कुष्ठ रोग उन्मूलन हेतु चिकित्साधिकारियों की कार्यशाला आयोजित

राज्य कुष्ठ रोग अधिकारी डॉ. रामावतार जायसवाल ने कुष्ठ रोग के पहचान व उपचार की जानकारी दी

img_20161104_155809राष्ट्रीय कुष्ठ रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एन.एल.इ.पी.) के तहत शुक्रवार को स्टेशन रोड़ स्थित होटल के सभागार में चिकित्साधिकारियों की कार्यशाला का आयोजन किया गया। प्रशिक्षण देने जयपुर से आए राज्य कुष्ठ रोग अधिकारी डॉ. रामावतार जायसवाल व नॉन मेडिकल सुपरवाइजर दिनेश चन्द्र शर्मा ने कुष्ठ रोग के लक्षण, पहचान ,जॉंच व निदान की जानकारी दी। डॉ. जायसवाल ने बताया कि कुष्ठ एक बैक्टीरिया जनित तंत्रिका तंत्र संबंधित बीमारी है जिसका 6 से 12 माह में एमडीटी (मल्टीड्रग थैरेपी) से पूर्णतः ईलाज संभव है । यदि त्वचा पर सामान्य रंग से हल्का या लाल या तांबीय संवेदनहीन/अल्प संवेदी धब्बा हो जो लम्बे समय से धीरे-धीरे बढ. रहा हो तथा सामान्य उपचार से ठीक न हो रहा हो तो वह कुष्ठ रोग हो सकता है जिसका प्रारम्भिक स्थिति में एमडीटी से ईलाज न करवाने पर शारीरिक विकृति आ सकती है। कुष्ठ के बैक्टीरिया शरीर के अपेक्षाकृत ठंडे भागों जैसे त्वचा, नासिका व ईयर लॉब्स में पनपते हैं तथा लम्बे समय तक रोगी के सम्पर्क में रहने पर उसके नासिका द्रव्य तथा त्वचा के माध्यम से फेैेलता है । 98 प्रतिशत लोग प्राकृतिक रूप से इस बीमारी के प्रति प्रतिरोधक क्षमता रखते है अर्थात मात्र 2 प्रतिशत लोग ही इस बीमारी से ग्रसित हो सकते हैं।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. देवेन्द्र चौधरी ने जानकारी दी कि एमडीटी से ईलाज शुरू करते ही रोगी असंक्रामक हो जाता है अतः कुष्ठ रोगी की सेवा पूर्णतः सुरक्षित है। उन्होंने महात्मा गाँधी का उदाहरण देते हुए बताया कि उस जमाने में भी गांधी जी कुष्ठ रोगियों की सेवा कर आमजन के प्रेरणा स्रोत बने। उन्होंने सभी चिकित्साधिकारियों को कुष्ठ रोगियों की खोज कर पूर्ण उपचार करवाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि सरकार के प्रयासों से कुष्ठ रोग का नियंत्रण तो हो गया है किन्तु समूल समाप्ति आज भी नहीं हो पाई है अतः उक्त प्रशिक्षण फील्ड स्टाफ ही नहीं आशा सहयोगिनी तक भी पहुंचे क्यों कि सभी सतर्क रहेंगे तभी कुष्ठ का उन्मूलन संभव है।
एन.एम.एस. दिनेश चन्द्र शर्मा ने बताया कि माइको बेक्टी लेपरी नामक बेक्टीरिया द्वारा जनित इस रोग से किसी भी बुरी से बुरी अवस्था में पहुंचे रोगी का भी पूर्ण इलाज एमडीटी द्वारा संभव है। आधुनिक भारत देश में आज भी अगर कोई कुष्ठ रोग को पिछले जन्म के कर्मों का परिणाम या देवी-देवताओं का प्रकोप कहे तो इससे हास्यास्पद क्या होगा।
प्रशिक्षण में राज्य कुष्ठ सलाहकार डॉ. अरुण महाजन, जिला स्तर से प्रशिक्षक उप मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (स्वा.) डॉ. इन्दिरा प्रभाकर व डॉ. नवल गुप्ता ने एमडीटी से पूर्ण इलाज प्रक्रिया व फोलोअप की विस्तृत समीक्षा की। कार्यशाला में सहायक लेखाधिकारी बजरंग व्यास, जिला आई.ई.सी. समन्वयक मालकोश आचार्य व जी.एन.एम. इला भाटी सहित ग्रामीण सीएचसी-पीएचसी व शहरी पीएचसी के चिकित्सा अधिकारी उपस्थित रहे। दो दिवसीय कार्यशाला के दूसरे चरण में शानिवार को स्वास्थ्य भवन में प्रातः 11 बजे डॉ. जायसवाल द्वारा जिला चिकित्सालय व ग्रामीण क्षेत्रों के नव नियुक्त चिकित्साधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी
बीकानेर

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