ग्राम मंडी सामर सिंगा में अभी तक भी मूल भुत सुविधाओं का आभाव

IMG_20160315_103924IMG-20160427-WA0036IMG_20160315_103812बारां । शाहाबाद ब्लॉक की ग्राम पंचायत सनवाड़ा के ग्राम मंडी सामर सिंगा में अभी तक भी मूल भुत सुविधाओं का आभाव है । बिजली, सड़क, पानी, आंगनबाड़ी, माँ बड़ी सहित अन्य कोई सुविधाएं नही है । इस कारण यहाँ के लोग बदहाली का जीवन जी रहे है । गांव में जाने के ग्रेवल सड़क तक नहीं है । लोग पग डंडी पर होकर आते जाते है । आने जाने के लिए यातायात का कोई साधन नही है । चाहे कैसा भी मौसम हो हर मौसम में यहां के लोगो को पैदल चलना पड़ता है । आज भी इस गांव के लोगो ने बिजली नही देखी है । जंगल में होकर आना जाना पड़ता है । इस गांव को देखने के बाद ऐसा लगता है की जंगल में आ गए । जो भी सरकारे आयी और चली गयी मगर किसी भी सरकारों ने इस गांव की सुध नही ली । गांव में आज भी जिधर देखो उधर टपरिया नजर आती है । हालांकि पीने के पानी के लिए हैण्डपम्प लगे हुए है । मगर गर्मी के मौसम में इनका जलस्तर नीचे चला जाता है ।इस कारण लोगो को पीने का पानी भी नसीब नही होता है । और लम्बी दुरी तय कर पीने का पानी लाते है ।राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया के पुत्र सांसद दुश्यन्त सिंह बारां-झालावाड़ लोकसभा क्षेत्र से सांसद है । उसके बाद भी इस गांव में अभी तक सुविधाओ का अभाव है । इसी गांव के सामलिया पुत्र कछेरा, पिस्ता पत्नी सुन्दर लाल, नवलू ने बताया कि यह गांव राजस्व होने के बाद भी सुविधाओं का इंतजार कर रहा है । इन्होंने बताया कि वन अधिकार अधिनियम 2006 से अभी तक भी दावे पेश किये थे । इसी तरह इन लोगो ने 2010 में भी दावे लगाएं थे । आवास हेतु पट्टा लेने के लिए । वहीँ पुनः 2013 में सुनवाई हेतु अपील पेश की । उसके बाद भी लोगो को पट्टे जारी नहीं किए गए । इस कारण इनको सहरिया परियोजना से मिलने वाले आवास का फायदा नहीं मिल रहा है । इस गांव में लगभग 25 परिवार सहरिया समुदाय के निवास करते है । इस गांव की दुरी ग्राम पंचायत मुख्यालय से 5 किलोमीटर व् उपखंड मुख्यालय से 45 किलोमीटर है । इनको इलाज कराने या खरीददारी के लिये देवरी आना पड़ता है । इसके लिए सम्पर्क सड़क साँधरी या धुआँ तक पैदल आना पड़ता है । इसी तरह सनगवा गांव में 35-40 सहरिया परिवार निवास करते है । और जन्म से वन भूमि पर बसे हुए है ।इनको भी मूलभूत सुविधाओ का लाभ नही मिल रहा है । यहाँ भी न बिजली, पानी सड़क, चिकित्सा जैसी सुविधाएं नही मिल रही है । आज भी यह लोग टपरिया बनाकर अपना जीवन जी रहे है । इसी तरह धुआँ में 80 परिवार है । जिसमे से 60 परिवार भील व् 20 सहरिया परिवार है । उसके बाद भी आज तक इनको आवास , पानी, बिजली,की सुविधा नही मिली है । वहीँ नरेगा का काम 2 साल से बंद है । इस कारण कई परिवार पलायन पर है । बहादुर भील, रमेश, शम्भु ने बताया कि 2005 से पुर्व से भूमि पर काश्त कर रहे है । इन्होंने वन अधिकार अधिनियम के तहत व्यक्तिगत दावे 1365 शाहाबाद मेंपेश किये थे । इसी तरह किशनगंज ब्लॉक में 1272 दावे लगाये गए थे । जिसमें से 2013 के बाद से2016 के बीच में शाहाबाद ब्लॉक में 153 व् किशनगंज ब्लॉक में 134 व्यक्तिगत दावो का ही निस्तारण हो पाया है । इसी तरह शाहबाद में 131 व् किशनगंज में 124 कुल 255 सामूहिक दावे ख़ारिज कर दिए । वन समिति द्वारा बिना सुचना के लाभार्तियो के दावे खारिज कर दिए । लाभार्तियो ने पुनः सुनवाई के लिए अक्टूबर 2015 में उपखंड अधिकारी शाहाबाद के यहाँ 350 दावो कीअपील आवास हेतु की थी । इसी तरह सामुदायिक व् व्यक्तिगत दावे लगा रखे थे उन लोगो की जमीनों को वन विभाग ने क्लोजर में ले लिया गया । जैसे मामोनी, संगेसवर पीपलखेड़ी, पुरमपुर है । उन्होंने बताया कि अगर दावा निरस्त कर दिया गया है तो प्रार्थी को लिखित में कारण सहित जानकारी दी जावे । ताकि प्रार्थी 60 दिन के अंदर अंदर उपखंड व् जिला स्तर पर अपील कर सके । वहीँ एक्ट के अनुसार जब तक दावे का निस्तारण नही हो जाता, वन विभाग प्रार्थी को बेदखल नहीं कर सकता और ना ही विभाग उस भूमि को अधिग्रहण करेगा । पत्र क्रमांक f 10 ( 26 ) वन / राज्य स्तरीय निगरानी समिति / टी ए डी / जयपुर दिनांक 1. 8 . 2012 को जयपुर से आदेश निकाला गया था । वहीँ हटरीखेड़ा, गुडरमाल के लोगो ने बताया कि जितनी भूमि का दावा किया था, उतनी भूमि का पट्टा नही मिला है । जिसका का भी अभी तक जवाब नही मिला है । इसी तरह ग्राम पंचायत बिची के गांव अचारपुरा में 15 से 18 परिवार भील समुदाय के निवास करते है । गांव में 3 हैण्डपम्प है । मगर तीनों ही ख़राब है। इस गांव के 20-25 बच्चे बेंहट स्कूल में पढ़ने जाते है । मगर बारिश के मौसम में रास्ते में दो बड़े नाले आते है । इस कारण 4 माह शिक्षा से वंचित रहते है । ना ही आंगनबाड़ी केंद्र है । गांव में अभी तक बिजली भी नही पहुँची है । ग्रामवासियों ने बताया कि पिछले 2-3 साल में नरेगा में दो ही मस्टररोल पर काम किया था । उसके बाद अभी डेढ़ माह पुर्व मस्टररोल जारी की गयी थी, मगर जब लोग कृषि कार्यो में व्यस्त होने के कारण काम नही कर पाये । लोगो ने बताया की नरेगा का काम चालू होना चाइए । लोगो को नरेगा का काम नही मिल रहा है । इस कारण लोग बेरोजगार बैठे है । अभी तक भी यह गांव संपर्क सड़क से नहीं जुड़ा है । इस कारण आने जाने में परेशानी का सामना करना पड़ता है । अभी कई लोग ऐसे है जिन्होंने ई मित्र पर राशनकार्ड बनाने के लिए दे रखे है, मगर अभी तक इनको राशनकार्ड नही मिले है, ई मित्र संचालक का कहना है कि राशनकार्ड की सामग्री नहीं होने के कारण इनको कार्ड नही मिले है । जेसे ही सामग्री आएगी राशनकार्ड बनाकर दे दिए जायेंगे । और ना ही अभी तक इनको बीपीएल आवास मिले है । 2010-2011 में भील समुदाय को बीपीएल में मान लिया था । मगर उसके बाद भी इस समुदाय को बीपीएल का लाभ नही मिल रहा है ।

” ए डी एम् सहरिया परियोजना रामप्रसाद मीणा शाहाबाद ने कहा की बीपीएल में मानने का मतलब यह नही कि कहने से बीपीएल हो जाता है । इसके लिए एस डीओ के पास अपील की जाती हे । उसके बाद ग्राम सभा में इसका अनुमोदन होता है । उसके बाद ही उसको बीपीएल का दर्जा मिलता है । सहरिया समुदाय के लोगो कीभी उस समय अपीलें करवाई गयी थी तब जाकर प्रकिया पुरी होने पर उनको दर्जा मिला था ।
इसलिए चाहे वह किसी भी समुदाय से हो नियमानुसार ही होता है । वहीँ उन्होंने कहा की किशनगंज व् शाहाबाद क्षेत्र जिन लोगो ने वन अधिकार अधिनियम के तहत दावे कर रखे थे ओर वह खारिज़ हो गए थे । उन सभी लोगो को नोटिस देकर पूछा गया कि जो दावा आपने किया था, वह खारिज़ क्यों हुआ उसमे जो कमी रही उसकी पुर्ति कर पुनः अपील कर सकते है । ”

Firoz Khan

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