श्रीचन्द्र भगवान का 524 वां जन्मोत्सव 18 को

हरीशेवा उदासीन आश्रम में होंगे आयोजन
भीलवाड़ा। पन्द्रहवीं शताब्दी के अन्तिम दशक में जब दानवता का ताण्डव जोरों पर था, तब परम तपस्वी उदासीनाचार्य श्रीचन्द्र महाराज का जन्म भाद्रपद शुक्ला नवमी संवत 1551 (सन् 1494) में तलवण्डी नानकाना साहिब में हुआ। उदासीनाचार्य श्रीचन्द्र जी की माता का नाम सुलक्षणा देवी व पिता का नाम श्री गुरूनानक देव उदासी था। जन्म के समय उनके शरीर पर विभूति की एक पतली परत तथा कानो में मांस के कुण्डल बने थे। अतः लोग उन्हें भगवान शिव का अवतार मानने लगे। भगवान श्री श्रीचंद्र जी गहन वन के एकान्त में समाधि लगा कर बैठ जाते थे एवं कहते थे कि हर सुख-दुख को साक्षी भाव से देखना चाहिए। उसमें लिप्त ना होकर उसके प्रति उदासीन भाव रखने से मन को कष्ट नहीं होता। चित्तौड़गढ़ के महाराणा प्रताप को सन् 1576 में उदासीनाचार्य श्रीचन्द्र जी का दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। 149 वर्ष की आयु में रावी नदी के किनारे शिला पर सवार होकर कैलाश की ओर अलुप्त हो गये। उदासीनाचार्य श्रीचन्द्र जी के परम शिष्यों में गोविन्द देव, अलमस्त साहब, बालदास, पुष्पेन्द्र थे।
उदासीन सम्प्रदाय के जगतगुरू श्रीचन्द्र जी का 524वाँ जन्मोत्सव 18.09.2018 मंगलवार को हरीशेवा उदासीन आश्रम सनातन मंदिर में मनाया जायेगा। संत मयाराम ने बताया कि इस अवसर पर प्रातः 8 बजे गणेश पूजन होकर उदासीनाचार्य श्रीचन्द्र का वैदिक मंत्रोच्चार से अभिषेक होगा। श्रीचन्द्र मात्रा साहब का पाठ होकर रोट प्रसाद का भोग लगेगा। सांयकाल में नितनेम प्रवचन, भजन-कीर्तन व आरती पश्चात् प्रसाद वितरण होगा। उन्होंने सम्पूर्ण देश में हर्षोल्लास से मनाये जा रहे उदासीनाचार्य श्रीचन्द्र जी के 524वें जन्मोत्सव भादवा नवमी के धार्मिक कार्यक्रमों में सनातन प्रेमियों से उत्साहपूर्वक भाग लेने को कहा। इस अवसर पर बालब्रह्मचारी त्रयम्बकेश्वर चैतन्य जी महाराज आश्रम में चातुर्मास कथा आयोजन के तहत श्रीचन्द्र नवमी के सन्दर्भ में व्याख्यान देगें। हरीशेवा संस्कृत शिक्षक प्रशिक्षण विद्यालय में उदासीनाचार्य श्रीचन्द्र की जीवनी पर व्याख्यान, निबन्ध प्रतियोगिता एवं कविता पाठ का आयोजन सुबह 10 बजे किया जायेगा, जिसमें विजेताओं को पुरस्कृत किया जायेगा। महामण्डलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन विदेश प्रवास पर है। यूएसए बेन्सलम में उदासीनाचार्य श्रीचन्द्र नवमी मनायेगें। जहॉ उनकी शिक्षाओं व चमत्कारों से श्रद्धालुओं को अवगत कराऐगें एवं हुए उदासीनाचार्य श्री श्रीचन्द्र जी का अभिषेक, श्री मात्रा साहिब पाठ, पूजन प्रार्थना होकर भण्डारा होगा।

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