दादा जे. पी. वासवानी का निधन, समाज में शोक

बीकानेर । साधु वासवानी मिशन, पुणे के प्रमुख एवं आध्यात्मिक गुरू दादा जे. पी. वासवानी का 99 साल की उम्र में निधन गुरूवार को सुबह हो गया। वे अस्वस्थता के चलते पिछले दिनों पुणे के एक निजी अस्पताल में भर्ती थे मगर कल रात उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी थी। आज सुबह मिशन के परिसर में निधन हो गया। दुखद सूचना मिलने पर बीकानेर सिंधी समाज सहित समग्र समाज के श्रद्धालुओं में शोक छा गया । रथखाना स्थित साधु वासवानी सेंटर, सुजागु सिंधी, सिंधी सेंट्रल पंचायत, विश्वास वाचनालय शार्दुल कॉलोनी, संत कंवरराम धर्मशाला धोबी तलाई, भारतीय सिंधु सभा महानगर, अमरलाल मंदिर रथखाना – सुदर्शना नगर पवनपुरी के प्रतिनिधियों ने दादा जे.पी वासवानी के निधन को आध्यात्मिक जगत व समाज के लिए अपूरणीय क्षति बताया है ।
। सिंधी साहित्यकार मोहन थानवी ने दादा जे.पी वासवानी जी के 90वें जन्मदिवस पर पुणे में दादा जे.पी वासवानी के साथ बिताए समय व अंतर्राष्ट्रीय सिंधी लेखक सम्मेलन के संस्मरण सुनाए। अगस्त 2018 में दादा जे पी वासवानी का 100 वां जन्मदिन मनाया जाना था जिसके लिए मिशन बड़े समारोह की योजना बना रहा था। 2 अगस्त 1918 को पाकिस्तान के हैदराबाद शहर में जन्मे दादा वासवानी पुणे में अपने गुरु साधु टी. एल. वासवानी द्वारा स्थापित साधु वासवानी मिशन के प्रमुख थे। यह संस्था सामाजिक और दान- पुण्य संबंधी कार्य करती है। उनकी संस्था शाकाहार और पशु अधिकारों के प्रचार के क्षेत्र में भी बहुत काम कर रही है।
सेंटर के श्रीबालानी, देवीचंद खत्री, मोहन थानवी सतीश रिझवानी हीरालाल रिझवानी किशन सदारंगानी लालचंद तुलसियानी विजय ऐलानी सोनूराज आसूदानी ने दादा वासवानी जी की लिखी 150 से अधिक आत्म-सहायक पुस्तकें पढ़ने व उनके बताए मार्ग पर चलने का आह्वान किया।

विशेष जानकारी
वासवानी के 99 वें जन्मदिन पर आयोजित समारोह को पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो लिंक के जरिए संबोधित किया था। इस साल मई में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी उनके मिशन पहुंचे थे। भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी भी अक्सर मिशन आते थे।
दादा जे.पी. वासवानी का जीवन-परिचयः
दादा जे.पी. वासवानी का जन्म 2 अगस्त 1918 को पाकिस्तान के हैदराबाद शहर में हुआ। माता कृष्णादेवी और पिता पहलाजराय के सात बच्चों में एक दादा वासवानी बहुत प्रतिभाशाली विद्यार्थी थे। वासवानी ने बचपन में सामान्यतः पांच की बजाय तीन साल की अल्पआयु में ही अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी की।
उनके पिता पहलाजराय हैदराबाद ट्रेनिंग कॉलेज में कार्यरत थे और कराची में प्राथमिक विद्यालयों के पर्यवेक्षक भी रहे। उनकी मां कृष्णादेवी उन दिनों में अंग्रेजी शिक्षा से लाभान्वित पहली कुछ महिलाओं में से एक थी। इसका प्रभाव दादा वासवानी के बाल्यकाल पर पड़ा और वासवानी ने पारिवारिक संस्कारों के बीच उच्च शिक्षा हासिल की।

वह अपने गुरु साधु टी. एल. वासवानी द्वारा स्थापित साधु वासवानी मिशन के वर्तमान में आध्यात्मिक प्रमुख थे। यह संस्था सामाजिक और दान- पुण्य संबंधी कार्य करती है। उनकी संस्था शाकाहार और पशु अधिकारों के प्रचार के क्षेत्र में भी बहुत काम कर रही है। भारत में पुणे में साधु वासवानी मिशन का मुख्यालय है और संस्था के दुनिया भर में अनेक केंद्र स्थापित है।
दादा जे.पी. वासवानी ने 150 से अधिक आत्म-सहायता किताबें भी लिखी हैं। वासवानी ने लंदन में ब्रितानी शिकागो में विश्व संसद और संयुक्त राष्ट्र में धार्मिक और आध्यात्मिक नेताओं के सहस्राब्दी विश्व शांति सम्मेलन समेत कई अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में भाग लिया।
ऐसे महान आध्यात्मिक गुरू दादा जे.पी. वासवानी को समग्र समाज की ओर से अश्रुपूरित श्रद्धांजलि।

– ✍️ मोहन थानवी
संवाद प्रेषक

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