डॉ. नीरज दइया की पुस्तक ‘बुलाकी शर्मा के सृजन-सरोकार’ का लोकार्पण

Pustak Lokarpan (7)बीकानेर / 01 मई 17। कवि-आलोचक डॉ. नीरज दइया की पुस्तक ‘बुलाकी शर्मा के सृजन-सरोकार’ का लोकार्पण अतिथियों ने मुक्ति संस्थान एवं स्वामी कृष्णानंद फाउंडेशन बीकानेर के संयुक्त तत्वावधान में हुए कार्यक्रम में होटल ढोला मारू के सभागर में किया।
आगंतुकों का स्वागत फाउंडेशन के अध्यक्ष हिंगलाज दान रतनू ने किया व कहा कि बुलाकी शर्मा के साठ वर्ष होने के साथ ही उनकी सृजन यात्रा से न केवल यह शहर वरन पूरा देश गौरवांवित है। संचालक साहित्यकार राजेन्द्र जोशी ने कृतिकार डॉ. नीरज दइया एवं कृति के नायक बुलाकी शर्मा के बारे में जानकारी दी।
कार्यक्रम के अध्यक्ष समालोचक-शिक्षाविद डॉ. उमाकांत गुप्त ने कहा कि डॉ. नीरज दइया ने अपनी कृति में पूरी गंभीरता के साथ बुलाकी शर्मा को बतरस के साथ समाहित करते हुए सम्मोहित करने वाली भाषा में पठनीय आलोचना को रेखाचित्र-संस्मरण आदि विधाओं के समागम से समपुष्ट किया है। मुख्य अतिथि नाटककार-कवि लक्ष्मीनारायण रंगा ने कहा कि डॉ. नीरज दइया ने बुलाकी शर्मा के साहित्यिक अवदान का आकलन करते हुए परिचयात्मक अधिक परिदृश्य प्रस्तुत किया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान साहित्य की सबसे बड़ी त्रासदी यह है कि मूल्यांकन नहीं हो रहा। विशिष्ट अतिथि रंगकर्मी आनंद वी. आचार्य ने बुलाकी शर्मा के नाटक ‘समय निरंतर’ पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि कंस के चरित्र के विविध पक्षों को उजागर करता महत्त्वपूर्ण नाटक एक बड़ा अवदान है।
कृति के लेखक डॉ. नीरज दइया ने कहा कि इस किसी भी समकालीन और निरंतर सृजनरत सक्रिय लेखक पर लिखना जोखिम भरा काम होता है क्योंकि वह संभावनाओं से भरा होता है। कहानीकार बुलाकी शर्मा ने कहा कि यह सार्वजिक कार्यक्रम बेशक उनके साठ वर्ष पूर्ण होने की घोषणा हो किंतु किसी भी लेखक को साहित्य में चिर युवा बन कर ही लेखन में रत रहना चाहिए और वे भी स्वयं को सक्रिय रखने के अपने चालीस वर्ष की अवधि को निरंतर आगे बढ़ाते जाएंगे।
वरिष्ठ साहित्यकार भवानी शंकर व्यास ‘विनोद’ ने कहा कि बुलाकी शर्मा का लेखन कई मायनों में प्रभावित करने वाला है। साहित्यकार डॉ. ब्रज रतन जोशी; कवि नवनीत पाण्डे ; लेखक नदीम अहमद नदीम; साहित्यकार कमल रंगा ; देवकृष्ण शर्मा ने प्रसंगों को साझा किया।
कार्यक्रम में सखा संगम एवं अन्य संस्थाओं ; आयोजक दोनों संस्थाओं द्वारा मंचस्थ अतिथियों, कृति के नायक बुलाकी शर्मा एवं लेखक डॉ. नीरज दइया का शाल ओढ़ाकर सम्मान किया गया।
कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. नन्दकिशोर आचार्य, सरदार अली परिहार, मधु आचार्य ‘आशावादी’, मोइनूदीन कोहरी, प्रमोद कुमार चमौली, सुदेश व्यास, इकबाल हुसैन, डॉ. मुरारी शर्मा, एन.डी.रंगा, डॉ. प्रशांत बिस्सा, ब्रजगोपाल जोशी, अरविंद ऊभा,पी.आर.लील, गौरीशंकर प्रजापत, मोहन थानवी, गिरधरदान रतनू, मनमोहन कल्याणी, दीपचंद सांखला, अंजनी कुमार, सीताराम जाट, हरिप्रकाश स्वामी, वी.एस.बाना, एल एन सोनी, डॉ. मोहम्मद हुसैन, वली गौरी, डॉ. नमामीशंकर अचार्य, महेंद्र जैन, रवि पुरोहित, डॉ. ब्रह्माराम चौधरी, इरशाद अजीज, मंदाकिनी जोशी, मोनिका गौड़, डॉ. रेणुका व्यास, सुधा आचार्य, डॉ. उषाकिरण सोनी, मनीषा आर्य सोनी आदि साक्षी रहे। आगंतुकों का आभार राजाराम स्वर्णकार ने व्यक्त किया।
– मोहन थानवी

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