गीता ग्रंथ व्यक्ति के जीवन को पूर्णता प्रदान करता है, प्रत्येक व्यक्ति को अध्ययन करना चाहिए
हंसराज चोधरी की नेपाल की सद्भावना यात्रा संपन्न, बूटोल की प्रेस वार्ता, सम्मान में दिया रात्रि भोज
मोती बोर का खेड़ा (भीलवाड़ा)
भीलवाड़ा जिले के मोती बोर का खेड़ा में स्थित श्री नवग्रह आश्रम के संस्थापक हंसराज चैधरी की नेपाल की सद्भावना यात्रा बुधवार को पूर्ण हो गयी है। मंगलवार रात्रि में नेपाल के बूटोल शहर के सिटी मैक्स होटल में हंसराज चोधरी की प्रेस वार्ता व गीता अध्ययन अध्यापन शोध संस्थान की ओर से उनके सम्मान में रात्रि भोज का आयोजन रखा गया। इस दौरान गीता के उपदेशों व नवग्रह आश्रम के बारे में चोधरी ने विस्तार से जानकारी देते हुए नेपाल के आम अवाम से आयुर्वेद के महत्व को स्वीकार करते हुए इसे आत्मसात करने का आव्हान किया। इस दौरान हंसराज चोधरी ने कहा कि केवल आॅनलाइन पर बिजनेस कर कर रोगियों को लूटने का जो गौरखधंधा इन दिनों आयुर्वेद के नाम पर देश व दुनियां में चल रहा है, इसे सख्ती से रोकना होगा। इससे सनातन काल से चले आ रहे आयुर्वेद के प्रति लोगों का विश्वास उठ जायेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस प्रकार लूट का गोरखधंधा करने वाले नेपाल व भारत के साथ अब प्राय सभी देशों में होने लगा है। इन पर रोकथाम के लिए सरकारों को ही सख्त कदम उठाने होगें।
प्रेस वार्ता में नेपाल के 56 पत्रकारों ने शिरकत की तथा सभी ने नवग्रह आश्रम के बारे में उत्सुकता से जानकारी प्राप्त की। इस दौरान आश्रम की आयुर्वेद औषधियों से ठीक हुए करीब आधा दर्जन नेपाल के रोगियों को भी प्रेस वार्ता में पत्रकारों से मुखातिब कराया गया।
इस दौरान हंसराज चोधरी ने कहा कि नेपाल में हर्बल आयुर्वेदिक औषधियों के लाखों पौधों की भरमार है। केवल उनको जानने व उनको दवा के रूप् में पहचानकर लोगों तक पहुंचाने की जरूरत है। उन्होंने जोर देकर कहा कि पहचानने के अभाव में आज टीवी शो व आॅनलाइन बिजनेस के रूप में हर्बल काउंटर खुल गये है जहां से आम आदमी भ्रमित होकर औषधियों को मंगवा रहा है पर उपचार में उनको कोई लाभ नहीं मिल रहा है। इसका वास्तविक कारण यह है कि इन औषधियों की प्रमाणिकता नहीं है। यह किसी मान्यता प्राप्त रिसर्च सेंटर से जुड़े नहीं है। आम आदमी को इससे बचना होगा तथा रिसर्च सेंटर तक पहुंच कर आयुर्वेद औषधी प्राप्त करने का प्रयास करना होगा तभी सार्थक परिणाम सामने आयेगें।
उन्होंने पत्रकार वार्ता में दावा किया हर्बल गार्डन के रूप् में नवग्रह आश्रम का दुनियां में कोई मुकाबला नहीं है क्योंकि वहां पर कुल 411 प्रकार के औषधीय पौधे उपलब्ध है। वहां नियमित चिकित्सकों का दल रिसर्च के कार्य में लगा है।
उन्होंने नेपाल के गीता अध्ययन अध्यापन शोध संस्थान के सूत्रधार नेपाल के पूर्व भूमि विकास मंत्री प्रकाश चित्रकार की अगुवाई में संचालित गीता संस्थान की सराहना करते हुए कहा कि गीता केवल किताब नहीं है। यह जीवन को पूर्णता प्रदान कराने वाला ग्रंथ है। इसका अध्ययन करने पर यह पलायन नहीं सिखाती है। कर्म करना व्यक्ति को गीता से ही सीखने में आता है। रिश्ते नाते सब कर्म के आधार पर ही होते है। व्यक्ति को जीवन में गीता का अध्ययन करते रहना चाहिए। कर्म न करने पर व्यक्ति का जीवन बेकार हो जाता है। गीता के छठे व तेरहवें अध्याय का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि आयुर्वेद को प्रमाणिक करने के लिए योगी कृष्ण ने इसमें सुंदर विवेचन किया है। उन्होंने संस्थान को अपनी ओर से 100 गीता उपलब्ध कराने की घोषणा भी की। उन्होंने कहा कि गीता योग, विश्वास, जीत, संशय को समाप्त कर सुखद जीवन का निर्माण करती है।
हंसराज चोधरी ने नेपाल के मीडिया से नवग्रह आश्रम के रिसर्च व वहां की औषधियों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए नेपाल में नवग्रह क्लब का गठने का आव्हान करते हुए कहा कि इसके सार्थक परिणाम आने पर नेपाल के रोगियों को औषधियां बूटोल में ही डिपो बनाकर उपलब्ध करायी जा सकती है। उन्होंने विभिनन बिमारियों के उपचार के लिए आवश्यक औषधीय पौधों का जुलाई माह में रोपण करने का आव्हान करते हुए कहा कि दो हजार पौधे नवग्रह आश्रम की ओर से उपलब्ध कराये जायेगें।
शुरूआत में गीता अध्ययन अध्यापन शोध संस्थान के सूत्रधार नेपाल के पूर्व भूमि विकास मंत्री प्रकाश चित्रकार ने हंसराज चोधरी का स्वागत किया तथा संस्थान का परिचय देते हुए भारत नेपाल मैत्री संबधों पर भी लंबी मंत्रणा की। पूर्व भूमि विकास मंत्री प्रकाश चित्रकार ने शीघ्र ही नवग्रह आश्रम आकर वहां का निरीक्षण करने का आश्वास दिया तथा कहा कि आयुर्वेद के विस्तार के लिए संस्थान के कुछ सदस्यों को भी वहां से जोड़ा जायेगा ताकि आश्रम का लाभ नेपाल को मिल सके। इस दौरान नारायण पौडेल, विजय गोयल, अनुराधा पौडेल सहित अन्य साथ में थे।
बुद्ध की जन्मस्थली पर किया स्वाध्याय- नवग्रह आश्रम के संस्थापक हंसराज चोधरी ने बाद में रात्रि में भगवान बुद्ध की जन्मस्थली लिंबोनी लुंबिनी का भ्रमण कर वहां पर काफी देर तक स्वाध्याय भी किया।
