बेटियां हमारी आन-बान-शान है – नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर देश को दो नई सौगातें दीं। राजस्थान के झुंझुनूं की धरती से गुरुवार को ’बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ अभियान के पूरे देश में विस्तार तथा राष्ट्रीय पोषण मिशन का शुभारंभ करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि बेटियां बोझ नहीं हमारी आन-बान-शान होती हैं। उन्होंने कहा कि देश को कुपोषण से मुक्त करने और कन्या भू्रण हत्या जैसी विकृति के उन्मूलन के लिए देश के हर परिवार को साथ आना होगा। महिला दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजस्थान के झुंझुनूं पहुंचे जहाँ से मोदी ने राष्ट्रीय पोषण मिशन की शुरुआत की। इस मौके पर मोदी ने कहा- ”ये वीरो की भूमि है। इस जिले ने साबित कर दिया है कि युद्ध हो या अकाल हो, झुंझुनूं झुकना नहीं, लड़ना जानता है। जिस तरह बेटी बचाओ अभियान को आगे बढ़ाया जा रहा है, इससे देश को प्रेरणा मिलेगी। अगर सास तय कर लें कि घर में बेटी चाहिए तो किसी की ताकत नहीं है कि वो इसका विरोध करे।”
इसके साथ ही मोदी ने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान को विस्तार दिया। इस मौके पर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया, एक्ट्रेस प्रियंका चौपड़ा और केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी मौजूद रहीं।

झुंझुनूं ने मुझे यहां आने के लिए मजबूर कर दिया
नरेंद्र मोदी ने कहा, ”आज 8 मार्च को दुनिया अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाती है। इसे 100 साल हो गए हैं, लेकिन आज पूरा झुंझुनूं इससे जुड़ गया है। मैं ऐसे ही यहां नहीं आया हूं, कुछ सोच विचार करके आया हूं। आपने मुझे यहां आने के लिए मजबूर कर दिया है। जिस तरीके से झुंझुनूं ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान को आगे बढ़ाया, उससे मेरा मन कर गया कि यहां की मिट्टी को माथे पर लगाऊं।”

झुंझुनूं झुकना नहीं, लड़ना जानता
नरेंद्र मोदी ने कहा, ”ये वीरो की भूमि है। इस जिले ने साबित कर दिया है कि युद्ध हो या अकाल हो, झुंझुनूं झुकना नहीं, लड़ना जानता है। जिस तरह बेटी बचाओ अभियान को आगे बढ़ाया जा रहा है, इससे देश को प्रेरणा मिलेगी। अगर सफलता मिलती है तो मन को संतोष होता है, लेकिन कई बार मन को दुख होता है कि जिस देश की महान परंपराएं, वेद से विवेकानंद तक सही दिशा में प्रबोधन। लेकिन क्या कारण है कि हमें अपने ही बेटी को बचाने में धन खर्च करना पड़ रहा है। बजट तय करना पड़ रहा है। इससे बड़ी कोई पीड़ा नहीं हो सकती है।”

अब तय कर लें बेटा और बेटियां बराबर पढ़ेंगी

नरेंद्र मोदी ने कहा- ”सामाजिक बुराइयों के चलते हमने अपनी ही बेटियों की बलि चढ़ाना तय कर लिया। कई दशकों तक बेटियों को नकारते रहे, आज 4 से 5 पीढ़ियां जमा हुई हैं। कई सालों में जो घाटा हुआ, उसे पूरा करने में समय तो लगेगा, लेकिन तय कर लें कि बेटा और बेटियां बराबर पढ़ेंगी। जितने बेटे पैदा होंगे, उतनी ही बेटियां पैदा हों।”
”आज जिन जिलों को सम्मान दिया गया। वो बेटों के जैसे ही बेटियां को आगे बढ़ाने के लिए आगे आए हैं। इसे एक जन आंदोलन बनाना होगा। अगर सास ये तय कर लें कि घर में बेटी चाहिए तो किसी की ताकत नहीं है कि वो बेटियों का विरोध करे।”

अच्छा लगता है कि बेटियां स्पेस टेक्नोलॉजी में कामयाबी हासिल करती हैं

मोदी ने कहा- ”हमने हरियाणा, जहां बेटियां की संख्या काफी कम थी, वहीं से अभियान शुरू किया। कुछ लोगों ने कहा कि यहां से काम की शुरुआत करने पर विरोध होगा। लेकिन मैंने यहीं से अभियान शुरू करने का फैसला लिया।”
”आज बेटी बोझ नहीं, वो तो पूरे परिवार की आन-बान-शान है। बेटियां स्पेस टेक्नोलॉजी में कामयाबी हासिल कर रही हैं। ओलिम्पिक में जब बेटियां गोल्ड मेडल लेकर आती हैं तो लोगों को इस पर गर्व होता है।”

हम बच्चों को अच्छी आदतें सिखाएं
नरेंद्र मोदी ने कहा- ”जन्म के बाद अगर बच्चों को मां का दूध पीने मिले तो आगे उसकी कई बीमारियां दूर हो जाती हैं। अगर हम मां की रखवाली करेंगे तो उसके दूध से बच्चों में कुपोषण दूर हो जाएगा।” – ”एक अनुमान है कि बगैर हाथ धोए खाना खाने पर 30 से 40 फीसदी बीमारियां शरीर में आती हैं। अब ये बात बच्चों के साथ मां को भी समझाना होगा। स्कूली बच्चों में एक उम्र के बाद दूसरों के शारीरिक विकास स्पर्धा होती है कि मेरी भी ऊंचाई उसकी तरह होनी चाहिए।”

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