राजस्थानी मान्यता के लिए नवीन के नेतृत्व में अभियान

press-note-26-11-2016-2बीकानेर/26 नवम्बर/ मुक्ति संस्था, बीकानेर के तत्वावधान राजस्थानी मान्यता के लिए संचालित राजस्थानी भाषा मान्यता संकल्प यात्रा ने शनिवार को मार्डन मार्केट में प्रवेश कर जन जागरण और चेतना हेतु संयोजक वरिष्ठ रंगकर्मी बी.एल. नवीन के नेतृत्व में अभियान चलाया। मुक्ति के सचिव कवि-कथाकार राजेन्द्र जोशी ने बताया कि दोपहर में आयोजित आम सभा के दौरान मान्यता के लिए लोगों को संकल्प दिलाते हुए हस्ताक्षर करवाए गए।
वरिष्ठ रंगकर्मी कैलाश भारद्वाज ने कहा कि राजस्थानी मान्यता के लिए अब सरकारी स्तर पर देर नहीं होनी चाहिए। बिना भाषा की मान्यता के राजस्थान का विकास पूरा नहीं हो सकता। सखा संगम के अध्यक्ष एन.डी.रंगा ने कहा कि आज के समय में हमें हमारी संस्कृति और संस्कार के पक्ष को मजबूत बनाने के लिए राजस्थानी को अपनाना होगा। रंगकर्मी प्रदीप भटनागर ने एकत्र जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि राजस्थानी को अब तक मान्यता नहीं मिलने के कारण हमारे यहां बहुत से ऐसे लोग जमा हो गए हैं जो यहां के रीत-रिवाज और नियम-कायदों से परिचित नहीं है। उन्होंने कहा कि मां की भाषा हमारे खून में मिली हुई है वही राजस्थानी है इसके बोलने के भेद को लेकर चिंतित होने की जरूरत नहीं है। संयोजक वरिष्ठ रंगकर्मी बी.एल.नवीन ने कहा कि सभी काम समय पर ही अच्छे लगते हैं। अगर समय पर राजस्थानी को मान्यता नहीं प्रदान की जाती है तो इसके लिए आने वाली पीढ़ियां हमें माफ नहीं करेंगी। मूलसिंह राठौड़ ने कहा कि मान्यता का सवाल जन जन का सवाल है जिसका जबाब सरकार को जल्द ही सकारात्मक देना चाहिए।
साहित्यकार बुलाकी शर्मा ने कहा कि मान्यता केवल साहित्यकारों और गिने-चुने भाई-बंधुओं का काम नहीं है, इसके लिए तो साझा और व्यापक प्रयास जरूरी है। उन्होंने कहा कि मुक्ति संस्था का योगदान मान्यता के क्षेत्र में अविस्मरणीय रहेगा। कवि-कहानीकार राजेन्द्र जोशी ने संकल्प यात्रा के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए मान्यता के फायदों के विषय में युवाओं को अवगत कराते हुए आह्वान किया कि अगर हम सब एक हो जाए तो वह दिन दूर नहीं जब हम अपनी भाषा की मान्यता को प्राप्त कर लेंगे। कवि-आलोचक डॉ. नीरज दइया ने अपनी कविता ‘राजस्थानी भाषा म्हारै रगत रळियोड़ी है।’ को प्रस्तुत किया वहीं बाल साहित्यकार मोईनूदीन कोहरी ‘नाचीज’और साहित्यकार राजाराम सर्वणकार ने अपनी कविताओं से जनसमूह को प्रेरित किया। इस अवसर पर चन्द्रशेखर जोशी, मुरली मनोहर माथुर, लोकेश आचार्य, अजमल उस्ता आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
राजेन्द्र जोशी
सचिव मुक्ति

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