पेंशन के लिए अब कतार में खड़ी नहीं होतीं नानू, मूली और पेपा

bikaner samachar‘बैशाखी के सहारे चलने वाली अस्सी साल की नानू देवी को अब पेंशन के लिए कतार में खड़ा नहीं होना पड़ता और मूली को पेंशन की राशि पाने के लिए अब डाकिए का इंतजार करने की जरूरत नहीं। पेपा को भी जब पैसों की जरूरत होती है तो वह बैंकिंग संवाददाता (बी.सी.) से माइक्रो एटीएम के माध्यम से गांव में ही पैसे प्राप्त कर सकती है।

यह सब संभव हो पाया है मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे की दूरगामी एवं संवेदनशील सोच की बदौलत प्रारम्भ हुई, भामाशाह योजना के कारण। महिला सशक्तिकरण, वित्तीय समावेशन एवं विभिन्न योजनाओं का प्रत्यक्ष एवं त्वरित लाभ सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में हस्तांतरित करने के उद््देश्य से राज्य सरकार द्वारा प्रारम्भ की गई इस योजना ने ग्रामीण क्षेत्रों में नई ऊर्जा का संचार कर दिया है। अब विभिन्न योजनाओं के लाभार्थी, उन्हें दी जाने वाली राशि को बिना किसी बिचौलिये के प्राप्त कर रहे हैं। कुछ ऎसी ही कहानी है बम्बलू की अस्सी वर्षीया नानूदेवी, मूलीदेवी और पेपा की।

बीकानेर पंचायत समिति की ग्राम पंचायत बंबलू में बैशाखी के सहारे चलने वाली 80 वर्षीया नानूदेवी पत्नी हरजीराम, कुछ वर्ष पूर्व घर में ही गिरने के बाद पैरों से लाचार हो गई। ऎसी विषम परिस्थितियों में पेंशन प्राप्त करने में उसके पसीने छूट जाते थे। चलने की असमर्थता, गर्मी-सर्दी जैसी प्रतिकूलताओं के बीच डाकघर जाना व पेंशन लाने में शारीरिक थकावट के साथ लगभग 50 से सौ रूपये खर्च भी हो जाते। कईं बार डाकिया गांव के डाकघर में मिलता, कभी नहीं मिलता। डाकिए के नहीं मिलने मानसिक कष्ट के साथ झुझलाहट होती, लेकिन अब गांव में ही एसबीबीजे के ग्राहक सेवा केन्द्र के बनने और वहां बैंकिंग संवाददाता के नियुक्त होने से नानूदेवी की पेंशन राशि प्राप्त करने की समस्या दूर हो गई है।

इसी प्रकार श्रीमती मूली पत्नी केसराराम भी पेंशन के समय पर नहीं आने पर दुःखी थी। डाकिए के इंतजार में खेत भी नहीं जा पातीं। कभी दस तो कभी पंद्रह तारीख तक डाकिया नहीं आता, लेकिन अब उसे किसी का इंतजार नहीं करना पड़ता। भामाशाह योजना से जुड़ने के बाद अब पेंशन सीधे उसके खाते में जमा हो जाती है। अब उसके परिवार का कोई सदस्य साथ चले या नहीं चले, बी.सी. के माध्यम से वह स्वयं सुगमता से पेंशन राशि प्राप्ति कर लेती है।

और तो और, मेहनत-मजदूरी करके अपने बच्चों का पेट पालने वाली 65 वर्षीय पेपा पुत्री लिखमाराम को भामाशाह कार्ड से अनेक लाभ हुए हैं। पहले पेंशन आती, सीधे खर्च हो जाती। बैंक में खाता खोलने के बाद उनकी बचत की भी आदत हो गई। उसने बताया कि आवश्यकता पड़ने पर ग्राम के सेवा केन्द्र में जाकर राशि उठाकर जरूरत को पूरा कर लेती हूं।

-हरि शंकर आचार्य
सूचना एवं जनसंपर्क कार्यालय, बीकानेर

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