रावत राजपूत समाज के धर्मगुरु आयस महाराज का देवलोक गमन
मगरे में शोक की लहर, नही मनी होली
बख्तावरवन होंगे नए आयस महाराज, कल होगा राजतिलक
मगरा क्षेत्र के रावत-राजपूत समाज के धर्मगुरु श्री श्री 1008 नारायण वन महाराज का अहमदाबाद में उपचार के बाद निधन हो गया। निधन की खबर सुनते ही पूरे मगरा क्षेत्र में रावत- राजपूत समुदाय में शोक की लहर व्याप्त हो गई और होली का त्यौहार नहीं मनाया गया । होली के दिन उपचार के दौरान अहमदाबाद में निधन होने के बाद धुलण्डी के दिन गौरम पहाड़ी की तलहटी में स्थित पाली जिले के सारण ठिकाना परिसर में गाजे-बाजे सहित हजारों रावत-राजपूत सरदारों के बीच आसन जिलेलाव आयस पूना रावल महाराज के सानिध्य में अंतिम संस्कार (समाधि) दी गई ।इस अवसर पर पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी मोहन सिंह चौहान, रावत-राजपूत महासभा प्रदेश संयोजक गोपाल सिंह पीटीआई, चौबीस गांव काछबली क्षेत्र अध्यक्ष ज्ञान सिंह, जिला परिषद सदस्य डाउ सिंह टॉडगढ़, मगरा विकास मंच अध्यक्ष जसवंत सिंह मंडावर, ब्यावर विधायक शंकर सिंह रावत, सारण प्रमुख नारायण सिंह, बरार प्रमुख जेठ सिंह, मगरा सेना प्रमुख नारायण सिंह काछबली, गजेंद्र सिंह सारण, निर्मल सिंह मेवड़ा, रावत- राजपूत महासभा अध्यक्ष पृथ्वी सिंह सिरियारी, पटवार संघ जिलाध्यक्ष मिठू सिंह मण्डावर, संपादक केसर सिंह सुजावत, समेत काछबली, मण्डावर, बग्गड, लाखागुड़ा, मियाला, बरार, कुकरखेड़ा , टॉडगढ़, भागावड, भीम, जोजावर, कंटालिया, राजसमन्द, पाली, अजमेर, भीलवाड़ा क्षेत्र समेत मगरा, मारवाड़, मेरवाडा क्षेत्र के हजारों लोग मौजूद थे।
मगरा क्षेत्र में शोक की लहर, नहीं मनाई होली
श्री श्री 1008 नारायण वन महाराज के असामयिक निधन पर मगरे क्षेत्र में शोक की लहर व्याप्त हो गई। मगरे क्षेत्र में तीन धर्मगुरु ठिकाने स्थित है । जिनमें सबसे प्रमुख ठिकाना सारण , दूसरा आसन जिलेलाव एवं तीसरा सोपरा आयस है । सोपरा आयस महाराज महावीर पूरी का निधन भी डेढ़ महीने पूर्व हुआ था । इस तरह डेढ़ महीने में दो धर्मगुरुओं के देवलोक गमन से मगरा क्षेत्र में भारी क्षति का सामना करना पड़ा है । होली के दिन आयस महाराज के निधन की खबर के बाद होली का त्यौहार नहीं मनाया गया एवं मगरा क्षेत्र के काछबली मंडावर भीम बरार से हजारों श्रद्धालु सारण पहुंचे।
बख्तावर वन होंगे नए आयस महाराज
धुलण्डी पर सारण में भरता है मेला, उसी दिन हुआ अंतिम संस्कार
होली का पर्व पर सारण आज महाराज के सानिध्य में विविध आयोजन होते हैं । जिसमें होली के दो दिन पूर्व गौरम पहाड़ की तलहटी में वायड़ भैरु स्थान पर लवाजमे सहित पालकी में बैठकर जाते तथा वहां मेला आयोजित होता है । इसके बाद धुलंडी पर सारण गांव में आयस महाराज के सानिध्य में मेला आयोजित होता है पर दो दिन पूर्व वायड में आयस महाराज की अचानक तबीयत बिगड़ने पर अहमदाबाद ले जाया गया । जिनका होली के दिन देहावसान हो गया और धुलण्डी पर मेला आयोजन के दिवस पर अंतिम संस्कार किया गया यह मात्र संयोग ही था।