बीकानेर 1/2/17 ( मोहन थानवी ) । प्रकृति जब ऋतुराज का स्वागत शहनाइयों की गूंज से कर रही है तब बीकानेर में करीब आठ वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला बारातघर बना देख हर कोई अचंभित है। अचंभा तो तब भी हुआ जब परकोटे में प्रवेश करते ही चारों ओर बारातें मिली और गहमागहमी के बीच जिन लोगों से भी पूछा वे बाराती निकले। बारातें ही इतनी कि गिनती न हो सके तो ऐसे में भला बारातियों की संख्या कैसे बताई जा सकती है। हर चौक, हर घर मानो बारातों का स्वागत करने के लिए सजाया गया। और यह क्या… शहनाइयों के बीच पारंपरिक वैवाहिक गीतों की स्वरलहरियों ने जिधर ध्यानाकर्षित किया वहां का नजारा अविस्मरणीय रहा, वहां विष्णु रूप में सजे धजे वर के आगे सजे सजाए छत्र से छाया करते बारातियों का समूह और इन सभी का अभिनन्दन करते शहरवासी। इतना ही नहीं, अभिनन्दन के साथ साथ विष्णु रूप में यहां पहलेपहल पहुंचे वर को 11 हजार रुपए का पुरस्कार घोषित करते समाजसेवियों की खुशी तो बयां ही नहीं की जा सकती। ऐसी अलमस्त नजारों भरी बसंत पंचमी बीकानेर में पुष्करणा ब्राह्मण समाज के सावा यानी सामूहिक विवाह समारोह के दौरान अविस्मरणीय बन गई। बारातियों में भी विरला ही कोई होगा जिसने बीकानेरी पाग नहीं पहनी हो। युवावर्ग में परम्पराओं के निर्वहन की ऐसी ललक कि अधिकांश युवाओं ने विष्णुरूपी वर के साथ खुद भी पारम्परिक बीकानेरी पहरावा धोती-कुर्ता और बंडी पहनी तो युवतियों को भी पारंपरिक पहरावे में देखा गया। पूरा शहर ही पांडाल बना है ऐसे में यह अनुमान लगाना कठिन है कि कितनी चंवरियां सजी; कितने जोड़े परिणय सूत्र में बंधे ।
– मोहन थानवी