पंचायती फरमान: युवतियां मोबाइल न रखें

हरियाणा और उत्तर प्रदेश के बाद पंचायतों के तुगलकी फरमान अब राजस्थान में भी सुनाए जाने लगे हैं। पिछले दो दिन में राज्य के दो एसटी बाहूल्य क्षेत्रों में लड़कियों को लेकर दो अलग-अलग फरमान सुनाए गए। राष्ट्रीय एवं राज्य महिला आयोग ने दोनों ही स्थानों की पंचायत फरमान को लेकर रिपोर्ट मंगवाई है। वहीं प्रशासन भी विवाद बढ़ते देखकर अब सक्रिय हुआ है।

मीणा बाहूल्य दौसा जिले के भांडारेज में बुधवार को हुई सर्व समाज की पंचायत में लड़कियों को मोबाइल नहीं रखने तथा चेहरे पर स्कार्फ नहीं बांधने का निर्णय सुनाया गया। यह बैठक गांव से कुछ दिन पूर्व लापता हुई युवती के मामले को लेकर बुलाई गई थी।

बैठक में पुलिस को अल्टीमेटम भी दिया गया कि तीन दिन में युवती को बरामद नहीं किया गया तो आंदोलन किया जाएगा। बैठक में लड़कियों द्वारा स्कार्फ बांधने और मोबाइल रखने पर कोई सजा या जुर्माने का प्रावधान तय नहीं किया गया, लेकिन जब इस बारे में ग्रामीणों से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह निर्णय सभी अभिभावकों ने सर्वसम्मति से लिया है। इसका पालन भी पूरी तरह से कराएंगे।

ग्रामीणों ने बताया कि युवती की गुमशुदगी की रिपोर्ट थाने में दर्ज है। इसमें कहा गया है कि एक युवक उस भगा ले गया है। लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

विवाद बढ़ने के बाद दौसा जिला कलेक्टर ने गुरुवार को प्रशासनिक अधिकारियों को भांडारेज भेजकर मामला शांत कराने के प्रयास शुरू कर दिए है। प्रशासन अब गांव वालों पर यह दबाव डाल रह है कि वे सार्वजनिक रूप से आगे कहीं भी इस तरह के निर्णय के बारे बयानबाजी नहीं करें।

इसी तरह से आज प्रदेश के आदिवासी अंचल बांसवाड़ा के घड़ी क्षेत्र में आदिवासियों की एक पंचायत ने महिलाओं को सार्वजनिक स्थलों पर अकेले नहीं जाने और सफर में सुरक्षा के इंतजाम साथ रखने के फैसला सुनाया है। इस क्षेत्र के आदिवासी मुखिया रामजेठ ने फैसले की हामी भरते हुए कहा कि यह हमारे समाज का मामला है इसमें हम कुछ भी कर सकते है,प्रशासन अथवा मीडिया का इसमें कोई दखल नहीं हो सकता।

गौरतलब है कि बांसवाडा गुजरात और मध्यप्रदेश दोनों ही राज्यों की सीमा से सटा हुआ है। इस दोनों प्रदेशों के आदिवासियों का राज्य के आदिवासियों से व्यवहार है।

राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष ममता शर्मा का कहना है कि मामले के बारे में रिपोर्ट मंगवाई गई है। महिलाओं के अधिकारों की पूरी रक्षा की जाएगी।

वहीं राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष लाड कुमारी जैन ने कहा कि ऐसे फरमान तालिबानी और गैर-कानूनी है। लोकतंत्र में आप ऐसी पाबंदियां कैसे लगा सकते हैं। मामले की जांच कराकर उचित कार्यवाही करेंगे।

भाजपा की प्रदेश उपाध्यक्ष सुमन शर्मा ने इसे तालिबानी फरमान बताते हुए कहा कि राजस्थान में कानून का भय पूरी तरह से खत्म हो गया।

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