छठे वेतन आयोग के अनुसार वेतन स्थिरीकरण करने के पश्चात् अंतिम वेतन के आधार पर नियमानुसार देय उपदान की राशि तथा कार्यमुक्ति की दिनांक को अवकाश खाते में जमा उपार्जित अवकाश के बदले नकदीकरण की राशि का भुगतान ब्याज सहित करने के आदेश
(राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था अधिकरण का मामला)
जयपुर, राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था अधिकरण, जयपुर ने प्रार्थीगण श्रीमती रंजना भटनागर, श्रीमती शान्ता खमेसरा, श्रीमती आशा वर्डिया, श्रीमती इन्दु सिंघवी, श्रीमती गीता देवी, श्रीमती लीला शर्मा एवं श्रीमती निर्मला सुराणा का आवेदन स्वीकार कर अप्रार्थी संस्था प्रबन्ध समिति, श्री वर्धमान बालिका विद्यालय, हाथीपोल, उदयपुर एवं प्रबन्ध समिति, श्री जैन श्वेताम्बर मूर्ति पूजक शिक्षा सोसायटी, उदयपुर को निर्देशित किया कि वे प्रार्थीगण का राजस्थान सिविल सर्विसेज रिवाईज पे स्केल रूल्स, 2008 के अनुसार वेतन स्थिरीकरण करने के पश्चात् नियमानुसार देय अन्तिम वेतन के आधार पर संगणना कर उपदान की राशि एवं उनके अवकाश खाते में कार्यमुक्ति की दिनांक को बकाया उपार्जित अवकाश के बदले नकदीकरण की राशि का भुगतान बकाया होने की दिनांक से भुगतान किये जाने की दिनांक तक 06 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से देय ब्याज सहित प्रार्थीगण को अदा करेगें। उल्लेखनीय है कि प्रार्थी रंजना भटनागर की नियुक्ति दिनांक 07.11.1978 को, शान्ता खमेसरा की नियुक्ति दिनांक 13.10.1988 को, आशा वार्डिया की नियुक्ति दिनांक 18.01.1999 को, इन्दु सिंघवी की नियुक्ति दिनांक 08.07.1996 को, गीता देवी औदित्य की नियुक्ति दिनांक 01.09.1996, लीला शर्मा की नियुक्ति दिनांक 20.07.1988 को एवं निर्मला सुराणा की नियुक्ति दिनांक 10.09.1985 को अप्रार्थी संस्था में विभिन्न पदों (अध्यापक ग्रेड तृतीय/ चतुर्थ श्रैणी कर्मचारी/ वरिष्ठ अध्यापक/ अध्यापक) पर नियमानुसार चयन प्रक्रिया अपनाये जाने के पश्चात् हुई थी। तत्पश्चात् प्रार्थीगण को राजस्थान स्वेच्छया ग्रामीण शिक्षा सेवा नियम, 2010 के अनुसार राज्य सरकार की सेवा में समायोजन/नियुक्ति होने के कारण अप्रार्थी संस्था से दि0 30-6-2011/07.07.2011 को कार्यमुक्त किया गया। प्रार्थीगण द्वारा अप्रार्थी संस्था में अपनी सेवायें सम्पूर्ण निष्ठा के साथ ईमानदारीपूर्वक दी गई लेकिन राज्य सरकार में आमेलन से समय प्रार्थीगण को राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था नियम, 1993 के नियम 82 के अनुसार उपदान की राशि तथा खाते में जमा उपार्जित अवकाश के बदले नकद राशि नियम, 1993 के नियम, 51 के अनुसार नहीं दी गई। प्रार्थीगण द्वारा अप्रार्थी संस्था से उपरोक्त लाभ प्रदान करने के लिए अभ्यावेदन प्रस्तुत किये गये परन्तु अप्रार्थी संस्था ने अभ्यावेदनों पर कोई ध्यान नहीं दिया। प्रार्थीगण ने इससे पीड़ित होकर अपने अधिवक्ता डी.पी. शर्मा के माध्यम से अधिकरण के समक्ष आवेदन प्रस्तुत कर उक्त लाभ दिलाने का निवेदन किया। प्रार्थीगण के अधिवक्ता का तर्क था कि अप्रार्थी संस्था राजस्थान सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के अन्तर्गत पंजीकृत होते हुए राज्य सरकार के शिक्षा विभाग से मान्यता प्राप्त है एवं इसे अनुदान की राशि भी प्रार्थीगण के सेवारत रहने के दौरान प्राप्त होती रही थी फिर भी राज्य सरकार में समायोजन के समय प्रार्थीगण को राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था नियम 1993 के नियम 82 के अनुसार उपदान की राशि तथा खाते में जमा उपार्जित अवकाश के बदले नकदीकरण की राशि नियम, 1993 के नियम 51 के अनुसार नहीं दी गई। इसके अलावा प्रार्थीगण राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था अधिनियम, 1989 की धारा 29 व राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था नियम, 1993 के नियम 34 के अनुसार राज्य अप्रार्थी संस्था के अनुदानित होने के कारण राज्य कर्मचारियों के समान उक्त लाभ अप्रार्थी संस्था से प्राप्त करने के अधिकारी थे। मामले की सुनवाई के पश्चात् अधिकरण ने उक्त लाभ नियमानुसार ब्याज सहित प्रार्थीगण को अदा करने के आदेश अप्रार्थी संस्था को दिये।