जिन्दा लोगों को बता दिया मृत, सामाजिक सुरक्षा पेंशन में भयंकर लापरवाही

अभियान द्वारा सभी रोकी गई 10 लाख पेंशनर्स के सत्यापन व लापरवाह कार्मिकों के खिलाफ कार्यवाही की मांग

jaipur samacharफ़िरोज़ खान बारां, ( राजस्थान )जयपुर,
राजस्थान में पेंशन के सर्भौमिकरण की मांग लम्बे समय से रही और इसके लिए आन्दोलन भी हुए उसके उपरांत 2012 में कर दिया गया लेकिन पेंशन राशि अभी 500 रुपये प्रति माह व 75 वर्ष से अधिक बुजुर्ग व्यक्तियों को 750 रुपये प्रति माह दी जा रही है. 2015 के अंत तक राज्य में 68 लाख पेंशनर्स थे जिनमें से 10 लाख लोगों की पेंशन रोक दी गई है. जिसके आंकड़े हमें सम्बंधित विभाग से ही प्राप्त हुए हैं जिन्हें हम संलग्न भी कर रहे हैं. रोकी गई पेंशन में कई प्रकार की श्रेणियां बताई गई हैं और उन श्रेणियों के अलावा भी एक अन्य(others) श्रेणी बताई गई है जिसमें कारण स्पष्ट ही नहीं. जिनमें कारण स्पष्ट भी हैं उनमें भी बिना किसी सत्यापन और जाँच के लोगों की पेंशन रोक दी गई है और लोग अपनी पेंशन पाने के लिए दिन-प्रतिदिन दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं.
जिन्दा लोगों को बता दिया मृत: आंकड़ों से पता चलता है कि जो 10 लाख पेंशन बंद की गई हैं उनमें से लगभग 3 लाख लोगों की पेंशन यह कहते हुए बंद की गई है कि उनकी मौत हो चुकी है. 22 जून 2016 को जब शहीद स्मारक पर चल रहा जवाबदेही धरना समाप्त हुआ और सभी लोग अपने-अपने इलाके में गए तो सबसे पहले मजदूर किसान शक्ति संगठन(MKSS) के लोगों ने अपनी पंचायत समिति (पंचायत समिति भीम, जिला राजसमन्द) से वहां पर जिन लोगों को मृत मानकर पेंशन रोक दी गई थी उनकी सूची ली और कुशलपुरा ग्राम पंचायत के केवल एक गाँव चोक हीरात में विभाग द्वारा मृत दिखाए गए लोगों का घर-घर जाकर सर्वे किया गया जिसमें विभाग द्वारा 11 लोगों को मरा हुआ बताकर पेंशन रोक दी गई थी उसमें से 9 अभी भी जिन्दा हैं. इसी प्रकार जब कुशलपुरा ग्राम पंचायत का सर्वे किया गया गया तो कुल 21 लोग ऐसे मिले जो अभी भी जिन्दा हैं लेकिन उनकी पेंशन उनको मृत मानकर रोक दी गई है. इसी प्रकार पंचायत समिति की टोगी ग्राम पंचायत में एक रेंडम सर्वे किया गया है जिसमें पाया गया है कि जीवित लोगों को मृत बताकर पेंशन रोक दी गई है.
जिनका कोई कारण ही पता नहीं: कुल 10 लाख रोके गए पेंशन में से 2 लाख 38 लोगों के आगे कारण में अन्य(others) लिखा हुआ है जिसका कोई मतलब समझ नहीं आता है. जब बंद करने की श्रेणियां दी हुई हैं उनके अलावा भी इतने लोगों को अन्य कारण बताकर बंद कर देना राज्य सरकार के गैर जिम्मेदाराना और असंवेदनशील रवैया की ओर इंगित करता है और यह बताता है कि राज्य सरकार राज्य के बुजुर्गों, विधवाओं और विकलांगों के प्रति कितनी उदासीन है.
10 लाख बंद पेंशन में से 7 लाख 60 हजार को किया निरस्त: राज्य में जो कुल लगभग 10 लाख लोगों की पेंशन रोकी गई है उनमें से 7 लाख 60 हजार लोगों की पेंशन तो निरस्त ही कर दी गई है और निरस्तीकरण के आदेश में लिखा गया है कि जिसकी पेंशन निरस्त हो जाएगी उसे वापस आवेदन पत्र भरकर ही फिर से पेंशन चालू की जाएगी यदि वह पेंशन पाने के लिए पात्रता रखता है या रखती है.
सरकारी कार्मिकों की गलती से पेंशन बंद हुई, राजसमन्द जिले के भीम में 8 को पुनः शुरू की लेकिन बाकी राजस्थान के लोगों का क्या होगा: अभी हाल ही में कुछ दफ्तरों में जब लोग गए जिनकी पेंशन बंद हो गई है तो उनको कर्मचारियों की ओर से जवाब मिला कि आपकी पेंशन तो बंद हो गई यदि आपको वापस शुरू करानी है तो आप नया आवेदन भरकर लाओ हम उसे आगे भेज देंगे उसके बाद आपकी पेंशन शुरू हो जाएगी. राजसमन्द जिले की भीम पंचयत समिति में कुल 23 लोगों को मृत बताकर पेंशन रोकी गई उनमें से 8 लोगों की पेंशन कल दिनांक 05 जुलाई को शुरू कर दी गई और उन्हें पिछला बकाया भुगतान भी कर दिया जायेगा, आज भीम में ही 14 अन्य लोगों की सूची दी गई जिनको मृत बताया गया है लेकिन वे जिन्दा है और पेंशन की आशा में बैठे हैं उनके मामले में क्या कार्यवाही होती है ये आगे पता चलेगा. इसी प्रकार राजस्थान के 33 जिलों में पता नहीं कितने लोग होंगे जिनको मरा बताकर उनकी पेंशन रोक दी गई है उनका क्या होगा यह तो राजधानी में बैठे आल अधिकारी ही तय करेंगे. वैसे होना तो यह चाहिए कि जिनकी पेंशन गलत वेरिफिकेशन के कारण से बंद की गई है उन सभी की वापस शुरू की जाये और ये गलत वेरिफिकेशन करने वाले कर्मचारियों और अधिकारीयों की तनख्वाह से बकाया पेंशन राशि वसूली जानी चाहिए जितने दिन से उन लोगों की पेंशन रोकी गई है.
यात्रा एवं धरने के दौरान लोगों ने की पेंशन नहीं मिलने की शिकायत: एक दिसंबर 2015 से जब जवाबदेही यात्रा राजस्थान के प्रत्येक जिले में गई तो सभी जिलों में लोगों ने यात्रा में आकर यह शिकायत दर्ज कराई कि उनकी पेंशन का भुगतान नहीं किया जा रहा है. यात्रा के दौरान एवं बाद में वे लगातार पंचायत समिति और ग्राम पंचायत के चक्कर लगाते रहे कि उनकी पेंशन क्यों नहीं आ रही है लकिन किसी ने कोई संतुष्टिपूर्ण जवाब नहीं दिया. जवाब दो धरने के दौरान भी बहुत लोग राज्य के लगभग 25 जिलों से आये और उन्होंने बताया कि उनकी पेंशन कई महीनों से नहीं आ रही है. धरने के दौरान 20 जून 2016 को प्रमुख शासन सचिव सामाजिक न्याय अधिकारिता के साथ बैठक हुई जिसमें 10 लाख पेंशन रोके जाने से सम्बंधित आदेश हमें प्राप्त हुए.
अभियान की ओर से सभी के सत्यापन और जाँच गलत बंद किये गए पेंशनर्स की बकाया राशि के भुगतान की मांग: जब अभियान को लगभग 10 लाख लोगों के पेंशन रोके जाने जिनमें से 7 लाख 50 हजार की निरस्त किये जाने के आंकड़े मिले तो अभियान की ओर से मांग की गई कि विभाग द्वारा सभी श्रेणियों में रोकी गई पेंशन का वेरिफिकेशन कराया जाये और किसी एक जिम्मेदार कर्मचारी या अधिकारी का प्रमाण पत्र लिया जाये कि अमुक व्यक्ति जिन्दा है या नहीं इसी प्रकार अन्य जिस भी श्रेणी में रोकी गई है उसका वेरिफिकेशन कराया जाये जो गलत पाए जाएँ उनकी रोकी जाये लेकिन जो बुजुर्ग पहले से ही इतनी कठिन जिन्दगी जीने को मजबूर हैं उनको इस प्रकार से सताना बंद किया जाये. बिना सत्यापन और लोगों को सूचना दिए किसी की पेंशन नहीं रोकी जाये. जिन लोगों की पेंशन कर्मचारियों और अधिकारियों द्वारा गलत वेरिफिकेशन या रोके जाने के कारण पिछले एक साल या अधिक समय से या 6 महीने से नहीं आई हैं उन सभी को उतने दिन का भुगतान मय ब्याज के किया जाये और जिम्मेदार अधिकारीयों और कर्मचारियों पर इस हेतु जुर्माना लगाया जाये. राज्य सरकार द्वारा दिसंबर से फरवरी के बीच में जारी किये आदेशों को वापस लिया जाये.
इसलिए जरुरत जवाबदेही कानून की: राज्य जिस प्रकार अंधाधुंध तरीके से गरीब लोगों की पेंशन रोकी गई चाहे वे जिन्दा है तब भी उनको मरा हुआ बता दिया गया है इसी प्रकार अन्य कारण लिख दिया गया है जिसका अभी तक कोई अता-पता ही नहीं है कि रोके जाने का कारण क्या है. बुजुर्ग, विधवा, विकलांग पेंशन के लिए दफ्तरों के चक्कर पर चक्कर लगा रहे हैं लेकिन उनको ना तो कोई जवाब मिल रहा है और ना ही पेंशन. इसलिए हम पिछले समय से एक जवाबदेही कानून की मांग कर रहे हैं जिसमें कर्म्चाह्रियों और अधिकारीयों का जॉब चार्ट बने और वे उसके अनुसार काम नहीं करे तो उनके ऊपर जुर्माना लगाया जाना चाहिए. इस पेंशन के मामले में भी विभाग द्वारा जवाबदेही का एक ढांचा बनाया जाये जिसमें अभी जिन भी कर्चारियों की गलती की बजह से यह पेंशन रोकी गईं हैं उन पर पेनल्टी लगे जाये और इसे राज्य सरकार के सभी विभागों के लिए लागू किया जाये.

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