पंचरंगी ध्वज फहराते निकली शोभायात्रा, हुआ अभिनंदन

bikaner samacharबीकानेर, 01 अगस्त 2017। जैन श्वेताम्बर खरतरतरगच्छ की साध्वीश्री प्रिय मुद्रांजनाश्रीजी की महामृत्युंजय मासक्षमण तपस्या पर मंगलवार को जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ की ओर से सकलश्रीसंघ के सहयोग से शोभायात्रा निकाली गई तथा भव्य अभिनंदन किया गया। शोभायात्रा जैन बहुल्य मोहल्लों व जैन मंदिरों के आगे से गाजे बाजे के साथ निकाली गई। अनेक मोहल्लों में आचार्यश्री, मुनि व साध्वीवृंद का कंवली से सम्मान किया गया। शोभायात्र में बैंड व तासा पार्टी नवंकार महामंत्र की धुन बजा रहीं थी। श्रावक-श्राविकाएं भगवान महावीर, जैन धर्म व तपस्वी के जयकारे कर रहे थे। महिलाएं मांगलिक व तपस्या के अनुमोदनार्थ गीतिका गाते हुए चल रहीं थी। जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ युवा परिषद की स्थानीय इकाई के सदस्य तमका लगाए हुए चल रहे थें । घुड़ सवार पंचरंगी जैन ध्वज लिए हुए था।
जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ के गच्छाधिपति आचार्यश्री जिन मणि प्रभ सागर सूरिश्वरजी के सान्निध्य में हुए अभिनंदन समारोह में जैन श्वेताम्बर तपागच्छ व पाश्र्वचन्द्र गच्छ के मुनि व साध्वीवृंद ने भी भागीदारी निभाई तथा तप की अनुमोदना की। श्रावक-श्राविकाओ ने गीतिका, भावों व जयकारों से साध्वीजी व उनके तप का अभिनंदन किया।
साध्वीजीश्री के त्याग व तप का सम्मान करते हुए उनके सांसारिक पुत्र बाल मुनि मलयप्रभ सागर, श्राविका सुश्री खुशबू नाहटा व मोतीलाल मुसरफ ने 9-9 दिनों की तथा साहित्यकार मुनि मनित प्रभ सागर ने गणधर तप की तथा अनेक श्राविक-श्राविकाओं ने भी सिद्धितप व गणधर तप आदि की तपस्या करते हुए साध्वीजी के तपस्या की अनुमोदना की।
आचार्यश्री जिन मणिप्रभ सागर सूरिश्वरजी, साहित्यकार मुनि मनित सागर सहित अनेक मुनियों व साध्वीश्री प्रिय श्रद्धांजनाश्री ने साधु-साध्वी मंडल की ओर से तपस्वी साध्वीश्री मुद्रांजनाश्रीजी को भगवान की प्रतिमा भेंट कर भगवान महावीर के शासन की शोभा बढ़ाने, निरन्तर जप,तप, ध्यान व स्वाध्याय करते हुए संयम के मार्ग की श्रेष्ठ साधना करने का आशीर्वाद दिया। उनके सांसारिक पुत्र बालमुनि मल प्रभ सागर, विचक्षण महिला मंडल, साध्वी प्रिय सूत्रंजना व प्रियश्री श्रेष्ठांजनाश्रीजी ने गीतिका ’’ तपस्वी का शत-शत अभिनंदन हो’’ पेश की तथा मंगलकामनाएं की।
गच्छाधिपति जिन मणि प्रभ सागर सूरिश्वरजी ने कहा कि अनादि काल से कर्मों के क्षय करने की ताकत तप में है। दोष,पाप, कषाय मुक्ति के लिए तप रूपी अग्नि में सबको तपाना होता है। साधु जीवन में विपरीत मौसम में मासक्षमण जैसी तपस्या करना, तपस्या के बावजूद धर्म,ध्यान व देव, गुरु व भक्ति में लीन रहना, समभाव रखना अनुकरणीय कार्य है। जैन श्वेताम्बर पाश्र्वचन्द्र गच्छ के मुनिश्री पुण्य रत्न चन्द्र ने कहा कि तप के बिना जीवन में कोई भी साधना नहीं हो सकती। दान, शील के साथ उत्तम तप को ही सर्वश्रेष्ठ कहा गया है। सम्यक दर्शन के बिना की गई तपस्या केवल काया कलेश होती है। जैन श्वेताम्बर तपागच्छ के प्रन्यास प्रवर मुनि पुण्डरीक रत्न ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी ने कहा है कि तपस्या व जीवदया में जैनियों का कोई जोड़ नहीं है। तपस्या पूर्ण वैज्ञानिक तथा शारीरिक व आत्मिक कल्याण के लिए आवश्यक है। मुनि मनित प्रभ सागर ने कहा कि मन व शरीर की शुद्धि व कर्मों की निर्जरा के लिए तप आवश्यक है। साध्वी प्रिय श्रद्धांजनाश्री ने तपस्या से कर्मों का भंजन होता हैं प्रतिक्रमण, दान, पूजा, तीर्थ यात्र व संघ पूजा आदि सभी सरल है लेकिन तपस्या कठिन है। साध्वी जिनेन्द्र प्रभाश्रीजी ने कहा कि भगवान महावीर ने आत्मिक, आध्यात्मिक उन्नति व शारीरिक शुद्धि के लिए तपधर्म को अनुकरणीय बताया है। तपस्वी साध्वीश्री के सांसारिक भाई महिपाल कानुंगा व नन्हें बच्चों सहित अनेक श्रावक-श्राविकाओं ने तप की अनुमोदना की।
तपस्वी साध्वीजी का मोती लाल, राजीव नरेन्द्र कुमार खजांची परिवार की ओर से पूजन किया गया तथा नागौर के मूलचंद व महावीरजी खंजांची परिवार की ओर से देव प्रतिमा प्रदान की गई। तपस्वी साध्वीजी के पिता, बस्तीचंद कानुंगा, माता पुष्पा बाई कानुंगा सहित अनेक परिजनों की ओर से भी तपस्या की अनुमोदना कर साध्वीजी का अभिनंदन किया गया।
समारोह में तपस्वनी साध्वी प्रियमुद्रांजनाश्रीजी के सांसारिक पिता बस्तीचंद कानुंगा, माता पुष्पाबाई कानुंगा, भाई महिपाल, नमन, जिनेश कानुंगा, महेन्द्र कुमार, संजय कुमार सांखला, रूपचंद बोथरा, रतन चंद चोरड़िया, सम्पत लाल चोरड़िया, दौलत राम, राजेन्द्र नाहर, राजेन्द्र वैश्य, अशोक गोलेछा व चांदबाई सहित बाहर से आए श्रावक श्राविकाओं का जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ के अध्यक्ष पन्नालाल खजांची, चिंतामणि जैन मंदिर प्रन्यास के अध्यक्ष निर्मल धारीवाल व जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ ट्रस्ट के अशोक कुमार खजांची सहित सहित अनेक वरिष्ठ श्रावक-श्राविकाओं ने अभिनंदन किया।
स्वामी वात्सल्य-मंगलवार को नाहटा मोहल्ले के कुशल भवन में पानमल, धनराज, सरला देवी, सुरेन्द्र व महेन्द्र कुमार नाहटा परिवार की ओर से स्वामी वात्सल्य का आयोजन किया गया।

पूजा व भक्ति संगीत संध्या –
आदिनाथ मंदिर में श्री शांति स्नातर्् पूजा का आयोजन हुआ जिसका लाभ तपस्विनी साध्वी प्रिय मुद्रांजनाश्री के सांसारिक पिता बस्तीचंद व महिपाल, नमन, जिनेश कानुंगा परिवार फलौदी हाल चेन्नई ने लिया। ढढ्ढा कोटड़ी भक्ति संगीत का आयेाजन हुआ जिसमें सुनील पारख, मगन कोचर, महेन्द्र कोचर, शीला बरड़िया सहित अनेक कलाकारों ने भक्ति गीत पेश किए। पांच दिवसीय पचाहिन्का महोत्सव के तहत बुधवार को दादा गुरुदेव की पूजा होगीं। इस अवसर साध्वी तपोरत्ना सुलक्षणश्रीजी व प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की क्षेतर््ीय संचालिका बी.के.कमल की ओर से भी तपस्या की अनुमोदना पतर्् के माध्यम से की गई।

– मोहन थानवी

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