जुबानी नहीं, जवाबी हमला करे सरकार

शहीद परिवार को चाहिए शहादत का बदला, निंबसिंह रावत के परिवार से खास बातचीत

img_2681शांतिप्रिय देश की सरहद पर शैतान हर रोज साजिश रच रहा है। आतंकी हमले में 18 जवान शहीद हो जाने के बावजूद सरकार सिर्फ जुबानी हमले कर रही है। सरकार के सियासी बयानों को लेकर शहीद परिवार में नाराजगी है। राजस्थान के शहीद निंबसिंह रावत का परिवार भी अपने लाड़ले की शहादत का बदला लेने को बेताब है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा केरल में दिए गए भाषण के बाद सुमित सारस्वत ने राजवा गांव जाकर शहीद परिवार से मुलाकात कर जानी उनके मन की बात…

राजवा (राजसमंद)। ‘नक्शे पर से नाम मिटा दो, पापी पाकिस्तान का…’ सरहद पर हो रहे शैतानी हमले के बाद हर देशभक्त के दिल-ओ-दिमाग में इन दिनों पड़ौसी पाकिस्तान के खिलाफ आक्रोश है। उरी के आतंकी हमले में शहीद हुए राजस्थान के निंब सिंह रावत का परिवार भी शहादत का बदला मांग रहा है। अपने मासूम बेटे चंदन को गोद में लेकर बैठी शहीद की पत्नी रोड़ी देवी आतंकी देश पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए अपने बेटे-बेटियों को भी फौज में भेजना चाहती है। वो चाहती है आतंकवाद का अंत हो। दादा व पिता की तरह बच्चों में देशभक्ति का जज्बा जगाने के लिए चंदन के हाथ में तिरंगा थमा रखा है। वो कहती है देश की रक्षा करते हुए सुहाग उजड़ गया। अगर सरहद को सुरक्षित रखने में गोद भी सूनी हो जाए तो गम नहीं होगा।
घर के बाहर चबूतरे पर गमगीन माहौल में शहीद की तस्वीर के समक्ष बैठे रासूसिंह भी अपने भाई की शहादत का बदला चाहते हैं। वे कहते हैं कि आतंकवाद के खिलाफ आवाज बुलंद करने के लिए हमारी सरकार अन्य देशों की मदद लेकर पाकिस्तान को सबक सिखाए। पाक के नापाक इरादों पर लगाम कसने के लिए करारा जवाब देना जरूरी है। सिर्फ जुबानी हमलों से काम नहीं चलेगा। दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देना होगा। तभी देश की सरहदें सुरक्षित रह पाएगी।

पूर्व सैनिकों में भी उबाल
दोस्ती के जवाब में दुश्मनी निभा रहे पाकिस्तान के खिलाफ देश के पूर्व सैनिकों का खून भी उबाल पर है। फौज में रहकर दुश्मनों से लोहा लेने वाले भीम निवासी रिटायर्ड सैनिक उदय सिंह सरकार को कोसते हुए कहते हैं कि पूर्व में पाकिस्तान जब सैनिकों के सिर काटकर ले गया तब यदि सरकार ने सबक सिखाया होता तो शायद दुश्मन देश दुबारा हमला करने की हिमाकत नहीं करता। हमारा देश सैनिकों की सतर्कता से ही सुरक्षित है। सैनिक सर्दी, गर्मी, बरसात को सहन करते हुए सरहदों की सुरक्षा के लिए तैनात है, तभी हम आराम से सो रहे हैं। सरकार को सैनिकों का मनोबल बढ़ाना चाहिए। आखिर यह देश कब तक ऐसे ही जवानों की शहादत का नुकसान उठाता रहेगा।

पूरा गांव आतंकवाद के खिलाफ
ग्रामीणों ने बताया कि राजवा गांव भारत माता के बेटों का गांव है। इस गांव में करीब 10 से 12 फौजी हैं। फौजियों पर गर्व महसूस करते हुए हर ग्रामीण आतंकवाद को सबक सिखाने के लिए तैयार है। निंबसिंह के पिता केसर सिंह भी फौजी थे। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 7 साल जर्मनी की जेल में रहने के बाद वह एक साल राजवा गांव में रहे और फिर 29 साल तक राजस्थान पुलिस भीलवाड़ा में अपनी सेवाएं दी। पिता की चाहत के लिए ही निंबसिंह फौज में भर्ती हुए थे।
-राजवा से सुमित सारस्वत की रिपोर्ट।

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