स्कूली बालिकाओं के साथ पुलिस की बर्बरता का विरोध

Imageटोंक जिले के चोरु(अलीगढ) गांव की छात्रों द्वारा की जा रही शिक्षकों की मांग पर बालिकाओं के साथ हुए लाठीचार्ज पर अनेक जनसंगठन पुलिस महानिदेशक से मिले। साथ ही मुख्य सचिव को ज्ञापन भेजा गया। संगठनों का कहना था कि जब जिला कलेक्टर या जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा बालिकाओं के साथ बातचीत का समय था उस वक्त पुलिस भिजवाकर बालिकाओं के ऊपर लाठी चलवाई गई। संगठनो का मानना है कि स्कूली बालिकाएं शिक्षा के अधिकार के तहत शिक्षकों की कमी की पूर्ती के लिए अगर सड़क पर भी विरोध करने उतर आईं तो यह उनका जायज हक था क्योंकि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हर बच्चे का अधिकार है। बालिकाओं की इस मंशा की सराहना करने के बजाय उनके साथ शारीरिक और मानसिक हिंसा की गई जो किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है और निंदनीय है।
यह राजस्थान सरकार और शिक्षा विभाग के लिए शर्मनाक बात है। अच्छी शिक्षा मांगने के लिए प्रदर्शन कर रही छात्राओं पर वर्तमान भाजपा सरकार, जिला प्रशासन और पुलिस ने क्रूरता एवं संवेदनहीनता दिखाई। बाल न्याय कानून के अनुसार बच्चों के प्रति किसी भी सूरत में किसी भी तरह की यातना नहीं दी जा सकती है । इसके बावजूद पुलिस का यह बर्ताव किशोर न्याय (देखरेख) एवं संरक्षण अधिनियम के तहत दंडनीय है। जब विभिन्न जनसंगठनों का एक प्रतिनिधिमंडल पुलिस महानिदेशक से मिलने गया तो उन्होंने माना कि पुलिस की यह कार्यवाही गलत थी ।उन्होंने समुचित कार्यवाही करने बात भी कही।
समस्त जनसंगठनों की ओर से निम्न मांग की गई –
1. दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ तुरंत एफआईआर दर्ज कराइ जाए।
2. गंभीर रूप से घायल बालिकाओं का मुफ्त इलाज करवाया जाए एवं उन्हें मुआवजा दिया जाए।
3. अस्पताल में भर्ती बलिकाओं एवं स्कूल में अध्ययनरत बलिकाओं से जिला कलेक्टर, जिला शिक्षा अधिकारी मिलने जाए ताकि स्थितियों पुनः सामान्य हो सकें और बालिकाओं के मन में भरोसा कायम हो सके और पुलिस का खौफ भी निकल सके।
4. स्कूल की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए जरुरी मापदंडों को पूरा किया जाए। शिक्षकों की उपलब्धता तुरंत सुनिश्चित की जाए, मूलभूत सुविधाओं को अति शीघ्र पूरा किया जाए।

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