समाज मे सकारात्मक बदलाव के लिये साहित्य जरुरी

मन के अल्फाज़ का विमोचन
जयपुर 28 फरवरी को सम्पर्क संस्थान के तत्वावधान में युवा कवयित्री हिमाद्री वर्मा डोई के तृतीय काव्य संग्रह “मन के अल्फाज़” का विमोचन समारोह सम्पन्न हुआ।
इस अवसर पर उपस्थित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार व समीक्षक डॉ नरेंद्र शर्मा कुसुम’, अध्यक्ष श्री उपेंद्र सिंह राठौड़, विशिष्ट अतिथि सम्पर्क संस्थान की प्रदेश समन्वयक रेनू शर्मा, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ संतोष बकाया, वरिष्ठ नागरिक मंच के सदस्य एवं रिटायर्ड
आर. ए.एस.श्री श्रीराम वर्मा ,तथा वरिष्ठ व्याख्याता डॉ बबीता वर्मा के करकमलों द्वारा “मन के अल्फाज़” का विमोचन हुआ।
सम्पर्क संस्थान अध्यक्ष श्री अनिल लढा जी ने सम्पर्क संस्थान का परिचय देते हुए सेव बेटी के सिद्धांत पर कार्य करते हुए सम्पर्क संस्थान की साहित्यिक क्षेत्र में आगे बढ़ाने को आश्वस्त किया।
कवयित्री हिमाद्री ने मन के अल्फाज़ को कवि मन की वो ख्वाहिशें बताई जिनमें से कुछ पूरी हुई और कुछ अधूरी रही। साथ ही महिला सशक्तीकरण को नई दिशा में आगे बढ़ाने की बात पर जोर दिया। कवयित्री हिमाद्री ने कहा कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और उन्हें सशक्त आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी बनाओ के साथ साथ आत्मनिर्णायक भी बनाओ। क्योंकि जब तक नारी को स्वयं से सम्बन्धित निर्णय लेने की स्वतंत्रता नहीं मिलेगी तब तक उसमें आत्मविश्वास जाग ही नहीं सकता और हमारे देश का विकास इसके बिना अधूरा ही रहेगा।
इस काव्य संग्रह की सबसे खास बात यह है कि पहले के दो काव्य संग्रह की तरह ही यह भी हमें को एक खुशहाल भविष्य, सुन्दर व सुलझी संस्कृति की ओर चलने को प्रेरित करता है। इसके साथ ही आप के दो काव्य संग्रह 2016 में प्रकाशित हुए हैं “ख्वाहिशों के समंदर” और “ख्वाहिशों की धारा में अहसास दिल के” ।
मुख्य अतिथि नरेंद्र शर्मा कुसुम ने कहा कि सृजनशीलता समाज में नवोदय को जन्म देती है। समाज के सकारात्मक रूपांतरण में कविता की उल्लेखनीय भूमिका रही है। युवा कवयित्री हिमाद्री की कविताएँ लोकोपयोगी बने ऐसी उन्होंने कामना की है।
विशिष्ट अतिथि रेनू शर्मा ने कवयित्री हिमाद्री के काव्य के बारे में बताया कि इसमें सामाजिक भेदभाव, स्त्री के साथ अन्यायपूर्ण व्यवहार के मुद्दों को उठाने के साथ रिश्तों में आपसी प्रेम और विश्वास को बढ़ावा देने वाली रचनाएँ हैं। हिमाद्री के काव्य की खूबी यह है कि ये सारी रचनाएँ सकारात्मक सोच का संदेश देती हैं जो आज के व्यस्त जीवन
में प्रासंगिक है।
विशिष्ट अतिथि डॉ संतोष बकाया ने हिमाद्री के काव्य को उनके ख्वाबों एवं अरमानो की जीवन्त अभिव्यक्ति बताया।
श्री श्री राम वर्मा जी ने काव्य संग्रह की भूरी-भूरी प्रशंसा करते हुए कहा कि हिमाद्री के काव्यों में गांधीवादी विचारों
की महक मिलती है जो अहिंसा का पालन करते हुए समाज में सकारात्मक बदलाव की ओर हमें अग्रसर करती है।
इसके साथ ही उन्होंने कविता के क्षेत्र में हिमाद्री के कुशल भविष्य की कामना की। डॉ बबीता वर्मा ने बताया कि उन्होंने हिमाद्री की सभी पुस्तकें पढ़ी हैं। उन्होंने कहा कि हिमाद्री के काव्य महिला सशक्तीकरण के साथ साथ जीवन के अनेक पहलुओं की ओर भी हमारे ध्यान आकर्षित करते हैं। जो कि एक आदर्श समाज की मजबूत नीव बनाने के लिए आज के युग के लिए अवश्यमभावी है।संचालन विजय लक्ष्मी जांगिड ने किया ।

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