प्रस्थान बिंदु कार्यक्रम में हुई रेखाचित्र विद्या पर चर्चा
बीकानेर / हिन्दी और राजस्थानी साहित्य में रेखाचित्र विद्या पर सशक्त कार्य हुआ है। वर्तमान समय में भले ही रेखाचित्र कम लिखे जा रहे हो किंतु साहित्य में इस विद्या का आज भी अपना एक विशिष्ट स्थान है। इस विद्या की परंपरा को आगे बढाने के लिए रचनाकारों को इस विद्या में कार्य करने की जरूरत है। ऐसे ही अनेक विचार सामने आए प्रस्थान बिंदु कार्यक्रम की तीसरी कड़ी में। रविवार को करणीनगर स्थित शिव सागर में आयोजित कार्यक्रम के दौरान रेखाचित्र विद्या पर चर्चा की गई। साहित्यकार नगेंद्र नारायण किराड़ू की अध्यक्षता में हुए कार्यक्रम में कवि-आलोचक डॉ.मदन सैनी ने हिन्दी रेखाचित्र और रमेश भोजक समीर ने राजस्थानी रेखाचित्र विद्या पर पत्रवाचन किया। इस मौके पर डॉ.मदन सैनी ने हिन्दी साहित्य में रेखाचित्र विद्या की भूमिका पर बात करते हुए कहा कि रेखाचित्र विद्या ने हिन्दी साहित्य को नवीन आयाम दिया है। इस मौके पर रमेश समीर ने राजस्थानी साहित्य में रेखाचित्र विद्या के इतिहास और वर्तमान पर बात करते हुए कहा कि राजस्थानी भाषा में लिखे गए रेखाचित्रों ने राजस्थान के आमजन के यथार्थ को सामने रखने का क्रांतिकारी कार्य किया है। अध्यक्षता करते हुए नगेंद्र नारायण किराड़ू ने कहा कि रचनाकार को साहित्य की मूल कसौटी पर कार्य करते हुए साहित्य को समाज में स्थापित करना चाहिए। इससे पूर्व प्रस्थान बिंदु कार्यक्रम के प्रारंभ में विषय प्रवर्तन करते हुए साहित्यकार मधु आचार्य आशावादी ने कार्यक्रम के उद्देश्य पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि इस कार्यक्रम के तहत साहित्य की विभिन्न विद्याओं के मूल को समझकर साहित्य की परंपरा को कायम रखने का प्रयास किया जा रहा है। कार्यक्रम के दौरान कवि कमल रंगा, नवनीत पांडे, बुलाकी शर्मा, राजेंद्र जोशी, डॉ.बृजरतन जोशी, प्रमोद चमोली, डॉ.गौरीशंकर प्रजापत, सीमा भाटी, डॉ.रेणुका व्यास, मोहन थानवी और नृसिंह भाटी ने भी विषय पर चर्चा की। समापन पर आभार सुरेश हिन्दूस्तानी ने जताया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए कवि हरीश बी.शर्मा ने रेखाचित्र विद्या के वर्तमान स्वरूप को श्रेष्ठ बनाने के लिए कार्य करने का आह्वान किया।