निर्दलीय विधायकों के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस

राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने कांग्रेसी नेताओं एवं सरकार को समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायकों को खुश करने के लिए उनके खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस लिए है।

जानकारी के मुताबिक वर्ष 2010 से वर्ष 2011 के बीच 159 मुकदमे वापस लिए गए है। इनमें सरकारी सम्पत्तिको नुकसान पहुंचाने, रास्ता रोकने और एससी, एसटी के मुकदमे शामिल है।

जिन लोगों के खिलाफ मुकदमे वापस लिए गए है, उनमें राज्य के सहकारिता मंत्री परसादी लाल मीणा शामिल है। लालसोट से निर्दलीय चुनाव जीते मीणा को सरकार को समर्थन देने के बदले केबिनेट मंत्री बनाया गया था। उन्हें खुश करने के लिए रास्ता रोकने के चार मुकदमे वापस लिए गए, जबकि जिला कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक इसके पक्ष में नहीं थे। इसी तरह से संसदीय सचिव ब्रह्मदेव कुमावत के खिलाफ दर्ज एक मुकदमा वापस लिया गया। कुमावत भी निर्दलीय विधायक है और सरकार को समर्थन देने के बदले राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया है।

प्रदेश कांग्रेस के सचिव पंकज मेहता के खिलाफ दर्ज एससी, एसटी एक्ट का मुकदमा वापस लिया गया है। इसी तरह से प्रदेश कांग्रेस सचिव मिनाक्षी चन्द्रावत एवं तीन कांग्रेसी विधायकों के विरुद्ध दर्ज मुकदमे वापस लिए गए है। इनकी वापसी पर भी पुलिस अधिकारी सहमत नहीं थे।

गुर्जर आरक्षण आंदोलन में दर्ज हुए करीब एक हजार मुकदमे वापस लिए गए है। इन पर सरकारी संपत्तिको नुकसान पहुंचाने एवं रास्ता रोकने को लेकर मामले दर्ज थे। गुर्जर नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के दबाव में ये मुकदमे वापस लिए गए है।

गृह विभाग का जिम्मा संभाल रहे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी मंजूरी के बाद वापस लिए गए इन मुकदमों से तीन हजार से अधिक लोगों को फायदा हुआ है, इनमें कांग्रेस जन अधिक है। राजनीतिक दबाव में वापस लिए गए इन मुकदमों को लेकर गृह विभाग एवं पुलिस प्रशासन के अधिकारी खुश नहीं है।

सूत्रों के अनुसार 101 मुकदमों की वापसी के लिए जिला कलेक्टर सहमत नहीं थे। अजमेर, अलवर, कोटा, धौलपुर आदि के कलेक्टर ने तो कोई भी मामला वापस लेने पर सहमति नहीं दी। सिर्फ सीकर और पाली जिला कलेक्टरों ने ही सभी मुकदमे वापस लेने पर सहमति दी। दौसा कलक्टर ने भी 8 मामलों में ही पॉजीटिव रिपोर्ट दी।

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