कच्ची बस्ती के बच्चों ने देखी बीकानेर की ऐतिहासिक विरासत

नववर्ष पर मिला शैक्षणिक भ्रमण का तोहफा
बीकानेर, 1 जनवरी। कड़कड़ाती ठंड के बीच नव वर्ष की सुबह इन बच्चों के लिए बहुत खास थी। आंखों में चमक, उमंग और उत्साह भी चेहरे पर साफ नजर आ रहा था। कच्ची बस्ती में रहने वाले बच्चों को नव वर्ष की पहली सुबह पर बीकानेर घूमने का एक मौका दिया जिला कलक्टर कुमार पाल गौतम ने। ठंड का असर कम दिखा, घूमने की रौनक और उत्साह चेहरे पर ज्यादा नजर आया। जिला प्रशासन की इस पहल से गरीबी और कमजोर आर्थिक स्थिति के साथ जीवन यापन कर रहे इन बच्चों को अपने ही शहर से रूबरू होने का मौका मिला।
जिला कलक्टर ने विभिन्न सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे कच्ची बस्तिायों के बच्चों के शैक्षणिक भ्रमण को बुधवार को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन की इस पहल से बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ेगा और उन्हें अपने शहर की गौरवशाली ऐतिहासिक विरासत और संस्कृति से रूबरू होने का अवसर भी मिलेगा। उन्होंने कहा कि वे उम्मीद करते हैं कि इससे प्रेरित होकर अन्य स्कूल भी अपने यहां पढ़ रहे कमजोर और वंचित बच्चों को बीकानेर की संस्कृति और ऐतिहासिक वैभव से परिचित करवाएंगे। गौतम ने कहा कि बीकानेर के ऐतिहासिक स्थल देश-विदेश के सैलानियों के लिए आकर्षण का एक बड़ा केंद्र है। बीकानेर में पढ़ रहे गरीब और वंचित बच्चे शैक्षणिक भ्रमण के जरिए शहर से परिचित होकर अपने जीवन में इन यादों को सहेज कर रख पाएंगे।

कलक्टर बस मे बैठे और बोले हैप्पी न्यू ईयर
शैक्षणिक भ्रमण को हरी झंडी दिखाने से पहले जिला कलक्टर ने बसों में बैठे बच्चों के साथ बैठ कर बातचीत की। उन्होंने बच्चों को नए वर्ष की शुभकामनाएं दी उनसे कक्षा, पढ़ाई आदि के बारे में बातें की और इस कार्यक्रम के बारे में जानकारी ली। इस अवसर पर अतिरिक्त जिला कलक्टर प्रशासन ए एच गौरी,, यूआईटी सचिव मेघराज सिंह मीना, प्रशिक्षु आईएएस अभिषेक सुराणा, विमला डुकवाल उपस्थित थे।

जूनागढ़ का वैभव देख बढ़ी जिज्ञासा
शैक्षणिक भ्रमण के दौरान बच्चों ने गाड़ी से उतरते ही जूनागढ़ की भव्य स्थापत्य कला को नजदीक से देखा और फोटो खिचवाने केे लिए उत्सुक दिखे। बच्चों को जूनागढ़ में दूध और जलेबी का नाश्ता दिया गया। इसके बाद कतारबद्ध होकर बच्चों ने जूनागढ़ दर्शन किया।
बच्चे खुश दिखे और एक विशेष तरह की जिज्ञासा भी नजर आई। जिस शहर में उनका जन्म हुआ और शहर की खूबसूरती का को देखने का इतनी नजदीकी से मौका नहीं मिला था। आज इस मौके को पूरी तरह भुना लेना चाहते थे।
बीकानेर शहर के इतिहास की दी गई जानकारी
गाइड ने बच्चों को बताया कि बीकानेर शहर राव बीका जी द्वारा बसाया गया। राव बीकाजी राव जोधा के पुत्र थे जिन्होंने अपना अलग राज्य बसाने की ठानी और बीकानेर की नींव पड़ी।

उत्साह से खिंचाई फोटो किए प्रश्न
जूनागढ़ की ऐतिहासिक विरासत को देखकर बच्चे खासे उत्साहित नजर आए। लाइन बनाकर किले को करीब से देखा और गाइड से यहां रखी विभिन्न वस्तुओं के इतिहास के बारे में सवाल किए।

विदेशी पर्यटकों से मिलाया हाथ
भ्रमण के दौरान बच्चों ने जूनागढ़ किले में घूम रहे विदेशी सैलानियों से हाथ मिलाकर अपने उत्साह और जोश का प्रदर्शन किया। जूनागढ़ भ्रमण के बाद बच्चांे को म्यूजियम ले जाया गया, जहां उन्होंने रियासत और ब्रिटिशकालीन वस्तुओं का संग्रहण देखा और जाना। युद्ध में काम आने वाले औजार, रण के दौरान पहनी गई ड्रेस आदि के बारे में भी जानकारी ली।
बच्चों को भ्रमण के दौरान लक्ष्मीनाथ जी मंदिर भी ले जाया गया। जहां उन्होंने नगर सेठ के दर्शन किए और प्रसाद लिया। बच्चों को गंगाशहर स्थित नैतिकता के शक्ति पीठ आचार्य तुलसी समाधि स्थल का भ्रमण भी करवाया गया।

इनका रहा सहयोग
भ्रमण में जिला प्रशासन के साथ दयासागर मंदबुद्धि संस्थान, आचार्य तुलसी शांति प्रतिष्ठान संस्थान, डाॅ श्याम अग्रवाल, लूणकरण छाजेड़, डी पी पच्चीसिया, डाॅ विमला, सुनील बोड़ा, डाॅ राकेश हर्ष, सुधा आचार्य, मगन बिस्सा, डाॅ सुषमा बिस्सा, मधु खत्री, ऋषि आचार्य, डाॅ अन्नत जोशी, रगनदीप चैधरी, राहुल अग्रवाल, शिल्पी खत्री, मनीष गोयल का सहयोग रहा।

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