बीकानेर, 11 अक्टूबर। जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ के आचार्यश्री जिन मणिप्रभ सूरिश्वरजी जैन श्वेताम्बर तपागच्छ के प्रन्यास प्रवर पुण्डरीक रत्न विजयजी, पाश्र्वचन्द्रगच्छीय मुनिश्री पुण्यरत्नचन्द्र व साध्वीवृंद के सान्निध्य में श्री चिंतामणि जैन मंदिर प्रन्यास की ओर से सकलश्रीसंघ के सहयोग से आयोजित तीन दिवसीय जिन बिम्ब एवं ध्वज दंड प्रतिष्ठा महोत्सव बुधवार को संपन्न हुआ। आचार्यश्री के नेतृत्व में रांगड़ी चौक से भांडाशाह जैन मंदिर तक शोभायात्र निकली।
आचार्यश्री उनके सहवृति मुनि व साध्वीवृंद के सान्निध्य में रांगड़ी चौक के कुंथुंनाथजी, भुजिया बाजार के चिंतामणि जैन मंदिर, बच्छावतों के मोहल्ले के वासुपुज्यजी मंदिर व भांडाशाह जैन मंदिर में ध्वजदंड व जिन बिम्ब की प्रतिष्ठा भक्ति संगीत व मंत्रेच्चारण से की गई।
पांच शताब्दी से अधिक प्राचीन पर्यटन व धार्मिक दृष्टि से विख्यात भांडाशाह जैन मंदिर में प्रवचन में आचार्यश्री जिन मणिप्रभ सूरिश्वरजी ने कहा कि इस मंदिर में नींव में घी डालकर भांडाशाह ने अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया। विपरीत परिस्थितियों में उन्होंने भव्य मंदिर का निर्माण करवाकर जैन धर्म, इतिहास व संस्कृतिक परम्परा को अक्षुण रखा हैं । उन्होंने कहा कि पुण्योदय से ही मंदिर निर्माण, जिन प्रतिमा की स्थापना व ध्वज स्थापना का लाभ मिलता है। श्रावक-श्राविकाओं को चाहिए कि वे जैन मंदिरों में नियमित पूजा अर्चना करें तथा बीकानेर की इस प्राचीन थाती व धरोहर को संरक्षित व सुरक्षित रखने में सक्रिय भागीदारी निभाएंं।
आचार्यश्री ने कहा कि स्वर्गीय कर्मचंद बच्छावत की ओर से संकलित व जिन संग्रहित प्रतिमाओं चिंतामणि जैन मंदिर में प्रतिष्ठत किया गया। स्वर्गीय बच्छावत व उनके बाद मंदिर के निर्माण, जीर्णोंद्धार व विकास करने वाले सभी श्रावक-श्राविकाएं पुण्यशाली हैं। उन्होंने कहा कि इन मंदिरों का सार संभाल का जिम्मा ट्रस्ट के साथ आम जैन धर्मावलम्बियों का हैं।
चिंतामणि जैन मंदिर प्रन्यास के अध्यक्ष निर्मल धारीवाल ने बताया कि मंदिर का जीर्णोंद्धार व प्राचीन भीतिचित्रें में स्वर्णकारी कार्य सहित विभिन्न कार्यों को पिछले दो वर्षाें में करवाया गया। पुरातत्व महत्व की ओर से भारत सरकार की ओर से संरक्षित भांडाशाह जैन मंदिर को विश्व की प्रमुख पर्यटन कंपनी ट्रीप एडवाइजर ने प्रशंसा प्रमाण पतर्् प्रदान किया है। इस मंदिर पर भारतीय डाक विभाग की ओर से कैेंंसिलेशन व आवरण भी जारी किया हुआ है। भूतल से 18 फीट ऊंचाई पर भांडाशाह मंदिर में 5 ध्वज दंड यानि स्तम्भ व उस पर ध्वजाएं स्थापित की है। भांडाशाह जैन मंदिर ही एक ऎसा है जिसके मूलनायक सुमति नाथ व ऊपर की मंजिल में चौमुख प्रतिमाएं है।
धारीवाल ने बताया कि ध्वज दंड स्थापना का लाभ दीपचंद, पूनमचंद, धनराज डागा, दीपचंद, विजयचंद, पुखराज डागा परिवार सहित अनेक अनेक श्रावक-श्राविकाओं ने लेकर जैन धर्म के प्रति समर्पण व्यक्त किया। मंदिरों में भक्ति संगीत के साथ पूजा की गई। जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ के गच्छाधिपति आचार्यश्री जिन मणिप्रभ सूरिश्वरजी अपने सहवृति मुनियों व साध्वीवृंद के साथ गुरुवार को सुबह छह बजे नाहटा मोहल्ले के रतन लाल, राजेश कुमार नाहटा के निवास पर जाएंगे तथा वहां से चर्तुर्विद संघ के साथ भांडाशाह जैन मंदिर पहुंचेंगे । भांडाशाह जैन मंदिर में आचार्यश्री के सान्निध्य में चांदी के ताले को खोलकर सुबह छह बजे प्रथम दर्शन का लाभ प्राप्त करेंगे।
आचार्यश्री के प्रवचन- आचार्यश्री जिन मणिप्रभ सूरिश्वरजी गुरुवार से नियमित सुबह नौ से दस बजे तक चातुर्मासिक प्रवचन करेंगे।
अशोक पारख
जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ ट्रस्ट,
बीकानेर