पूर्व शिक्षा मंत्री देवनानी ने कहा कि वर्तमान में संस्कृत शिक्षा के विद्यालयों में शिक्षकों के लगभग आधे पद रिक्त चल रहे है जबकि राज्य सरकार की संस्कृत शिक्षा को बढावा देने की न कोई दिषा नजर आ रही है और न कोई दृष्टि। सरकार संस्कृत षिक्षा के नाम पर केवल और केवल औपचारिकता पूरी कर रही है। इसे बढावा देने की ओर सरकार की कोई ठोस योजना नहीं है।
देवनानी ने कहा कि संस्कृत षिक्षा बढे इसके लिए सरकार का प्रयास शून्य है इसका अनुमान सवा साल में खोले गए नवीन संस्कृत विद्यालयों की संख्या और रिक्त पडे पदों की स्थिति से लगा सकते हैं। सरकार की ओर से वर्ष 2019-20 में प्रदेषभर में मात्र पांच संस्कृत स्कूल खोलकर इतिश्री कर ली गई। प्रदेष में स्थित संस्कृत संस्थानों एवं स्कूलों में शैक्षणिक एवं गैरषैक्षणिक पद काफी संख्या में खाली पडे है। प्रदेष के अधिकांश राजकीय संस्कृत महाविद्यालयों में प्राचार्य तो नहीं है साथ ही व्याख्याताओं के स्वीकृत 188 पदों में से 96 पद रिक्त है। यही हालात राजकीय संस्कृत विद्यालयों के शैक्षणिक पदों की है। इनमें शिक्षकों के स्वीकृत कुल 11203 पदों में से 3926 पद रिक्त पड़े है। ऐसी स्थिति में प्रदेश में संस्कृत षिक्षा का ढर्रा बिगडा पडा है जोकि विधान सभा में संस्कृत शिक्षा मंत्री जी की ओर से दिए गए आंकडे बयां कर रहे हैं।
01 व्याख्याता के भरोसे सावर का महाविद्यालय:
देवनानी ने बताया कि अजमेर जिले के सावर में स्थित शास्त्री संस्कृत महाविद्यालय मात्र एक व्याख्याता के भरोसे चल रहा है जबकि यहां पर वर्तमान में 93 छात्र अध्ययनरत है। इस महाविद्यालय में प्राचार्य का पद रिक्त है, व्याख्याताओं के स्वीकृत 5 पदों में से 4 रिक्त है। यहां तक की कनिष्ठ सहायक का एक पद भी रिक्त है जिससे कार्यालय सम्बंधी काम से लेकर शिक्षण कार्य तक की समस्त जिम्मैदारी एक व्याख्याता पर निर्भर है। अजमेर जिले के अन्य विद्यालयों में स्वीकृत 355 शिक्षकों के पदों में से 152 पद रिक्त पड़े है।
शिक्षकों की भर्ती के लिए सरकार नहीं गंभीर:
प्रदेश में संस्कृत शिक्षा के विद्यालय हो चाहे महाविद्यालय शिक्षकों के रिक्त पदो ंके कारण दुर्दशा के शिकार है परन्तु राज्य सरकार शिक्षकों की भर्ती को लेकर बिल्कुल गंभीर नहीं है। देवनानी ने कहा कि सरकार ने 2019 में संशोधित विज्ञापन जारी कर प्राध्यापक विद्यालय के 264 पदों के आवेदन मांगने का जिक्र प्रश्न के जवाब में किया है साथ वरिष्ठ अध्यापकों के 718 पदों के लिए पात्रता काउंसलिंग का कार्य किया जाना बताया है जो कि गत सरकार द्वारा प्रारम्भ की गई भर्ती प्रक्रिया के तहत हो रहा है। वर्तमान सरकार ने संस्कृत शिक्षा के रिक्त पदों को भरने में अभी तक कोई पहल नहीं की है।
देवनानी ने कहा कि एक ओर सम्पूर्ण विष्व में संस्कृत भाषा व षिक्षा के प्रति रूझान दिनों दिन बढता जा रहा है वहीं दूसरी ओर प्रदेष में संस्कृत षिक्षा का कोई धणीधौरी नहीं है।