जिला एग्रोमेट इकाई उपलब्ध करवाएगी मौसम की जानकारी
कृषि विश्वविद्यालय में केवीके की समीक्षा कार्यशाला हुई आयोजित
बीकानेर, 11 जून । स्वामी केशवानन्द राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय में तीन राज्यों के कृषि विज्ञान केन्द्रों की वार्षिक कार्यशाला के दूसरे दिन 40 कृषि विज्ञान केन्द्रों के वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किए, जिनमें राजस्थान के 26 और हरियाणा के 14 कृषि विज्ञान केन्द्र शामिल हैं। कार्यशाला के संयोजक तथा प्रसार शिक्षा निदेशक प्रो. एस.के. शर्मा ने बताया कि कार्यशाला के दौरान वर्ष 2017-18 की प्रगति की समीक्षा की गई तथो वर्ष 2018-19 की कार्य योजना प्रस्तुत की गई।
सोमवार को जोन -ाा के 6 कृषि विश्वविद्यालयों के प्रसार शिक्षा निदेशकों ने अपनी गतिविधियों के प्रगति प्रतिवेदन भी प्रस्तुत किए। इनमें डाॅ. एस.के शर्मा(बीकानेर), डाॅ. जी.एस. बांगड़वा(जोबनेर), डाॅ. ईश्वर सिंह (जोधपुर), डाॅ. के.एम. गौतम(कोटा), डाॅ. आर.एस. हुड्डा(हिसार) एवं डाॅ. जी.सी. तिवारी(उदयपुर) शामिल हंै।
कार्यशाला के प्रायोजक कृषि तकनीकी अनुप्रयोग संस्थान के निदेशक डाॅ. एस.के. सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत वर्ष 2018-19 में जोन-ाा के 61 कृषि विज्ञान केन्द्रों द्वारा 4 हजार 770 हेक्टेयर में क्लस्टर प्रथम पंक्ति प्रदर्शन आयोजित किये जाएंगे। यह प्रदर्शन किसानों के खेतों में उन्नत तकनीक के दलहनी फसलों के होंगे। उन्होंने बताया कि संस्थान की वेबसाइट सीधे ही प्रसार शिक्षा निदेशालयों और 62 कृषि विज्ञान केन्द्रों से जोड़ दी गई है। आॅन लाइन सम्पर्क होने से प्रशासनिक दक्षता में वृद्धि के साथ ही कार्य की मोनिटरिंग और प्रषासनिक नियन्त्रण सीधा और सरल हो गया है। साथ ही मोबाईल एप भी बनाए जाएंगे, जिनसे किसानों से सीध सम्पर्क किया जा सकेगा। किसान भी अपनी समस्याओं को वेबसाइट के माध्यम से कृषि वैज्ञानिकों तक पहुँचा कर समाधान प्राप्त कर सकते हैं।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के निदेशक डाॅ. एन. चट्टोपाध्याय ने अपने प्रस्तुतीकरण में बताया कि देश में जिला स्तर पर विभिन्न कृषि विज्ञान केन्द्रों पर एग्रोमेट इकाई की स्थापना की जाएगी, जिनके माध्यम से कृषि विज्ञान केन्द्रों द्वारा किसानों को मोबाइल पर ही मौसम की जानकारी उपलब्ध करवाई जायेगी। जैसलमेर जिले में इसका पायलट प्रोजेक्ट प्रारम्भ किया जा रहा है।
डाॅ. एस.के. शर्मा ने बताया कि कृषि विज्ञान केन्द्र, झूंझुंनंू पर दो विषेष परियोजनाएं चलाई जा रही हंै, एक सीड हब, जिसमें दलहनी फसलों का उत्पादन बढ़ाने हेतु उन्नतशील बीजों का विकास कर किसानों को उपलब्ध करवाया जाएगा तथा दूसरी परियोजना निकरा के नाम से चलाई जा रही है, जिसके तहत जलवायु में आ रहे बदलाव के प्रभाव को कम करने हेतु तकनीकी, किसानों को उपलब्ध करवाई जायेगी। साथ ही साथ झूंझुंनूं के भारु गांव में कस्टमर हायरिंग सेन्टर खोला गया है। इसमें 25 कृषि यन्त्र उपलब्ध हंै जो किसान किराया दे कर काम में ले सकते हैं। उन्होंने बताया कि बीकानेर के कृषि विज्ञान केन्द्र में उन प्रमुख कृषि तकनीकियों को चिन्हित किया गया है, जो किसानों की आमदनी बढ़ाने में सहायक होंगी। जैसलमेर में सोनामुखी तथा झूंझुंनूं में ग्वारपाठा की पौध उपलब्ध करवाई जा रही है तथा चांदगोठी पर बूंद-बूंद सिंचाई पद्धति एवं प्लास्टिक मल्च तकनीकी से तरबूज की खेती की इकाई लगाई गई है,जो किसानों के लिए लाभदायक होगी।
