भूरसिंह जाम
रामगढ जैसलमेर
केन्द्र व राज्य सरकार की ओर से परंपरागत पेयजल स्त्रोतों के संरक्षणए उनके आगोर की सुरक्षा को लेकर निरन्तर प्रयास किए जा रहे हैं। राज्य सरकार की ओर से भी मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन योजना के अंतर्गत जलनिधि बचाने व बारिश के पानी को संग्रहित करने के लिए पुराने तालाबो के संरक्षण पर लाखों रुपए की धनराशि खर्च की जा रही है। वहीँ रामगढ कस्बे के दक्षिण दिशा में ग्राम पंचायत अपनी एक आवासीय कॉलोनी के आवंटन के लिए कस्बे के मुख्य तालाब दले की तलाई के आगोर की भूमि को चिन्हित कर रही है। ध्यान रहे बीते दिनों ग्राम रामगढ की आबादी भूमि को बढ़ाया गया था जिसमे यह तालाब आबादी भूमि के अंदर आ गया है। ग्राम पंचायत आनन् फानन में यंहा पर लोगों को आवासीय भूखंड देने के लिए तालाब के आगोर की जमीन को चिन्हित कर रही है । जानकारों की माने तो अगर यंहा आवंटन होता है तो इस आगोर में कुल एक सौ से डेढ़ सौ भूखण्ड आवंटित किये जायेंगे लेकिन बारिश के दिनों में इन भूखण्ड प्राप्त ग्राम वासियों को बेघर होने की नोबत आ सकती है क्योंकि जिस तालाब के आगौर में यह भूखंड आवंटित करवाने के लिए भूमि को चिन्हित किया जा रहा है उसी तालाब को ग्राम पंचायत मनरेगा योजना के द्वारा गहरा करवा चुकी है तथा इस तालाब को वर्षा जल से भरने के लिए इसके आगे एक मजबूत पाल का निर्माण करवा चुकी है जिससे बारिश के दिनों में यह तालाब पानी से भरा रहता है। ग्राम पंचायत वर्षाजल के मार्ग पर ही अपनी आवासीय योजना की भूमि को चिन्हित कर रही है जिससे इस आवासीय योजना पर धरातल पर आने से पूर्व ही संशय की स्थिति बनी हुई है । गौरतलब है कि बारिश के दिनों में रामगढ के मुख्य बाजारएराघवा रोडएऔर आसुतार रोड की तरफ पानी की सर्वाधिक आवक रहती है।
कई तालाबो की अभी तक नही हो पाई है साफ सफाई
इस बारिश के मौसम से पहले अगर तालाबो की मरम्मत एवम् साफ सफाई की गई होती तो भारी मात्रा में वर्षा जल को सहेजा जा सकता था लेकिन ग्राम पंचायत रामगढ के अंतर्गत आने वाले दर्जनों तालाब अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहे है। कंटीली झाड़ियों की वजह से यह तालाब अपने पुराने स्वरूप को खोते जा रहे है।कस्बे के पास स्थित भोजराज की तलाईए धोधे की तलाई अल्लू की तलाई समेत लगभग एक दर्जन तालाबों की यही स्थिति है। मनरेगा में होने वाले अधिकाश कार्य केवल तालाबो को गहरा करने व उनकी पाल को मजबूत करने के लिए ही होते है लेकिन तालाबों के आगोर में उगे कांटेदार बबूलों की सफाई नहीं की जाती है। अगर समय रहते इन तालाबो से इन कांटेदार बबूलों की सफाई की जाये तो वर्षाजल पशुओ एवम् आमजन के लिए सुचारू रूप से उपलब्ध हो सकेगा।