मातृ- शिशु स्वास्थ्य एवं पोषण सेवाओं को सुदृढ़ करने हेतु प्रयासरत

baran samacharफ़िरोज़ खान,बारां (राजस्थान)
बारां 29 नवम्बर । राज्य में स्वास्थ्य संकेतक मातृ-मृत्यु दर, शिशु-मृत्यु दर एवं कुपोषण के लिए संघर्ष जारी है। वर्तमान में अत्यन्त महत्वपूर्ण संकेतक मातृ-शिशु स्वास्थ्य एवं पोषण सेवाओं में सुधार करने हेतु राज्य सरकार एवं गैर सरकारी संगठनों द्वारा अनेक प्रयास किए जा रहे हैं। इसी तरह का प्रयास बारां जिले में ’’अक्षदा कार्यक्रम’’ जून 2016 से किया जा रहा हैं।
अक्षदा कार्यक्रम राजस्थान सरकार एवं टाटा ट्रस्ट के सहयोग से अंतरा फाउण्डेशन द्वारा वर्तमान में झालावाड़ और बारां जिले में क्रियान्वित किया जा रहा हैं। इस कार्यक्रम का उद्देश्य राजस्थान में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य में सुधार करना हैं, जिसको जल्द ही सरकारी तंत्र द्वारा व्यापक किया जायेगा।
पिछले वर्ष, मार्च 2015 में मुख्य मंत्री राजस्थान श्रीमती वसुधंरा राजे की उपस्थिति में टाटा ट्रस्ट के चेयरमेन रतन टाटा एवं अंतरा फाउण्डेशन के संस्थापक एवं निदेशक अशोक एलेक्जेण्डर के बीच अक्षदा कार्यक्रम के लिए एमओयू किया गया।
अक्षदा कार्यक्रम में मातृ और शिशु स्वास्थ्य संकेतकों पर प्रभाव डालने के लिए ‘‘1000 दिन कन्सट्रक्ट’’ जिसके तहत गर्भाधारण से दो-वर्ष की अवधि (1000 दिन) के दौरान गर्भावस्था में खून की कमी, मातृ एवं शिशु मृत्युदर और टीकाकरण आदि गंभीर संकेतकों को प्रभावित करने के लिए केन्द्रीत रूप से कार्य किया जा रहा हैं।
अक्षदा कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े जमीनी कार्यकर्ताओं (एएनएम, आशा सहयोगिनी एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता) का एक समन्वित मंच स्थापित कर उनकी सेवाओं में गुणवत्ता लाना, प्रोत्साहित करना एवं नियोजन की प्रक्रिया को सरल बनाना ताकि मातृ-शिशु स्वास्थ्य एवं पोषण सेवाओं को समुदाय में बेहतर तरीके से उपलब्ध करवाई जा सके। इस अनूठे कार्यक्रम के तहत् समुदाय को भी जोड़कर मातृ-शिशु स्वास्थ्य एवं पोषण सेवाओं में सुधार का प्रयास किया जा रहा है।
वर्तमान में बारां जिले के सभी ब्लाक् में विलेज मेंपिग का कार्य चल रहा हैं। विलेज मेपिंग हेतु सर्वप्रथम अक्षदा टीम के सदस्यों द्वारा सेक्टर बैठकों में ए.एन.एम. को प्रशिक्षित किया गया। ए.एन.एम द्वारा ग्राम स्तर पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व आशा सहयोगिनी को प्रशिक्षित किया गया। वर्तमान में ग्राम स्तर पर बैठकों का आयोजन कर आंगनबाड़ी केन्द्र के क्षेत्रानुसार पंचायती राज जनप्रतिनिधियों, एस.एच.जी, यूथ क्लब सदस्यों व अध्यापकों आदि के सहयोग से विलेज मेपिंग की जा रही हैं। जिससे समुदाय की भागीदारी बढ़ी हैं तथा स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता भी आई है।
विलेज मेपिंग में गर्भवती, जोखिम वाली गर्भवती, नवजात व कुपोषित बच्चों के घरो को अलग-अलग बिन्दियों से दर्शाया गया है । जिससे अब उनकी आसानी से पहचान हो रही है। विलेज मेपिंग के आधार पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व आशा सहयोगिनी अपना मासिक गृह भेंट कैलेण्डर भी तेयार कर रही हैं जिससे चिन्हित परिवारों को प्राथमिकता से अपनी सेवायें प्रदान कर सकें। इस तरह का कार्य मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने में सार्थक सिद्ध होगा।
विलेज मेपिंग के परिणाम स्वरुप स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की कार्य प्रणाली के सरलीकरन की जरुरत निकलकर सामने आई जिसके तहत जमीनी स्तर पर कार्यरत स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए नए सुव्यवस्थित राशनीकृत रजिस्टरों का अंता, अटरू व किशनगंज ब्लाक् में शुभारंभ किया गया है। इन नए तरह के रजिस्टरों का उद्देश्य जमीनी स्तर पर कार्यरत स्वास्थ्य कार्यकर्ता द्वारा आसानी से आंकड़ों का संग्रहण तथा लाभार्थियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा पहुंचाने के लिए अतिरिक्त आंकड़ें इकट्ठा करना भी है।
गौरतलब हैं कि झालावाड़ जिले में अक्षदा कार्यक्रम अप्रैल 2015 से संचालित है।
” जिले के सभी ब्लॉक में विलेज मेपिंग का कार्य प्रगति पर है । कार्यक्रम अच्छा चल रहा है । और इसको और भी अच्छा करने का प्रयास जारी है । सरकार का विशेष ध्यान इस प्रोग्राम पर है ।

डॉ सम्पत नागर जिला प्रजनन एवं शिशु स्वास्थ्य अधिकारी बारां ।

error: Content is protected !!