सुनहरे जीवन के सपनों की तामीर को लेकर कुवैत गए राजस्थान के अनेक लोग वहां कथित तौर पर वीज़ा उल्लंघन के आरोपों में फंस गए हैं. इनमें से कुछ लोगों ने अपने परिजनों को इत्तिला दी है कि उन्हें हिरासत में ले लिया गया है.
ऐसे लोगों की तादाद कोई एक हज़ार से ज़्यादा है. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस पर चिंता व्यक्त की है और भारत के विदेश मंत्री को चिट्ठी लिखी है.
कुवैत में वीज़ा नियमों के उल्लंघन में फंसे लोगों में ज़्यादातर दक्षिण राजस्थान में वागड़ अंचल के बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ और डूंगरपुर ज़िलों से हैं.
राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्रजीत मालवीय ने बीबीसी को बताया कि कुवैत में जो लोग संकट का सामना कर रहे हैं उनमें काफी लोग दक्षिण राजस्थान के हैं.
उन्होंने कहा, “हम अपने स्तर पर मदद का प्रयास कर रहे हैं, राज्य सरकार केंद्र सरकार से सम्पर्क बनाए हुए है, जल्द ही कोई रास्ता निकलेगा.”
ख़ादिम वीज़ा
इन लोगों के ख़्वाबों की इमारत उस वक्त एकाएक टूटी जब कुवैत पुलिस ने अनेक स्थानों पर छापे मारे और ‘खादिम वीज़ा’ पर काम कर रहे लोगों को हिरासत में ले लिया.
मुसीबत में फंसे लोगों ने परिजनों को जैसे-तैसे फ़ोन पर इत्तिला दी और सहायता के लिए आग्रह किया.
बांसवाड़ा में स्थानीय लोगों ने बताया कि कोई 1800 लोगों पर ये संकट आया है.
इनमें से ज़्यादातर लोग छोटी नौकरी करनेवाले हैं और कर्ज़ लेकर कुवैत गए हैं. अब उन्हें कुवैत सरकार वापस भारत भेज सकती है.
डूंगरपुर के फ़िरोज़ के परिजन उसकी ख़ैर खबर को लेकर बहुत परेशान हैं. कोई एक साल पहले ही वो कुवैत गए थे.
फ़िरोज़ के एक रिश्तेदार जावेद ने बीबीसी को बताया कि 18 सितंबर को कुवैत पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया. तब से उसकी खबर नहीं है.
उन्होंने कहा, “मेरी कल उसके एक रूम पार्टनर से बात हुई, लेकिन फिरोज से बात नहीं हो पाई है. वो कर्ज लेकर कुवैत गया था, अगर उसे वापस भेज दिया गया या जेल में डाल दिया गया तो पूरे परिवार के लिए जीवन और भी कठिन हो जाएगा क्योंकि फ़िरोज़ ने कुवैत जाने के लिए कर्जा लिया था.”
जावेद का कहना है कि उनके ज़िले के कई लोग फिरोज़ की भांति ही फंसे हुए हैं. हर फोन की घंटी यूं उम्मीद जगाती है कि जल्द ही कोई खुशखबरी आएगीय
परिजनों के लिए गुहार
दक्षिण राजस्थान में डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, उदयपुर, सागवाड़ा और धरियावाद जैसे शहर कस्बों में लोग कुवैत में फंसे अपने परिजनों के लिए गुहार करते मिलते हैं.
यूँ तो पूरे राजस्थान से लोग खाड़ी और अरब देशों में जाते रहे हैं मगर इनमें शेखावटी और वागड़ इलाक़े के लोग ज़्यादा हैं.
वागड़ से बहुतेरों ने कुवैत का रुख किया और अब वे नौकरी और व्यापर में वहां अच्छी तादाद में हैं.
कुवैत में फंसे लोगों में से ज्यादातर बहुत शिक्षित नहीं हैं.
वे मेहनत मजदूरी कर जीवन संवारना चाहते थे. मगर अब पराई धरती, अजनबी लोग और नई ज़ुबान ने उनकी समस्या बढ़ा दी है. परिजन यहाँ दुखी हैं और वो परदेस में. शायद सरकारी दखल से कोई रास्ता निकले. परिजन यही दुआ कर रहे हैं.