अखिल भारतीय साहित्य परिशद ने संत कवि गोस्वामी तुलसीदास जी की मनाई जयन्ती

baran samacharबारां, 11 अगस्त। संत कवि गोस्वामी तुलसीदास की जयंती वंदना सीनियर सैकण्डरी स्कूल बारां में साहित्य परिशद के प्रदेष उपाध्यक्ष के मुख्य अतिथि कवि बृजराज यादव विजयपुर व विषिश्ठ अतिथि एवं वंदना सीनियर सैकण्डरी स्कूल के संस्थापक व प्राइवेट स्कूल एसोसियषन के जिलाध्यक्ष पदमकुमार अग्रवाल की अध्यक्षता में विचार एवं काव्यगोश्ठी का आयोजन किया गया। साहित्य सचिव एवं प्रेस प्रवक्ता राजेष पंकज ने बताया कि जिला संयोजक ओमप्रकाष षास्त्री ने तुलसीदास की जीवनवृत पर प्रकाष डाला एवं तुलसीदास को समन्वयवादी, सांस्कृति पौशिक, विष्व का आदर्ष कवि व सन्त अताया है। विषिश्ठ हास्य व्यंग्य कवि सुरेष भार्गव ने सरस्वती की वंदना से प्रारम्भ की। काव्य एवं विचार गोश्ठी का संचालक भैरूलाल भास्करने यों परवान चढ़ाया कि ”रिमझिम बदरा बरस रहे घनघोर, चहुंओर आ रही सुगन्ध कचनार की, बिजली की चमंचम-चमंचम घनन घटा का घोर, तन में लगी है तीर सी बुन्दे फूवांर की मौसम मस्ताना हुआ मन भी है मदहोष धडिया समीप आई मौज मनुहार की, प्रीत की पावस में नहाये सब मिलकर छेडे गीत , गुज़ल कविता श्रृंगार की। कवि बच्छराज ने ” तुमको गीत सुनाने को मेरा मन करता है ” गीत पढ़ा, हेमराज बंसल ने ” देख जमाने को फेर छानो” हाडौती रचना से प्रेरणा दी। कवि विश्णु सहज ने ” तुलसीदास मानव नहीं साधारण तुलसी है असाधारण मन से मानस पढियें करा ध्यान से धारण ” तुलसीदास पर काव्यपाठ का गोश्ठी को उंचाईयां दी। कवि राजेष पंकज रंगीला ने ” वो घर में घुसकर हमारे हमें ललकार जाता है, और आमषिर्फ चेतावनी देते हो और कितना बर्दास्त करेंगे। इस रचाना से हाडौती पर कटाक्ष कियय गया। कवि छीतरलाल पांचाल ने ” बडे बडाई खूब करे-बडे बडाई खूब करे, बोले बोल अपराधों के काम से इनकार रहता रोल व्यंग्य दोहे पढ़े। गीतकार हरि अग्रवाल ने ” गाय भैंस बकारी नहीं अपने घर में एक, दूध दही भी बैचते डेरी खुती अनेक ” दोहा के माध्यम से बताया गया। कवि रादिल कण्डारा ने ” कैया रूस गौरी तु म्हारी जीवन का बारे में सोच तो सही , थारी याद वकं हूं घणी-घणी पारिवारिक हाडौती गीत सुनाया। कवि डाॅ. मनोज सिंगोरिया ने ” गुरू तत्व में जानिये फैला सफल जहान भौतिक गुरू प्रतिनिधि कहलाता भगवान ” आध्यत्मिकता से अैत-पौत दोहे सुनाये गये। कवि बृजराज यादव ने मुकतक ” गिराकर के किसी को हम आगे आया नहीं करते, किसी का छीन करके हक हम खाया नही करते, खुले आकाष में बैखौफ हो परवान भरते है, परिन्दे है कि आकास में यों इकरामा नहीं करते। प्रद्युम्न वर्मा ने गौस्वामी के साहित्य साधना और विष्व को प्रेरणावादी रामचरित्रमानस वकव्य दिया। अन्त में पदमकुमार अग्रवाल ने सबकों धन्यवाद व आभार व्यक्त किया। राश्ट्र को नमन करने के लिए 14 अगस्त को सुबोध सीनियर सैकण्डरी स्कूल तेलफेक्ट्री बारां में सांय 7 बजे सायंकाल गौश्ठी रखी गई है। सभा के अन्त में हाडौती के विख्यात कवि षायर रषीद अहमद पहाड़ी छीपाबडौद के निदन पर दो मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धाजंली दी गई। तथा उनकी काव्य साधना को याद किया गया है।कवि रामनिवास डांगोरिया, सुरेष भार्गव, सूर्यप्रकाष चतुर्वेदी आदि अधिक संख्या में व्यक्ति मौजूद थे।

फ़िरोज़ खान बारां राजस्थान

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