राजस्थानी भाषा पुरस्कार समारोह आज हुआ सम्पन्न

राजस्थानी की मान्यता बिना आजादी अधूरी -प्रो कल्याणसिंह शेखावत
डेह 14 मार्च
व्यक्ति के चहुंमुखी विकास में भाषा ,साहित्य एवं संस्कृति का महत्वपूर्ण स्थान होता है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हमारी क्षमताओं को परवान चढाती है लेकिन राजस्थान तथा राजस्थानी भाषा भाषियोें के साथ विषम परिस्थितियां है। राजस्थानी भाषा की मान्यता नहीं होना हमारी आजादी के अधूरेपन का पुख्ता प्रणाम है। उक्त विचार जयनारायण व्यास विश्वविद्धालय जोधपुर के पूर्व प्रोफेसर तथा राजस्थानी साहित्यकार प्रो॰कल्याणसिंह शेखावत नें व्यक्त किए। प्रो॰शेखावत ने कहा कि राजस्थानी की मान्यता के बिना आजादी अधूरी है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि तथा बिहारी पुरस्कार से सम्मानित साहित्यकार डॉ आईदानसिंह भाटी नें कहा कि साहित्यिक पुरस्कार साहित्यकारों के लिए प्रेरणा का काम करते है। उन्होने कहा कि राजस्थानी भाषा की आंतरिक ताकत उसका नाद -सौर्दर्य है। नाद सौदर्य के कारण ही राजस्थानी वाचिक परपंरा ने लोक के चित्र में स्थान प्राप्त किया। डॉ भाटी नें अपनी लोकरंग से जुड़ी रचनाएं प्रस्तुत कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ विक्रमसिंह गुंदोज ने डेह के साहित्यिक समारोह को अन्य नगरों के लिए प्रेरणा बताया तथा कहा कि जब राज सोता है तो समाज को जगना होता है। राजस्थानी साहित्यकारों को भी अपनी ताकत को तोलना होगा।
गूंदोज नें कहा कि भाषा के संवर्धन के लिए कलमकारो को प्रदेश की अकादमी पुरस्कार देकर संबल प्रदान करती है लेकिन दुर्भाग्य से हमारे प्रदेश में पिछले सात वर्षो से सारी अकादमीयां भंग पड़ी है। साहित्यकारों का दमन किया जाता रहा है। ऐसी स्थिति में छोटे से गांव डेह के नेम प्रकासण की जितनी तारीफ की जाऐ कम है।
विशिष्ट अतिथि तथा राजस्थान पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी मोहनसिंह रतनू नें डिंगल काव्यपाठ करते हुए डिंगल छंद सुनाकर श्रोताओं को तालियां बजाने हेतु विवश किया। श्री रतनू ने राजस्थानी भाषा की शब्द सम्पदा को उल्लेखनीय बताते हुए कहा कि नेम प्रकासण डेह पूरे भारत में एक अलग पहचान रखने वाला संस्थान बन गया है। भारत में कहीं भी कोई संस्था मायड़ भाषा के सोलह सोलह साहित्यकारों का एक साथ सम्मान नहीं करती है।
विशिष्ट अतिथि डॉ शंकरलाल जाखड़ प्राचार्य राजकीय महाविद्यालय नागौर ने राजस्थानी भाषा को हमारी मूल शक्ति बताते हुए कहा कि हमें इस तरह के समारोह से प्रेरणा लेनी चाहिए। डॉ जाखड नें शिक्षा के लिए मातृभाषा के महत्व को बताते हुए कहा कि बालक की प्रारम्भिक शिक्षा उसकी मातृभाषा में ही होनी चाहिए।
समारोह के विशिष्ट अतिथि तथा सम्मानित साहित्यकार डॉ दीनदयाल ओझा ने डेह के कार्यक्रम को त्रिवेणी संगम बताते हुए कहा कि यहां तीन पीढी के साहित्यकार एक साथ विराजे है।
सम्मानित साहित्यकार डॉ भगवती लाल शर्मा ने साहित्यिक सम्मान को साहित्यकार के लिए अतिरिक्त उर्जा को श्रोत बताया।
स्वामी आनन्दीरामाचार्यजी रामद्वारा डेह ने स्वास्ति मंत्र तथा शांति पाठ करते हुए सबको आशीर्वाद दिया।
युवा कवि प्रहलादसिंह झोरड़ा ने तथा सत्यपाल सांदू ने काव्यगीत प्रस्तुत किये। श्री जे॰के॰ चारण ने सरस्वती वंदना की।
श्री बाबुलाल टाक ने राजस्थानी के सरल स्वरूप की पैरवी करते हुए उसे जन जन की भाषा बनाने पर बल दिया। उन्होने कहा कि इसे पत्र पत्रिकाओं के माध्यम से सामन्य जन तक पहुचाने के प्रयास किये जाने चाहिए।
श्री सुखदेव राव (संपादक रूडौ़ राजस्थान) ने राजस्थानी भाषा एव पंत्रकारीता जिस पर अपने विचार व्यक्त किये तथा साहित्यक पत्रकारिता चुनोतियो पर प्रकाश डाला।
आदर्श ग्राम पंचायत डेह के सरपंच रणवीरसिंह उदावत नें कहा कि प्रदेश में मायड़ भाषा की मान्यता के लिए सम्बन्धित मंत्री महोदय को प्रस्ताव भिजवाया जायेगा ।
नेम प्रकाशन संरक्षक सुखदेवसिंह गाडण ने स्वागत उद्बोधन दिया। कार्यक्रम की रूपरेखा कार्यक्रम संयोजक लक्ष्मणदान कविया ने प्रस्तुत की। कार्यक्रम संचालन डॉ गजादान चारण शक्तिसुत ने किया। सचालन के साथ साथ डॉ चारण नें मायड़ भाषा में रची कालजयी रचनाओं का भी मीठे स्वर में वाचन कर कर श्रोताओं को बार बार तालियां बजवाने पर मजूबर किया। आयोजक सचिव श्री पवन पहाड़िया ने सब का आभार ज्ञापित किया।

ये साहित्यकार हुए सम्मानित
सम्मानित होने वाले साहित्यकारों में डॉ अर्जुनसिंह शेखावत (पाली) आडावळो अरड़ायो को नेमीचंद पहाड़िया पद्य पुरस्कार , नरपतसिंह सांखला (बीकानेर) काळजै री कोर को अमराव देवी पहाड़िया गद्य पुरस्कार , श्याम जांगीड़ (चिड़ावा) नोरंगजी री अमर कहाणी को कमला देवी पहाड़िया उपन्यास पुरस्कार , पूरन सरमा (जयपुर) किस्सो रामराज रो को भंवरलाल सबलावत व्यंग्य पुरस्कार , सत्यदेव संवितेन्द्र (जोधपुर) न्यू पिंच को सिरदाराराम मौर्य बाल साहित्य गद्य पुरस्कार , मनोज चारण श्गाडण श् (रतनगढ) मिणधर मा़ण मरदण को मोहनदान गाडण भक्ति काव्य पुरस्कार ,डॉ शक्तिदान कविया (जोधपुर) संबोध सतसई को सोहनदान सिंहढायच डिंगल पुरस्कार , नागराज शर्मा (पिलानी झूंझूनूं ) सम्पादक बिणजारो को जुगलकिशोर जेथलिया राजस्थानी भाषा सेवा सम्मान ,डॉ अनुश्री राठौड़ (उदयपुर) ओळूं को छगनमल बेताला कहाणी पुरस्कार , कमल रंगा (बीकानेर) अदीठ सांच को पारसमल पांड्या राजस्थानी साहित्य पुरस्कार ,बसंती पंवार (जोधपुर) नूंवौ सूरज को मैना देवी पांड्या राजस्थानी लेखिका पुरस्कार , डॉ भगवतीलाल शर्मा (जोधपुर) अमोलक मोती को चण्डीदान देवकरणोत अनुवाद पुरस्कार , श्रीभगवान सैनी (श्री डूंगरगढ़) म्हैं ई रेत रमूंला को अमितसिंह चौहान राजस्थानी बाल पद्य पुरस्कार , दीनदयाल ओझा (जैसलमेर) को गोपालसिंह उदावत वय वंदन पुरस्कार , राजेन्द्र शर्मा मुसाफिर (चूरू) मेळो को पारस देवी बेताला राजस्थानी कहाणी पुरस्कार तथा नाटककार छगनलाल सेवदा श्निशंकश् (सरदारशहर) कुवै भांग पड़ी को सज्जनसिंह उदावत राजस्थानी नाटक पुरस्कार प्रदान किया गया। सम्मानित प्रत्येक साहित्यकार को ग्यारहा हजार रूपयै नगद ,शॉल , श्रीफल , साफा माळा ,बखाण पानो व राजस्थानी साहित्य भेंट कर सम्मानित किया गया।

हुवा 8 पुस्तको का विमोचन
बाल साहित्यकार पवन पहाड़िया की राजस्थानी बाल गीत की पुस्तक पढ़वाणी पक्की छोरी नें तथा हिन्दी बाल कहानी सुबह का भुला तथा डॉ गजादान चारण शक्तिसुत की राजस्थानी निबंध संग्रै की पुस्तक उजास उच्छब एवं अब्दुल समद राही सोजत सिटी की राजस्थानी कविता संग्रह दलित बस्ती , राजस्थानी गजलां की पुस्तक म्हैं कांई कैऊं व राजस्थानी बाल कथावां री पुस्तक खुशी रा आंसू रा तथा युवा कवि प्रहलादसिंह झोरड़ा की राजस्थानी बाल गीत की पुस्तक म्हारी ढाणी का भी उपस्थित मंच द्वारा लोकार्पण किया गया।

पवन पहाड़िया
9414864009

error: Content is protected !!