बुलाकी शर्मा के व्यंग्य संग्रह ‘आप तो बस आप ही हैं!’ का लोकार्पण

Bulaki Sharma (5)बीकानेर/ 15 जनवरी/ सुपरिचित व्यंग्यकार बुलाकी शर्मा के व्यंग्य संग्रह ‘आप तो बस आप ही हैं!’ का लोकार्पण पुष्करणा भवन में वरिष्ठ नाटककार-उपन्यासकार-पत्रकार मधु आचार्य ‘आशावादी’, राजस्थान वेटेनरी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ए. के. गहलोत, उप वन संरक्षक डॉ. शलभ कुमार, श्रीमती मोनालिशा, मुक्ति के अध्यक्ष हीरालाल हर्ष, सचिव कवि-कहानीकार राजेन्द्र जोशी एवं सूर्य प्रकाशन मंदिर के प्रशांत बिस्सा ने किया।
मुक्ति द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में लोकार्पण-समारोह के अध्यक्ष वरिष्ठ उपन्यासकार मधु आचार्य ‘आशावादी’ ने कहा कि अन्य विधाओं की तुलना में व्यंग्य विधा में लिखना बहुत जोखिम का काम है ऐसे में यह कार्य करते हुए बुलाकी शर्मा सच्चे अर्थों में आज के परासाई है जिन्होंने इस विधा की परंपरा का न केवल विकास किया है वरन इसे आगे भी बढ़ाया है। आचार्य ने कहा कि इसमें संबंधों के नष्ट और खराब होने का खतरा रहता है ऐसे में बुलाकी शर्मा जैसे विरले लेखक रफूगीरी के चुनौतिपूर्ण कार्य को करते हैं जिससे वे अजातशत्रु बने रहकर भी लिखने की प्रेरणा देते हैं।
मुख्य अतिथि राजस्थान वेटेनरी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ए. के. गहलोत ने कहा कि बुलाकी शर्मा लेखा कार्य से जुड़े हैं और इनका कार्य लक्ष्मी की साधना को तोड़ने जैसा है जो एकाउंट में ऑबजेक्शन के रूप में देख सकते हैं पर फिर भी ये साहित्य साधना करते हैं और व्यंग्य विधा की प्रतिरोधकता का भरपूर प्रयोग करते हैं। गहलोत ने कहा कि इनका कार्य व्यंग्य विधा के मारफत देश सामज और अपने आस-पास के जगत की गलतियों को सुधारने और उन्हें ठीक करने जैसा है।
विशिष्ट अतिथि भारतीय वन सेवा के अधिकारी उप वन संरक्षक डॉ. शलभ कुमार ने कहा कि बुलाकी शर्मा पर लक्ष्मी और सरस्वती दोनों की समान कृपा दृष्टि है। वर्तमान समय में आधुनिक क्रांति ने जहां पाठकों को साहित्य से दूर किया है वहीं बुलाकी शर्मा जैसे लेखक बाल साहित्य के द्वारा नवनिर्माण का कार्य कर रहे हैं। डॉ. शलभ कुमार ने आगे कहा कि इनके व्यंग्य बेहद पठनीय और गहरी मारक क्षमता के हैं और इन्होंने किसी भी पक्ष को छोड़ा नहीं है।
विशिष्ट अतिथि इंदिरा गांधी नगर परियोजन में सेवारत भारतीय वन सेवा की उप वन संरक्षक श्रीमती मोनालिशा ने कहा कि रसों में हास्य रस के साथ व्यंग्य को साधन गहरी समझ की मांग रखता है। बुलाकी शर्मा के लेखन में क्या हो रहा है के साथ क्या होने की अंतर्दृष्टि हमें बेहद प्रभावित करती है। वे बिना किसी अतिरेक के पारदर्शीता के साथ सार्थक व्यंग्य प्रस्तुत करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैं अहिंदी भाषी होते हुए भी इनके व्यंग्य लेखन के आस्वाद से आनंदित होती रहती हूं। इनका लेखन अपने पाठकों को आंतरिक और स्थायी खुशी देने वाला और हृदय परिवर्तित कर सुंदर समाज की रचना में योगदान देने वाला है।
समारोह में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए कवि-आलोचक डॉ. नीरज दइया ने बुलाकी शर्मा की साहित्य साहित्य-साधना के विविध पड़ावों और रूपों के संबंध में विस्तार से बोलते हुए कहा कि बुलाकी शर्मा के व्यंग्य में व्यंजना का भाव उनके कथा-अभिप्रायों और संकेतों में देखा जा सकता है। वे ऐसे व्यंग्यकार है जो सांप को मारकर लाठी भी टूटने नहीं देते। डॉ. दइया ने कहा कि ‘चेखव की बंदूक’ और ‘आप तो बस आप ही हैं !’ जैसे कृतियों द्वारा बुलाकी शर्मा भारतीय साहित्य में व्यंग्य विधा में अपनी स्थायी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं, निसंदेह वे अविस्मरणीय और अद्वितीय व्यंग्यकार एवं कथाकार है।
मुक्ति के सचिव कवि-कहानीकार राजेन्द्र जोशी ने कहा कि हाल ही में केंद्रीय साहित्य अकादेमी नई दिल्ली के सर्वोच्च पुरस्कार से सम्मानित कहानीकार बुलाकी शर्मा की इस व्यंग्य-कृति में समाज के अनेक पक्षों पर व्यंग्य की नजर पहुंचती है। बुलाकी शर्मा का नाम गद्य की विविध विधाओं में प्रमुखता से लिया जाता है किंतु व्यंग्य और कहानी विधा में इनका गुणात्मक और संख्यात्मक अवदान अन्य रचनाकारों से बहुत बेहतर है। जोशी ने कहा कि बुलाकी शर्मा के व्यंग्य समाज के हर वर्ग और हर प्रकार के पाठक द्वारा पसंद किए जाते हैं। लोकार्पण-समारोह के समन्वयक कवि नवनीत पाण्डे ने कहा बुलाकी शर्मा अपने समकालीन साहित्यकारों से सबसे अलग और न्यारे इसलिए है कि वे सतत लिखते ही नहीं वरन अपने मित्रों को भी सदा साथ लेकर चलने में विश्वास रखते हैं। प्रशांत बिस्सा ने कहा कि बुलाकी शर्मा का लेखन पूरे भारत में अपने नाम से पहचाना जाता है, दूर-दराज के पाठक इनकी किताबें पसंद करते हैं।
इस अवसर पर मुक्ति संस्था के सहित विभिन्न संस्थाओं तथा साहित्यकारों-समाजसेवकों द्वारा बुलाकी शर्मा का सम्मान किया गया। शॉफा, शाल, श्रीफल और अभिनंदन पत्र आदि भेट किए गए। कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार भवानीशंकर व्यास विनोद, श्रीमती आनंद कौर व्यास, डॉ. श्रीलाल मोहता, डॉ. उमाकांत, श्रीलाल जोशी, डॉ. वत्सला पाण्डे, मंदाकिनी जोशी, राजाराम स्वर्णकार, नदीम अहमद नदीम, कासिम बीकानेरी, इसरार हसन कादरी सहित बड़ी संख्या में साहित्य प्रेम उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन कवि-कहानीकार राजेंद्र जोशी ने किया तथा आगंतुकों का आभार कवि कहानीकार नवनीत पाण्डे ने व्यक्त किया।
(राजेन्द्र जोशी)
सचिव

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