श्री सिद्धान्त संस्कृत एवं वैदिक शिक्षण पाठशाला का शुभारम्भ

” संस्कृति एवं परम्पराओं के संवद्र्धन और संरक्षण के लिए संस्कृत भाषा के निरंतर अध्ययन और अभ्यास की आवश्यकता है।ÓÓ डॉ. मुरारी शर्मा
बीकानेर (संवाद)। संस्कृत भाषा एवं साहित्य उन्नयन और युवापीढ़ी में संस्कृत भाषा व साहित्य के प्रति रूचि जागृत करने के पावन उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए सांस्कृतिक परम्पराओं के संरक्षण एवं संवद्र्धन के लिए कार्यरत संस्था परम्परा, बीकानेर-चैन्नई की ओर से श्री सिद्धान्त संस्कृत एवं वैदिक शिक्षण पाठशाला का शुभारम्भ वरिष्ठ संगीत अध्येता डॉ. मुरारी शर्मा के कर-कमलों से स्थानीय गोगागेट के बाहर स्थित ऋग्वेदीय गायत्राी मंदिर में किया गया। कार्यक्रम के मुख्य आतिथ्य में डॉ. मुरारी शर्मा ने कहा कि हमारी संस्कृति और परम्पराएं हमारे अस्तित्व की प्रमुख पहचान हैं। हमारी संस्कृति और परम्पराओं का संरक्षण और संवद्र्धन करना हमारा अहम दायित्व है। इस उत्तरदायित्व निर्वाह में संस्कृत भाषा का ज्ञान बहुत आवश्यक है। इसलिए भारतीय संस्कृति एवं परम्पराओं के संवद्र्धन और संरक्षण के लिए संस्कृत भाषा के निरंतर अध्ययन और अभ्यास की आवश्यकता है। संस्कृत भाषा के स्वर, ध्वनि, स्वरूप एवं भाषा संरचना पूर्णत वैज्ञानिक रही है। परम्परा संस्था द्वारा श्री सिद्धान्त संस्कृत एवं वैदिक शिक्षण पाठशाला का यह अभिनव प्रयास सभ्य एवं नैतिक समाज की स्थापना में अहम भूमिका निभाएगा। परम्परा, बीकानेर के संयोजक प्रख्यात लोककला मर्मज्ञ डॉ. श्रीलाल मोहता ने कहा कि हमारी संस्कृति एवं परम्पराएं अधूरे ज्ञान व पाश्चात्य चकाचौंध के कारण विकृत होती जा रही हैं। विश्व की श्रेष्ठ भाषा के रूप में स्थापित हमारी संस्कृत भाषा को हमारे ही देश के लोग उपेक्षा की दृष्टि से देखने लगे हैं। इसलिए संरक्षण के नाम पर हमें अपनी संस्कृति एवं परम्पराओं को अजायबघर की वस्तु मात्रा बनाकर नहीं रखना है अपितु हमें तो इनका बीज रूप में संरक्षण करना है ताकि भावी पीढ़ी के संस्कारों में संवाहित होकर इनके वट वृक्ष बनने की संभावना बनी रहे। संस्कृत भाषा एवं साहित्य के संवद्र्धन के इसी पावन उद्देश्य से संस्था द्वारा स्मृतिशेष प्रिय श्री सिद्धांत के जन्म दिवस के अवसर पर एक लघु प्रयास के रूप में श्री सिद्धान्त संस्कृत एवं वैदिक शिक्षण पाठशाला का शुभारम्भ किया गया है। इसी के साथ डॉ. मोहता ने परम्परा, बीकानेर- चैन्नई की संरक्षिका श्रीमती मंजुलिका झवेर के आशीर्वचन को व्यक्त करते हुए कहा कि आप सबके सहयोग एवं आशीर्वाद से ही यह पाठशाला अपने पावन लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल होगी। प्रख्यात प्रौढ़ शिक्षाकर्मी श्री अविनाश भार्गव ने कहा कि आज जिस तरह के देश में नैतिक और आध्यात्मिक पतन हो रहा है ऐसे वातावरण में भावी पीढ़ी में नैतिक एवं उत्तरदायित्व पूर्ण संस्कारों के बीज बोने के लिए संस्कृत भाषा एवं साहित्य का व्यापक प्रचार-प्रसार किए जाने की जरूरत है। इस दृष्टि से परम्परा का यह प्रयास निश्चित ही प्रशंसनीय है। संस्कृत भाषा एवं साहित्य हमें सात्विक जीवन दृष्टि देते हैं – हमारा आत्मबल बढ़ाते हैं। इसी के साथ श्रीभार्गव में विद्यार्थियों के आनन्द, शिक्षकों के समर्पण और अभिभावकों के पर्यवेक्षण को पाठशाला की सफलता के मंत्रा के रूप में अभिव्यक्त किया। पाठशाला के प्रबंधक पंडित गायत्राी प्रसाद शर्मा पाठशाला के पाठयक्रम के बारे में बताते हुए कहा कि पाठशाला के वार्षिक पाठ्यक्रम विद्यार्थियों को संस्कृत व्याकरण, संभाषण, श्लोक वाचन, स्तोत्रा पाठ, रूद्री, दण्डक, मन्त्रा संहिता, षोडश संस्कार, आदि का अध्ययन एवं अभ्यास करवाया जाएगा। यह पाठशाला सायंकालीन सत्रा में प्रतिदिन 5 बजे से 7 बजे तक संचालित की जाएगी। इसी के साथ श्रीशर्मा ने कहा कि हम अपने गौरवशाली अतीत को जानें और भविष्य का मार्ग प्रशस्त करें। कार्यक्रम के सान्निध्य उद्बोधन में ऋग्वेदीय गायत्राी मंदिर के अधिष्ठाता पं. श्री बंशीधर शर्मा ने अपने आशीर्वचन में कहा कि हमें बिना किसी जाति-पांति के भेदभाव के हमारे बालकों व हमारी युवापीढ़ी में संध्या वंदन के संस्कार संवाहित करने होंगे। संध्या वंदन से हमारी आध्यात्मिक उन्नति तो होती ही है साथ ही हमारी नैतिक एवं शारीरिक ताकत भी बढ़ती है। मां शारदे का आशीर्वाद लेकर प्रारंभ हुए इस शुभारंभ समारोह के प्रारंभ में जहां संस्था परिवार के श्री आनन्द पुरोहित द्वारा वीणा वादिनी वर दे…..की मधुर प्रस्तुति दी गई वहीं वेदपाठी युवाओं द्वारा स्वस्ति वाचन कर वातावरण को सात्विक आनंद से भर दिया गया। इसी क्रम में उपस्थित किशोरी समूह द्वारा संस्कृत भाषा में स्वागत गीत प्रस्तुति से अतिथियों का भावसिक्त स्वागत किया गया। कार्यक्रम के संचालन में संस्था परिवार के ओमप्रकाश सुथार द्वारा संस्था की कार्य-गतिविधियों से आगंतुकों को अवगत कराया गया। समारोह के अंतिम सत्रा में अतिथियों के कर-कमलों से पाठशाला में नामांकित विद्याार्थियों को शिक्षण सामग्री भी वितरित की गई। समारोह में स्थानीय महिला-पुरूषों, युवाओं, युवतियों एवं बालकों की उत्साहित उपस्थिति ने आयोजन को सार्थकता प्रदान की।

error: Content is protected !!