महाराजा गंगा सिंह विष्वविद्यालय के इतिहास विभाग में ठौड़ बदलाव, बसाव, राज्य का गठन और साहित्य विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन
महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग एवं राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर के संयुक्त तत्त्वावधान में ‘‘माईग्रेशन, सेटलमेंट, स्टेट फोर्मेशन एण्ड लिटरेचर–ठौड़ बदलाव, बसाव, राज्य रौ गठन अर साहित‘‘ विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आज समापन हुआ। दिनांक 22.03.2017 को कुल 5 तकनीकी सत्र आयोजित किये गये जिनमें डॉ. महेन्द्र सिंह राव, श्री फारूक चौहान डॉ. नारायण सिंह राव, श्रीमती संतोष कंवर शेखावत, डॉ. जानकीनारायण श्रीमाली, डॉ. श्रीकृष्ण जुगनू, डॉ. महेन्द्र तंवर, डॉ. नमामीषंकर आचार्य, श्री कमल रंगा, श्री गिरधरदान रतनू, डॉ. सुधा आचार्य आदि ने पत्रवाचन किया। समापन सत्र में मुख्य अतिथि प्रो. बी.एल. भादानी, विषिष्ट अतिथि प्रो. एस.के.भनौत तथा अध्यक्षता डॉ. देव कोठारी ने की। संगोष्ठी के निदेषक एवं विभागाध्यक्ष, इतिहास विभाग, डॉ. नारायण सिंह राव ने कहा कि प्रवसन के साथ संस्कृतियों का संमिश्रण भी होता है और इतिहास में हमें इसके अनेक उदाहरण देखने को मिलते हैं। डॉ. राव ने इस संगोष्ठी को सफल बनाने के लिए विभिन्न स्थानों से पधारें सभी शोध पत्रवाचकों, विषय विषेषज्ञों का धन्यवाद किया तथा चयनीत शोध पत्रों के प्रकाषन की भी बात कही। दो दिवसीय संगोष्ठी की संयुक्त रिपोर्ट डॉ. अम्बिका ढाका और श्री नितिन गोयल द्वारा प्रस्तुत की गई। संगोष्ठी में प्रवसन पर कला के प्रभाव को श्रीमती धर्मजीत कौर ने जैन साहित्य में राज धर्म को डॉ. रितेष व्यास ने, फारसी स्रोतों में प्रवसन के प्रमाण को प्रो. पुष्पा शर्मा ने, समकालीन साहित्यिक रचनाओं में प्रवसन व बसाव को डॉ. प्रगति सोबती ने, प्राकृतिक आपदाओं के चलते प्रवसन व बसाव को डॉ. गोपालकृष्ण व्यास ने, लोक कथाओं में प्रवसन को डॉ. दलजीत सिंह, ख्यात साहित्य में प्रवसन को डॉ. विक्रम सिंह अमरावत आदि ने विस्तृत रूप से चर्चा की।
संगोष्ठी के संयोजक डॉ. अम्बिका ढाका ने बताया कि कुल नौ तकनीकी सत्रों में विभिन्न विषयों से संबंधित लगभग 55 पत्रवाचन हुए। विभिन्न तकनीकी सत्रों की अध्यक्षता प्रबुद्ध इतिहासकारों व साहित्यकारों द्वारा की गई। जिनमें प्रो. शषी देवड़ा, डॉ. देव कोठारी, डॉ. दलजीत सिंह, प्रो. रविन्द्र कुमार शर्मा, डॉ. चन्द्र शेखर कच्छावा, प्रो. एस के भनोत, डॉ. आन्नद सिंह बिट्ठू, डॉ. श्रीकृष्ण जुगनू, डॉ. मदन सैनी आदि ने की।
विभागाध्यक्ष