राजस्थान सिविल सर्विसेज रूल्स, 2001 का लाभ, केरियर एडवान्समेन्ट स्किम, 2010 के अन्तर्गत वरिष्ठ और चयनित वेतनमान का लाभ, राजस्थान सिविल सर्विसेज रूल्स, 2010 के अनुसार वेतन स्थिरीकरण कर बकाया वेतन की अन्तर राशि, समायोजन के समय बढ़े हुये मंहगाई भत्ते की राशि तथा नियमानुसार देय अंतिम वेतन के आधार पर संगणना कर उपदान की राशि एवं बकाया उपार्जित अवकाश के नकदीकरण का लाभ बकाया होने की दिनांक से ब्याज सहित भुगतान के आदेश
(राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था अधिकरण, जयपुर का मामला)
जयपुर, राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था अधिकरण, जयपुर ने अप्रार्थी संस्था प्रबन्ध समिति, विद्या भवन सोसायटी, उदयपुर को आदेश दिया कि वे प्रार्थी विनोद कोठारी राज्य कर्मचारियों के समान राजस्थान सिविल सर्विसेज रूल्स, 2001 का लाभ एवं वरिष्ठ और चयनित वेतनमान का लाभ तथा राजस्थान सिविल सर्विसेज रूल्स, 2010 आदेश दिनांक 01.09.2010 के अनुसार (छठे वेतनमान) वेतन स्थिरीकरण करने के उपरान्त बकाया वेतन के अन्तर की राशि तथा राजकीय सेवा में आमेलन/नियुक्ति के समय राजकीय कर्मचारियों के समान देय बढे़ हुए महंगाई भत्ते की राशि का भुगतान करेगें। तत्पश्चात् अन्तिम वेतन के आधार पर उपदान की राशि का भुगतान करेगें तथा कार्यमुक्ति की दिनांक को प्रार्थी के खाते में बकाया उपार्जित अवकाश के नकदीकरण का लाभ भी देगें तथा अप्रार्थी संस्था उक्त सम्पूर्ण बकाया राशि पर बकाया होने की दिनांक से भुगतान किये जाने की दिनांक तक 06 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से ब्याज भी प्रार्थी को अदा करेगी। उल्लेखनीय है कि प्रार्थी विनोद कोठारी की नियुक्ति दिनांक 15.12.1988 को इन्स्ट्रक्टर (सिविल इन्जीनियरिंग) के पद पर अप्रार्थी संस्था में हुई थी जो चयन समिति द्वारा सम्पूर्ण प्रक्रिया अपनायी जाकर हुई थी। तत्पश्चात् प्रार्थी को व्याख्याता के पद पर पुनः नियुक्त कर स्थायी कर दिया गया। प्रार्थी को राजस्थान स्वेच्छया ग्रामीण शिक्षा सेवा नियम, 2010 के अनुसार राज्य सरकार की सेवा में आमेलित/नियुक्ति होने के कारण अप्रार्थी संस्था से दिनांक 09.01.2012 को कार्यमुक्त कर दिया गया लेकिन प्रार्थी को उपरोक्त वर्णित अनुतोष/लाभ अप्रार्थी संस्था द्वारा प्रदान नहीं किये गये जबकि अप्रार्थी संस्था राजस्थान सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा मान्यता प्राप्त होते हुए 90 प्रतिशत से अधिक अनुदान प्राप्त करती है। समायोजन के पश्चात् प्रार्थी द्वारा उक्त लाभ देने हेतु बार-2 निवेदन किया गया परन्तु अप्रार्थी संस्था ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। तत्पश्चात् प्रार्थी ने परेशान होकर जरिये अधिवक्ता डी. पी. शर्मा के माध्यम से प्रार्थना पत्रा प्रस्तुत कर उक्त लाभ अप्रार्थी संस्था से दिलवाने हेतु माननीय अधिकरण से निवेदन किया। प्रार्थी के अधिवक्ता डी.पी.शर्मा का तर्क था कि प्रार्थी की नियुक्ति अनुदानित पद के विरूद्ध हुई है तथा अप्रार्थी संस्था राजस्थान सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा मान्यता प्राप्त होते हुए 90 प्रतिशत से अधिक अनुदान प्राप्त करती है इसलिये अप्रार्थी संस्था पर राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था अधिनियम, 1989 और नियम, 1993 के प्रावधान लागू होते है और उक्त नियमों एवं प्रावधानों के अनुसार प्रार्थी उपरोक्त समस्त लाभ अप्रार्थी संस्था से प्राप्त करने के अधिकारी है। मामले की सुनवाई के पश्चात् अधिकरण ने उक्त सभी लाभ बकाया होने की दिनांक से 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित भुगतान करने के आदेश अप्रार्थी संस्था को दिये।