नीम हकीमों का फैला जाल, ग्रामीणों के स्वास्थ्य से हो रहा खिलवाड़

falsund newsगोपालसिंह जोधा
फलसूंड क्षेत्र में नीम हकीम मरीजों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहे है। पर्याप्त चिकित्सा सुविधा के अभाव में ग्रामीण क्षेत्र के मरीज नीम हकीमों के जाल में फंस रहे है।

इन दिनों मौसम परिवर्तन होने से लोग , जुकाम, खांसी, बदन दर्द, सिर दर्द व वायरल बुखार की चपेट में आ रहे है। नेहड़ क्षेत्र व फलसूण्ड़ में नीम हकीमों की संख्या अधिक है।

फलसूण्ड़ क्षेत्रके अधिकांश गांवों में एएनएम व चिकित्साकर्मियों का टोटा बना हुआ है। ऐसे में लोग उपचार के लिए नीम हकीमों की शरण में जा रहे है।

नीम हकीम भी मरीजों की मजबूरी का पूरा फायदा उठा रहे है। कुछ स्थानों पर नीम हकीमोंं ने अपने क्लीनिक खोल दिए है, तो कई स्थानों पर गांव-गांव व ढाणी-ढाणी जाकर मरीजों का उपचार कर रहे है।

दे रहे हेवीडोज की दवाइयां

नीम हकीम मरीजों को हेवीडोज की दवाई दे रहे है। सामान्य सदी, जुकाम, खांसी व बुखार के मरीजों को हेवी एंटीबॉयोटिक के साथ संबंधित दवाई के कॉम्बीनेशन का हेवी डोज दिया जा रहा है।

दवाई लेने के बाद में मरीज एक ही दिन में खुद को स्वस्थ महसूस करने लगता है। लेकिन इस दवाई का स्वास्थ्य पर साइड इफेक्ट भी पड़ता है। कई बार हेवी डोज की दवाई लेने से मरीज का स्वास्थ्य भी बिगड़ जाता है।

कार्रवाई पर्याप्त नहीं

जिले के हर क्षेत्रमें नीम हकीम मरीजों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहे है। हालांकि प्रशासन व चिकित्सा विभाग की ओर से नीम हकीमों के खिलाफ कुछकार्रवाई भी की जाती है, लेकिन जिले में नीम हकीमों की तादाद देखते हुए यह कार्रवाई नाकाफी है।

नीम हकीमोंं के खिलाफ कार्रवाई के लिए हर ब्लॉक में टीम बनाई हुई है, लेकिन यह टीम भी नीम हकीमों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर शिथिलता बरत रही है।

बिना वैध डिग्री के उपचार

ग्रामीण व दूरस्थ क्षेत्रमें कई कथित चिकित्सक बिना वैध डिग्री के मरीजोंं के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहे है।

अधिकांश नीम हकीम पश्चिम बंगाल व बिहार क्षेत्र के है।उनके पास मरीजों के उपचार के लिए कोई डिग्री या डिप्लोमा भी नही है

गांव-गांव नीम हकीमों का जाल

भीणियाणा क्षेत्र मे प्रशासन व चिकित्सा विभाग की उदासीनता व अनदेखी के चलते नेहड़ क्षेत्र के तकरीबन हर गांव में नीम हकीमों का डेरा है।

जो इलाज के नाम पर सरेआम भोले-भाले ग्रामीणों की सेहत से ना केवल खिलवाड़ कर रहे हैं, बल्कि जनता की जेब की कमाई में भी सेंध लगा रहे हैं।

बावजूद इनके खिलाफ आज तक सख्त कार्रवाईनहीं हो पा रही है। यही वजह है कि साल-दर-साल गांवों में नीम हकीमों की तादाद लगातार बढ़ रही है।

दरअसल, क्षेत्र में चिकित्सा सेवा का अभाव है। ऐसे में गम्भीर बीमारी एवं आपातकालीन स्थितियों में ग्रामीणों को इलाज के लिए गुजरात,जोधपुर जाना पड़ता है।

यही वजह है कि भीणियाणा क्षेत्र के गांवों में बिना डिग्रीधारी आम चौहटों पर दुकान खोलकरी ग्रामीणों का इलाज कर रहे हैं।

इन लोगों का तंत्र इतना विकसित है कि ना तो इनके खिलाफ प्रशासन काई कार्रवाईकरता है और ना ही चिकित्सा विभाग के अधिकारी कुछ बोलते हैं।

हाल यह हैकि यह गोरखधंधा साल-दर-साल बढ़ता जा रहा है।फलसूण्ड़ क्षेत्र के तकरीबन हर गांव-ढाणी में झोलाछाप डॉक्टरों की दुकानें लगी हुई है।

कई बार मरीजों की जान पर बन आती है, लेकिन यह लोग ले-देकर मामला रफा-दफा कर देते हैं।

भीणियाणा क्षेत्र में बीस नीम हकीम

फलसूंड गांव जैसलमेर-बाड़मेर, जोधपुर सीमा पर स्थित है।आम तौर पर यहां प्रशासन और चिकित्सा विभाग के अधिकारियों की पहुंच कम ही रहती है।

ऐसे में गांव में नीम हकीमों ने डेरा डाल रखा है।गांव के आम चौहटे पर ही दवाइयों के साथ ड्रिप तक लगाते हैं।

कानूनी कार्रवाई का प्रावधान

गांवों में नीम हकीमों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर उपखण्ड स्तर पर एसडीएम की अध्यक्षता में ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी, सम्बधित थाना अधिकारी, औषधि नियन्त्रण अधिकारी की ओर से संयुक्त कार्रवाई का प्रावधान है।

अवैध रूप से चिकित्सा करना पाए जाने पर सम्बंधित व्यक्ति के खिलाफ पुलिस में एफआईआर दर्ज करवाने के साथ ही दवाई व जांच के उपकरण जब्त करने का प्रावधान है।

नहीं होती ठोस कार्रवाई

क्षेत्र के हर गांव-ढाणी में यह नीम हकीम ग्रामीणों का अवैध रूप से इलाज कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन व चिकित्सा विभाग की ओर से असरकारक कार्रवाई नहीं होने से यह लोग बेखौफ होकर ग्रामीण जनता की सेहत से खिलवाड़ कर रहे हैं।

कई बार छोटी-मोटी कार्रवाई करके खानापूर्ति की जाती है।जिससे ये लोग कुछ ही दिनों में दोबारा अपनी दुकान लगा देते हैं।

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