रे मन हरि सुमिरन कर लीजै

नई पीढी में भारतीय शास्त्रीय संगीत के संस्कार आवश्यक
शिक्षार्थियों द्वाराबीकानेर 04 मई 2017। विरासत संवर्धन संस्थान के तत्वावधान में श्री संगीत कला केन्द्र गंगाशहर द्वारा करनाणी मौहल्ला गंगाशहर में ‘संगीत सभा’ का आयोजन किया गया जिसमें संस्था के कलाकारों ने भारतीय शास्त्रीय संगीत में निबद्ध भक्ति रचनाएं प्रस्तुत कर मंत्र मुग्ध कर दिया । कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कवि-कथाकार राजाराम स्वर्णकार ने कहा कि आज के पाश्चात्य संगीत के दौर में नई पीढी में भारतीय शास्त्रीय संगीत का जुडाव आवश्यक है । इस दिशा में संस्था का यह कदम सराहनीय प्रयास है । कार्यक्रम के अध्यक्ष फिल्मकार मंजूर अली चन्दवानी ने कहा कि शास्त्रीय संगीत की साधना के साथ नई तकनीकों से रुबरु होना चाहिए ताकि शास्त्रीय संगीत देश-विदेश में घर-घर पहुंच सके । कार्यक्रम के संयोजक अशफाक कादरी ने कहा कि गुरुजनों के मार्गदर्शन में अपनी प्रतिभा को निखार सकते हैं । कार्यक्रम का शुभारम्भ संस्था अध्यक्ष पुखराज शर्मा ने राग मधुवंती में ‘गणेश वन्दना’ से किया । शर्मा ने राग खमाज में कबीर के पद भी सुनाए । वाणी गायक शिवजी सुथार ने स्वर और लयकारी की शानदार प्रस्तुति दी । लोक गायिका श्रीमती राजकुमारी मारु ने ‘चालो जी नणदल बाई पाणी रै तळाब’ से नए रंग भरे । कार्यक्रम में महक कोचर ने राग मिश्र खमाज, मधु तिवाडी ने राग यमन, सोमेश ने मीरा का भजन प्रस्तुत किया । सरोजकुमारी ने कबीर की रचना ‘नैहरवा हमका ना भावै सुनाई । मानसी तिवाडी ने राग चारुकेशी में ‘प्रार्थना सुनिए भगवान’ शालू ने राजस्थानी भजन से श्रोताओं को भक्तिरस से सराबोर किया । तबले पर श्रवन सुथार, ऑर्गन पर रमणलाल सांखला ने संगत की । कार्यक्रम में मुकेश ने सूरदासजी का भजन, हुमेश भाटी ने राग मिश्र मारवा में भजन ‘रे मन हरि सुमिरन कर लीजै, ओमप्रकाश शर्मा ने राग मिश्र कल्याण में ‘राधा की बिन्दिया में श्याम नजर आते हैं’ प्रस्तुत किया । कार्यक्रम में बजरंग जोशी, डॉ.ओमप्रकाश शर्मा ने भी भक्ति रचनाएं सुनाई । संगीतज्ञ मोहनलाल मारु ने अतिथियों का स्वागत किया तथा डालचन्द सेवग ने
धन्यवाद ज्ञापित किया

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