समापन समारोह को नाॅर्वे के राजदूत ने किया सम्बोधित
सम्मेलन के समापन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में नाॅर्वे के राजदूत कैम्स वाॅग व राजनीतिक सलाहकार कुमारी उन्डीस सिंह सहित द हंगर की कंट्री डायरेक्टर रीटा सरीन उपस्थित रही। इस दौरान महिला पंच-सरपंचों में निर्वाचित होने के बाद से अब किए गए कार्यों के बारे में व काम करने में आ रही चुनौतियों के बारे में अपने अनुभव साझा किए।
बारां जिले के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र शाहबाद बेहटा ग्राम पंचायत की सरपंच गायत्री सहरिया ने ग्राम विकास के लिए कार्यों की स्वीकृति की प्रक्रिया के बारे में बताया। उसने कहा कि ग्राम सभा मंे प्रस्ताव लिखवा देने मात्र से कार्य स्वीकृत नहीं हो जाते हैं, निरन्तर अनुगमन करना पड़ता हैं। वहीं शाहबाद ग्राम पंचायत की वार्ड पंच रेशमा बानू ने बताया कि वह पंच बनकर जब ग्राम पंचायत में गई तो सब ने बच्ची समझ कर इग्नोर किया। ऐसा कई दिनों तक चलता रहा लेकिन कार्यशालाओं में जाकर जागरूक हुई और ग्राम सभा में सफाई, पेंशन व विकास के ऐसे मुद्दें रखे कि अब ग्राम पंचायत में जाती हैं तो सभी सम्मान देते हैं।
आबू रोड़ की निचलागढ़ ग्राम पंचायत की पूर्व सरपंच सरमी देवी गरासिया ने बताया कि वह दो बार सरपंच रही। इस बार चुनाव नहीं जीत पाई लेकिन महिला पंच-सरपंचों के सशक्तिकरण के लिए हमेशा तत्पर हैं और महिला पंच-सरपंच संगठन के साथ हमेशा कार्य करेगी।
किसी ने बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए किए गए कार्यों के बारे में तो किसी ने बाल विवाह की रोकथाम के लिए गए कार्यों के बारे में बताया। किसी ने ग्राम पंचायतों के सचिवों की मनमानी के विरूद्ध लिए गए ठोस फैसलों के बारे में बताया।
महिलाओं की भागीदारी के बिना देष प्रगति नहीं कर सकता – कैम्स वाॅग
महिला पंच-सरपंचों के अनुभव सुनने के बाद नाॅर्वे के राजदूत कैम्स वाॅग ने सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि महिला जनप्रतिनिधियों में सामाजिक बदलाव करने का जज्बा नजर आ रहा हैं। उन्हांेने कहा कि महिला पंच-सरपंच सामाजिक बदलाव व ग्रामीण विकास की वाहक हैं।
उन्होंने महिला पंच-सरपंचों को सम्बोधित करते हुए कहा कि अभी तो राजनीतिक कार्यों की शुरूआत हुई हैं, एक वर्ष भी पूरा नहीं हुआ हैं, अभी बहुत आगे जाना हैं। उन्होंने विश्वास दिलाया कि वे महिला पंच-सरपंचों के नेतृत्व को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं की भागीदारी के बिना कोई भी राष्ट्र प्रगति नहीं कर सकता हैं। साथ ही उन्होंने पंच-सरपंचों को कहा कि वे संगठित होकर कार्य करें।
सम्मेलन के बाद प्रेस को सम्बोधित करते हुए कैम्स वाॅग ने कहा कि सम्मेलन में महिला पंच-सरपंचों के अनुभव सुनना रूचिकर रहा। उनके द्वारा किए जा रहे कार्य काबिले तारीफ हैं। यहां वे न केवल अपने द्वारा किए गए कार्यों के बारे में बता रही हैं बल्कि गांव के विकास के लिए, महिला के विकास के लिए व समाज के विकास के लिए आगामी कार्य योजना बना रही हैं। यह बदलाव की तस्वीर हैं।
द हंगर प्रोजेक्ट द्वारा महिला पंच-सरपंचों को सशक्त करने के कार्यक्रम के बारे में कंट्री डायरेक्टर रीटा सरीन ने विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि कार्यक्रम के तहत पंचायतीराज चुनाव से पूर्व अभियान चलाकर महिलाओं को जागरूक किया जाता हैं, पंच-सरपंच निर्वाचित होने के बाद चयनित ग्राम पंचायतों की महिला पंच-सरपंचों में नेतृत्व क्षमतावर्धन का कार्य किया जाता हैं। इसी कार्यक्रम के तहत राज्य स्तरीय सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें महिलाओं ने पिछले एक साल के अनुभवों को साझा किया और आगामी कार्य योजना बनाई।
द हंगर प्रोजेक्ट की राज्य संयोजक शबनम अजीज ने बताया कि पंचायतीराज चुनाव को एक वर्ष पूरा होने वाला हैं। पंचायतीराज चुनाव में निर्वाचित हुई महिला पंच-सरपंचों द्वारा इस दौरान किए गए ग्राम विकास के कार्यों के अनुभव साझा करने, ग्राम विकास के कामों में आ रही समस्याओं के संदर्भ में परस्पर संवाद करने व विकास कार्यों में आ रही चुनौतियों से कैसे निपटा जाए, इस पर चर्चा के उद्देश्य से यह सम्मेलन आयोजित किया जा रहा हैं।
वहीं प्रोजेक्ट के वीरेन्द्र श्रीमाली ने बताया कि महिला पंच-सरपंचों के सशक्तिमकरण के लिए पूरे 5 साल तक कार्य किया जाएगा। उन्होंने बताया कि महिला पंच-सरपंचों को उनके अधिकारों, कर्तव्यों के बारे में जानकारियां देने के साथ-साथ ग्राम विकास में उन्हें आ रही दिक्कतों के समाधान के लिए राज्य सरकार व प्रशासन से पैरवी का काम भी प्रोजेक्ट द्वारा किया जा रहा हैं।
