मनसुखदान का जगा भाग्य

bikaner samacharग्रामीणों को उचित दरों पर गुणवत्तापरक जरूरत का सामान उपलब्ध करवाने के उद््देश्य से राज्य सरकार की पहल पर चलाए जा रहे अन्नपूर्णा भंडार एक ओर ग्रामीणों के लिए वरदान साबित हो रहे हैं, वहीं इन भंडारों के माध्यम से रोजगार हासिल करने वाले संचालक भी राज्य सरकार का धन्यवाद करते नहीं थकते।

बीकानेर से करीब 80 किलोमीटर दूर स्थित पूगल में अन्नपूर्णा भंडार का संचालन कर रहे मनसुखदान की दुनिया अब पूरी तरह बदल चुकी है। वे कहते है कि इस योजना ने उन जैसे सैंकड़ों बेरोजगारों का भाग्य जगा दिया है। वे फरवरी 2016 से यह भंडार संचालित कर रहे हैं। मनसुखदान बताते है कि पहली बार जब वे इस भंडार के लिए करीब 83 हजार रूपये का सामान बिक्री के लिए लाए तो उन्हें डर था कि इतना सामान कैसे बिकेगा और इसमें क्या सच में उन्हें कोई लाभ होगा भी या नहीं। लेकिन भंडार की गुणवत्तापरक व उचित दरों पर हर प्रकार की वस्तुओं की उपलब्धता ने लोगों को इस ओर आकर्षित किया और दिनोदिन उनके ग्राहकों की संख्या बढ़ रही है। उनके भंडार से हर माह 25 से 30 हजार रूपए की बिक्री हो रही है और उन्हें पांच-छह हजार रूपए का फायदा। शादी ब्याह के मौकों पर उन्हें अतिरिक्त ऑर्डर भी प्राप्त होता है।

अन्नपूर्णा भंडार चला कर मनसुखदास एक ओर जहां रसद वितरण के बाद अपने समय का सदुपयोग कर अतिरिक्त रोजगार प्राप्त कर पाए हैं, वहीं दूसरी ओर गांव के लोगों को एक ही छत के नीचे सम्पूर्ण सुविधाएं मिलने से शहर जाने में लगने वाले समय और धन की भी बचत हो सकी है। ‘सबसे अच्छा-सबसे सस्ता‘ की तर्ज पर खोले गए इन भंडारों से गांवों की आबोहवा में भी शहरी संस्कृति की झलक देखने को मिल रही है।

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