रासेयो के स्वयंसेवकों ने लिया ‘लोकतंत्र के उत्सव’ में भागीदारी का संकल्प

जानी ईवीएम-वीवीपेट की कार्यप्रणाली
बीकानेर, । ब.ज.सि. रामपुरिया जैन विधि महाविद्यालय की रासेयो की दोनों इकाइयों के स्वयंसेवकों ने सात दिवसीय विशेष शिविर के दूसरे दिन शनिवार को ‘लोकतंत्र के उत्सव’ में भागीदारी की शपथ ली। पहली बार मतदान की योग्यता पाने वाले विद्यार्थियों ने ईवीएम-वीवीपेट की कार्यप्रणाली भी जानी।
मुख्यअतिथि सहायक निदेशक (कॉलेज शिक्षा) डॉ. दिग्विजय सिंह थे। उन्होंने लोकतंत्र में मतदान की महत्ता पर प्रकाश डाला। विद्यार्थियों को मतदान करने तथा दूसरों को इसके लिए प्रेरित करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि प्रत्येक विद्यार्थी, ‘स्वीप’ एम्बेसडर की तरह कार्य करें तथा यह प्रयास करें कि कोई भी मतदाता, मताधिकार के उपयोग से वंचित नहीं रहे। स्वीप कोर कमेटी के सदस्य हरि शंकर आचार्य ने स्वीप के इतिहास, इसकी आवश्यकता, वर्तमान परिदृश्य तथा स्वीप के कारण मतदान प्रतिशत में वृद्धि के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि जिला स्तर पर आयोजित विभिन्न गतिविधियों में महाविद्यालय सक्रिय भागीदारी निभाए।
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. अनन्त जोशी ने कहा कि सात दिवसीय शिविर की थीम स्वच्छता, जल बचत और मतदाता जागरुकता रखी गई है। इसके तहत सप्ताह भर विभिन्न कार्यक्रम होंगे। स्वीप कमेटी के सदस्य प्रवीण टॉक द्वारा वीवीपेट की कार्यप्रणाली के बारे में जानकारी दी गई। विद्यार्थियां ने ‘मॉक पोल’ करते हुए निर्वाचन की प्रक्रिया जानी। महाविद्यालय के स्वीप एम्बेसडर डॉ रीते व्यास ने विद्यार्थियों को मतदान की शपथ दिलाई। विद्यार्थियों को मतदाता सूची में नाम जुड़वाने के प्रपत्र-6 की जानकारी दी गई।
इससे पहले दूसरे दिन के कार्यक्रमों की शुरूआत दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई। स्वयंसेवकों ने महाविद्यालय परिसर, कक्षा कक्ष, पुस्तकालय, वाचनालय, प्रशासनिक भवन, गैलेरी तथा पार्क परिसर में सघन सफाई अभियान चलाया। कार्यक्रम का संचालन डॉ रीते व्यास ने किया।
भोजनावकाश के पश्चात् तृतीय सत्र को सम्बोधित करते हुए डीआरडीओ के पूर्व वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं राजस्थान टेक्निकल विवविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. हनुमान प्रसाद जी व्यास ने गीता की वर्तमान समय में प्रासंगिकता विषय पर अपना व्याख्यान दिया। प्रो. व्यास ने स्वयंसेवकों को बताया कि गीता में भक्ति, कर्म एवं ज्ञान एवं योग के सिद्धान्त दिये गए है। एक स्वयंसेवक को गीता में दिए गए इन सिद्धान्तों को अपने जीवन में उतारकर कार्य करते रहना चाहिए। गीता के ये सिद्धान्त स्वयंसेवक के लिए प्रेरणादायक होते है।
इसी क्रम में डॉ. बालमुकुन्द व्यास ने अंतिम सत्र में आगामी दिनां की रूपरेखा बताई।

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