्षा, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता, मानव तस्कर विरोधी इकाई, श्रम एवं नियोजन, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, बाल अधिकारिता, पुलिस (सिविल राइट्स), किशोर न्याय बोर्ड, समेत कई विभागों से जुड़े अधिकारियों और बालश्रम के क्षेत्र में काम कर रहे गैर सरकारी संगठनों को भी बुलाया गया है ताकि बालश्रम की समस्या के निराकरण में महत्वपूर्ण सुझाव मिल सकें। उन्होंने आश्वस्त किया कि यहां से मिले सुझावों को हम क्रियान्वित करने की कोशिश करेंगे, ताकि आने वाले समय में बालश्रम के मामलों में कमी आ सके।
बाल अधिकारिता विभाग की निदेशक श्रीमती हंसासिंह देव ने कहा कि बालश्रम को रोकने के लिए राज्य सरकार ने हैल्पलाइन सेवा शुरू की है, जिसका नंबर 1800 180 6515 है। कोई भी व्यक्ति बिना पहचान बताए बाल श्रमिकां से जुड़ी जानकारी दे सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार हर जगह नहीं पहुंच सकती ऎसे में स्वयंसेवी संस्थाओं के जरिए हम बालश्रम के मामलों में कमी ला सकते हैं। कोई भी स्वयंसेवी संस्था नए विचारों के साथ विभाग से जुड़ना चाहे तो हम उन्हें पूरी मदद करेंगे।
शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव श्री कुंजीलाल मीणा ने कहा कि बालश्रम से मुक्त कराए बच्चाें को शिक्षा का अधिकार के तहत निशुल्क शिक्षा तो दे सकते हैं लेकिन उनके रहने-खाने की सुविधा मुहैया करवाने की भी आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा होने के बावजूद शिक्षा के अधिकार के तहत स्कूलों में सीटें खाली रह जाती हैं। इसलिए यह आवश्यक है कि सरकार के साथ प्रदेश के एनजीओ भी मिलकर ऎसे प्रयास करें कि जरूरतमंद बच्चों को आसानी से शिक्षित किया जा सके।
कार्यक्रम में ‘सेव द चिल्ड्रन’ के स्टेट प्रोग्रामर मैनेजर श्री संजय शर्मा, श्री रमाकांत सत्पथी ने कहा कि बालश्रम के कुचक्र को हम शिक्षा के हथियार से भेद सकते हैं। उन्होंने कहा कि विश्व भर में 5 से 14 वर्ष तक लगभग 120 मिलियन बच्चे बालश्रम में शामिल हैं। उन्होंने कहा कि बाल श्रम निषेध दिवस का विशेष फोकस गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर रहेगा।
कार्यक्रम में श्रम एवं नियोजन विभाग के श्री धनराज शर्मा ने भी अपने सुझाव और अनुभव साझा किए।

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