राजस्थानी भाषा मान्यता संकल्प यात्रा

News Photo 02बीकानेर/ 20 फरवरी/ मातृभाषा दिवस के उपलक्ष्य में मुक्ति संस्था एवं वरिष्ठ नागरिक समिति के तत्त्वाधान में राजस्थानी भाषा मान्यता संकल्प यात्रा द्वारा अंबेडकर सर्कल स्थित बीकानेर लेबोरेट्री के सभा-कक्ष में प्रख्यात साहित्यकार हरदर्शन सहगल, मौलाना अब्दुल वाहिद अशरफ़ी, भंवर लाल ‘भ्रमर’, डॉ. प्रकाश अमरावत एवं डॉ. बसंती हर्ष को ‘मातृभाषा गौरव सम्मान’ बीकानेर के महापौर नारायण चौपड़ा, कवि नवनीत पाण्डे, कहानीकार राजेन्द्र जोशी, डॉ. एस.एन. हर्ष एवं सुरेश चंद्र गुप्ता द्वारा अर्पित किया गया।
मुक्ति के सचिव राजेन्द्र जोशी ने कहा कि भाषा, साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में विशिष्ठ अवदान के लिए हिंदी, उर्दू और राजस्थानी के भाषा में मर्मज्ञयों का सम्मान कर दोनों संस्थाएं और उपस्थित सभी गणमान्य जन हर्षित एवं उल्लसित है। ऐसी विभूतियों का सम्मान करना ही अपने आप में गौरव की बात है यह सम्मान प्रदान कर हम साहित्य, कला और संस्कृति जगत के समुदाय के रूप में स्वयं को गौरावान्वित महसूस कर रहे हैं।
‘मातृभाषा गौरव सम्मान’ कार्यक्रम में सम्मानित होने वाले प्रख्यात साहित्यकारों और भाषा विद्वानों का परिचय के साथ उनके अवदान पर साहित्यकार बुलाकी शर्मा, डॉ. नीरज दइया, डॉ. नमामीशंकर व्यास, डॉ. रेणुका व्यास एवं वली मौहम्मद गौरी ने अपने विचार व्यक्त किए।
साहित्यकार बुलाकी शर्मा ने कहा कि हरदर्शन सहगल के साहित्य को पढ़ना पूरे समकालीन हिंदी साहित्य के पिछले साठ वर्षों की परिक्रमा जैसा है जिसमें समाज एवं समय के विभिन्न बदलाव और संवेदनाओं की मनोरम झांकी को देखा जा सकता है।
कवि-आलोचक डॉ. नीरज दइया ने कहा कि राजस्थानी की आधुनिक कहानी को नई दिशा और गति देने में जिन कहानीकारों का उल्लेख किया जाता है उनमें भंवर लाल ‘भ्रमर’ विशेष उल्लेखनीय नाम है साथ ही आपने राजस्थानी में कहानी पत्रिकारिता के क्षेत्र में मरवण जैसी पत्रिका का संपादन प्रकाशन कर उल्लेखनीय योगदान दिया है।
साहित्यकार डॉ. नमामीशंकर व्यास ने कहा कि डॉ. प्रकाश अमरावत न केवल शोध-खोज और संपादन के क्षेत्र में वरन मौलिक लेखन के क्षेत्र में बहुत बड़ा नाम है जिन्होंने राजस्थानी महिला लेखन को नए आयाम औ दिशा प्रदान की है।
कवयित्री डॉ. रेणुका व्यास ने कहा कि राजस्थानी और हिंदी भाषा के क्षेत्र में डॉ. बसंती हर्ष की दीर्घकालीन सेवाओं से पूरा साहित्य समाज परिचित है, उनके लेखन द्वारा जीवन के कठोर यर्थाथ के साथ मर्मस्पर्शी संवेदनाओं का भी प्रभावी अंकन देखा जा सकता है।
शायर वली मौहम्मद गौरी ने कहा कि उर्दू अदब को वर्षों से अपने फ़न से रौशन करने वाले विद्वान
व्यंगकार बुलाकी शर्मा ने कहा कि सम्मानित होने वाले पांचों विशेषज्ञों ने अपनी-अपनी भाषा में पूर्ण समर्पण, निष्ठ, लगन द्वारा सतत कार्यों से युवा पीढ़ी को प्रेरित और प्रोत्साहित किया है। उन्होंने कहा कि भाषा से जुड़े विद्वान अधिक संख्या में पहुंच कर कार्यक्रम को सफल बनावें।

राजेन्द्र जोशी
सचिव

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